समुद्री प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सैन्य-नागरिक संलयन, सार्वजनिक-निजी भागीदारी का मुक़ाबला करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों को करना होगा नवोन्मेष

ससै न्य-नागरिक संलयन (MCF) कार्यक्रमों और सैन्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) द्वारा समर्थित नौसैनिक तकनीकी विशेषज्ञता में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) द्वारा किए गए रणनीतिक निवेश, समुद्री प्रौद्योगिकी में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की प्रगति को आगे बढ़ा रहे हैं।
MCF और PPP के ज़रिए CCP द्वारा दोहरे उपयोग वाली समुद्री प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों के बीच चिंताएँ बढ़ रही हैं। CCP की समुद्री महत्वाकांक्षाएँ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में विशिष्ट जोखिम और चुनौतियाँ पेश करती हैं।
CCP ने आधिकारिक तौर पर MCF को अपने 2015 के राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून और 2017 के सैन्य-नागरिक संलयन विकास दिशानिर्देश में स्पष्ट किया है। MCF परियोजनाएँ और PPP एक विनियामक ढाँचे द्वारा शासित होती हैं, जिसे निजी क्षेत्र की गतिविधियों को राष्ट्रीय रणनीतिक लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। MCF, 2049 तक PLA को “विश्व स्तरीय सेना” के रूप में विकसित करने की CCP की रणनीति का मुख्य घटक है।
CCP इन साझेदारियों में न केवल नियामक के रूप में बल्कि भागीदार के रूप में भी केन्द्रीय भूमिका निभाता है। परिवहन मंत्रालय और राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग जैसी सरकारी एजेंसियाँ, यह सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाने, अनुमोदन और निगरानी में शामिल हैं कि परियोजनाएँ PLA नौसेना (PLAN) की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाए और CCP के समुद्री हितों को सुरक्षित करें।
यद्यपि MCF और PPP का उद्देश्य सैन्य प्रौद्योगिकियों और सेवाओं के विकास और आपूर्ति में निजी क्षेत्र की फ़र्मों को शामिल करके PLAN की क्षमता को मज़बूत करना है, MCF अधिक प्रच्छन्न हो सकता है। MCF में प्रायः सैन्य उद्देश्यों के लिए नागरिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचे का रणनीतिक उपयोग किया जाता है, लेकिन कभी-कभी इसमें शामिल नागरिक संस्थाओं की जानकारी या सहमति के बिना भी ऐसा किया जाता है। साथ ही, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निजी कंपनियों को सब्सिडी, कर में छूट और सरकारी अनुबंधों में विशेष सुविधा सहित प्रोत्साहनों के संयोजन के माध्यम से PPP में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
पिछले दशक में, राष्ट्रों ने CCP द्वारा दुनिया भर में जासूसी और छेड़छाड़ के लिए नागरिक प्रौद्योगिकियों के शोषण को उजागर किया है। उदाहरण के लिए, 2018 में, CCP से जुड़े हैकरों ने अमेरिकी नौसेना के रक्षा ठेकेदारों की प्रणालियों में सेंध लगाई और समुद्री युद्ध और मिसाइल कार्यक्रमों से संबंधित डेटा चुरा लिया। 2021 में, जाँचकर्ताओं ने निर्धारित किया कि प्रमुख चीनी दूरसंचार फ़र्म हुआवेई (Huawei), अफ़्रीकी संघ के मुख्यालय में स्थापित निगरानी प्रणालियों से पाँच साल से अधिक समय तक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन) के सर्वरों को संवेदनशील डेटा संचारित कर रही थी। हाल के वर्षों में, CCP ने अपनी साइबर जासूसी गतिविधियों में वृद्धि की है।
विश्लेषकों के अनुसार, इस बीच, CCP निर्यात, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और अधिग्रहण, साइबर व पारंपरिक जासूसी, अनुसंधान सहयोग, प्रतिभा अधिग्रहण तथा प्रभाव संचालनों के माध्यम से अवैध रूप से तकनीकी नवोन्मेष हासिल करना जारी रखे हुए है। बतौर प्रमुख उदाहरण, जर्मनी में निर्मित और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए निर्यात किए गए इंजन अब PLAN की पनडुब्बियों और फ़्रिगेटों (युद्ध पोतों) को पावर प्रदान करते हैं। इस तरह के अनैतिक और अवैध अधिग्रहण CCP के MCF कार्यक्रमों द्वारा उत्पन्न ख़तरों की घातक प्रकृति को उजागर करते हैं।
MCF का प्रतिरोध
समुद्री प्रौद्योगिकी में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त सुनिश्चित करने के लिए, अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों को विशेष रूप से मानवरहित प्रणालियों, उन्नत प्रणोदन, साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में महत्वपूर्ण निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो बीजिंग की प्रगति से आगे निकलने के लिए महत्वपूर्ण हैं। लोकतांत्रिक देशों को नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने के लिए PPP का लाभ उठाना चाहिए, साथ ही अनधिकृत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को रोकने के लिए सख़्त निगरानी भी करनी चाहिए। अमेरिका तथा उसके मित्र राष्ट्रों और साझेदारों को भी उचित प्रकटीकरण के बिना सैन्य उद्देश्यों के लिए नागरिक प्रौद्योगिकियों के दोहन को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और समझौतों की वक़ालत करनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, विदेशी प्रौद्योगिकियों की साइबर-सक्षम चोरी की CCP द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की गई है, जिसके परिणामस्वरूप क़ानूनी और कूटनीतिक परिणाम सामने आए हैं। इससे चीन की वैश्विक अनुसंधान परियोजनाओं पर सहयोग करने और नवीन विदेशी समुद्री प्रौद्योगिकियों तक पहुँच बनाने की क्षमता बाधित हुई है। बौद्धिक संपदा और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति CCP की उपेक्षा पर व्यापक अविश्वास भी उसके MCF प्रयासों में बाधा डालता है। बौद्धिक संपदा की चोरी और विदेशी प्रौद्योगिकियों की रिवर्स इंजीनियरिंग ने अन्य देशों के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, जबकि CCP की आक्रामक समुद्री गतिविधियों ने, विशेष रूप से दक्षिणी चीन सागर में, क़ानूनी विवादों और वैश्विक निंदा को बढ़ावा दिया है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रवर्तन और जासूसी-प्रतिरोध, तकनीकी लाभों की रक्षा करने और सैन्य लाभ के लिए अन्य देशों के अनुसंधान का शोषण करने वाले CCP के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। चूँकि MCF में अक्सर नागरिक प्रौद्योगिकियों को सैन्य अनुप्रयोगों में गुप्त रूप से स्थानांतरित करना शामिल होता है, इसलिए अमेरिका और उसके सहयोगियों व साझेदारों को संवेदनशील जानकारी और CCP के सैन्य-औद्योगिक परिसर को लाभ पहुँचाने में समर्थ महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों की रक्षा के लिए साइबर सुरक्षा को रक्षा और निजी क्षेत्रों में मज़बूत करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इसके अलावा, MCF गतिविधियों में शामिल संस्थाओं के खिलाफ़ निर्यात नियंत्रण और प्रतिबंध महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों तक CCP की पहुँच को सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका सहित कई देशों ने सैन्य प्रयोजनार्थ नागरिक प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐसे उपाय लागू किए हैं।
अमेरिका ने उन्नत अर्धचालकों के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए नियम लागू किए हैं, जिनकी CCP को अगली पीढ़ी के हथियार प्रणालियों, निगरानी और अन्य सैन्य आधुनिकीकरण प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यकता होती है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं के कारण नामित कंपनियों की अस्तित्व सूची (Entity List) रखता है, जो विशेष लाइसेंस के बिना अमेरिकी सामान या प्रौद्योगिकी प्राप्त नहीं कर सकती हैं। इंडो-पैसफ़िक क्षेत्र में भारत, फ़िलीपींस और वियतनाम जैसे देश विशेष रूप से क्षेत्रीय विवादों और सैन्य निर्माण के संबंध में, CCP के MCF के प्रभावों को लेकर आशंकित हैं। इससे क्षेत्रीय सैन्य सहयोग बढ़ा है और रणनीतिक साझेदारियाँ मज़बूत हुई हैं, जैसे कि चतुष्पक्षीय सुरक्षा वार्ता या क्वाड, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका शामिल हैं। क्षेत्रीय शक्तियाँ भी अपनी सैन्य क्षमताओं में निवेश कर रही हैं और CCP के प्रभाव को संतुलित करने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग कर रही हैं।
ख़तरे के निहितार्थ
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP), MCF के बैनर तले अपने सैन्य और नागरिक क्षेत्रों को एकीकृत करना जारी रखे हुए है, जिससे उसकी क्षमताएँ बढ़ रही हैं, जो न केवल इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में रणनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं, बल्कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानदंडों को भी चुनौती दे रही हैं।
CCP की बढ़ती समुद्री महत्वाकांक्षा ने पड़ोसी देशों के साथ तनाव बढ़ा दिया है। सबसे अधिक दबाव वाले ख़तरों में से एक है CCP की वर्धित सैन्य क्षमताओं से क्षेत्रीय स्थिरता को बाधित करने की क्षमता, विशेष रूप से दक्षिणी चीन सागर में, जिसके लगभग 90% हिस्से पर बीजिंग अपना दावा करता है, जबकि 2016 में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने इसके प्रतिकूल निर्णय दिया था। CCP का तीव्र समुद्री विकास अंतरराष्ट्रीय क़ानून के शासन को कमज़ोर करता है और इससे हथियारों की होड़ लग सकती है तथा सैन्य टकराव का ख़तरा बढ़ सकता है। क्षेत्र में ज़ोर-ज़बरदस्ती को लेकर चिंता बढ़ रही है, क्योंकि CCP की आक्रामक नीतियाँ ऐसी रियायतें या गठबंधनों के लिए मजबूर कर सकती हैं, जिनसे संप्रभुता से समझौता हो सकता है।
प्रमुख प्रौद्योगिकियों में रणनीतिक स्वायत्तता का अनुगमन, तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में चीनी कंपनियों की अत्यधिक भूमिका, अन्य देशों के लिए आर्थिक और सैन्य जोखिम पैदा करती है। MCF के ज़रिए, CCP सैन्य उद्देश्यों के लिए विदेशों से अर्जित तकनीकी ज्ञान को व्यवस्थित रूप से लागू करती है। CCP द्वारा भू-राजनीतिक लाभ के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करने की संभावना, चाहे वह साइबर जासूसी, बौद्धिक संपदा की चोरी के ज़रिए हो या आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के माध्यम से, वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता और इन प्रौद्योगिकियों पर निर्भर राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा करती है।
शेन्ज़ेन DJI साइंसज़ एंड टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड (DJI) पर विचार करें, जो दुनिया की सबसे बड़ी नागरिक ड्रोन निर्माता कंपनी है। ड्रोन मूल रूप से मनोरंजन और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए डिज़ाइन किए गए थे, लेकिन अब इनका CCP की सेना और क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा निगरानी और टोही के लिए तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इसी प्रकार, यह आशंका बनी हुई है कि बीजिंग जासूसी और खुफ़िया जानकारी जुटाने के लिए हुआवेई के उपकरणों का उपयोग कर सकता है। संवेदनशील बुनियादी ढाँचे पर डेटा संग्रहण को रोकने के लिए, अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने 2019 में हुआवेई और 2020 में DJI को अपनी एंटिटी लिस्ट में जोड़ा।
CCP ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी अधिग्रहण का भी विस्तार किया है। चीनी कंपनी मिडिया ग्रुप ने जर्मन रोबोटिक्स कंपनी कुका का अधिग्रहण किया है, जिसके उत्पादों में समुद्री सैन्य उद्देश्यों के लिए दोहरे उपयोग की संभावनाएँ हैं, विशेष रूप से स्वायत्त प्रणालियों और स्मार्ट विनिर्माण में। यह अधिग्रहण CCP की अपनी सैन्य विकास रणनीतियों में वाणिज्यिक अधिग्रहणों को एकीकृत करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
कई राष्ट्र CCP को अवैध और अनपेक्षित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को कम करने के लिए काम कर रहे हैं, जिसमें संवेदनशील प्रौद्योगिकियों में CCP से जुड़े निवेश को सीमित करना, चीन में निवेश को कम करना, CCP से संबद्ध शोधकर्ताओं के साथ वैज्ञानिक साझेदारी को प्रतिबंधित करना, जासूसी-प्रतिरोध के प्रयासों का विस्तार करना और निर्यात नियंत्रण पर समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करना शामिल है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों व साझेदारों को चाहिए कि वे वर्तमान उपायों को और अधिक व्यापक तथा समन्वित अभियान में विस्तृत करें।
जनवरी 2025 में, अमेरिकी रक्षा विभाग ने अमेरिका में संचालित चीन-स्थित कंपनियों की अपनी सूची को अद्यतन किया, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे CCP के रणनीतिक सैन्य लक्ष्यों को बढ़ावा दे रही हैं। न्यूज़वीक पत्रिका के अनुसार, इस सूची में, जिसे बीजिंग की MCF रणनीति के प्रत्यक्ष प्रतिवाद के रूप में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम के तहत 2021 में शुरू किया गया था, 134 चीनी सैन्य कंपनियों के नाम हैं, जिनमें अमेरिका में “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से” काम कर रहे 57 फ़र्म और 77 सहायक कंपनियाँ शामिल हैं। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भी उसी महीने अपनी एंटिटी लिस्ट को अद्यतन किया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा मानी जाने वाली 14 चीनी कंपनियों को शामिल किया गया। “उन्हें सूची में शामिल करके, अमेरिकी प्रशासन यह संकेत दे रहा है कि वह आश्वस्त है कि ये कंपनियाँ, मुख्य रूप से अपने [अनुसंधान और विकास] माध्यम से, चीन के सैन्य आधुनिकीकरण में इतने तात्कालिक तरीक़े से योगदान दे रही हैं कि उन्हें अंततः सैन्य कंपनियाँ माना जाना चाहिए,” बर्लिन स्थित ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के रिसर्च फ़ेलो जैकब हेन्सिंग (Jakob Hensing) ने न्यूज़वीक को बताया।

जहाज़ निर्माण और समुद्री इंजीनियरिंग
चीनी नौसैनिक जहाज़ निर्माण उद्योग MCF और PPP के प्रभाव का उदाहरण है। एक दशक से भी कम समय में, CCP ने अपनी नौसैनिक क्षमताओं को तेजी से उन्नत किया है, तथा एयरक्राफ़्ट कैरियर, डिस्ट्रॉयर और फ़्रिगेट जैसे परिष्कृत युद्धपोतों का निर्माण किया है। विश्लेषक इसकी प्रगति का श्रेय मुख्यतः सैन्य प्रयोजनों के लिए नागरिक जहाज़ निर्माण अवसंरचना के एकीकरण को देते हैं।
CCP ने सरकार के स्वामित्व वाले उद्यमों (SOE) द्वारा संचालित, चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन और चाइना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन जैसे नागरिक शिपयार्ड को उन्नत सैन्य जहाज़ों का निर्माण करने का निर्देश दिया है। मॉड्यूलर निर्माण तकनीक और उन्नत सामग्री जैसी नागरिक नौवहन के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों को निष्पादन और दुराव-छिपाव को बढ़ाने के लिए सैन्य डिज़ाइनों में शामिल किया गया है। उदाहरण के लिए, CCP के सबसे बड़े और सबसे उन्नत सतही लड़ाकू जहाज़ों में से एक, PLAN टाइप 055 रेन्हाई श्रेणी के विध्वंसक को नागरिक जहाज़ डिज़ाइन और निर्माण में नवोन्मेषों से लाभ मिला है।
विध्वंसक की ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण प्रणाली, दोहरे बैंड रडार प्रणालियाँ और युद्ध प्रबंधन प्रणालियाँ, सैन्य अनुप्रयोगों में नागरिक इलेक्ट्रॉनिक्स नवोन्मेषों के एकीकरण को दर्शाती हैं। टाइप 055, PLAN के बेड़े में एक कमांड जहाज़ के रूप में कार्य करता है, जो हवाई रक्षा प्रदान करता है और पावर प्रोजेक्शन क्षमताओं में योगदान देता है। यह PLAN को विश्व भर में अपने समुद्री प्रभाव को व्यापक बनाने में MCF के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।
पनडुब्बी प्रौद्योगिकी एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ CCP की MCF रणनीति और PPP ने ध्वनिकी, सामग्री विज्ञान और ऊर्जा भंडारण में नागरिक प्रगति को एकीकृत किया है। इससे परमाणु और डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों में प्रगति हुई है, तथा उनकी मज़बूती, गोपनीयता और समग्र प्रदर्शन क्षमता में वृद्धि हुई है। बैटरी प्रौद्योगिकी और ईंधन सेल में हासिल सफलताओं को, जिन्हें मूल रूप से नागरिक अनुप्रयोगों के लिए विकसित किया गया था, CCP पनडुब्बियों की मज़बूती में सुधार करने के लिए अनुकूलित किया गया है, जिससे वे अधिक शांत और पता लगाने में अधिक कठिन हो गई हैं, तथा अमेरिकी क्षमताओं से अधिक तुलनीय हो गई हैं।
टाइप 094 और टाइप 096 परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियाँ इस एकीकरण का उदाहरण हैं। इन विकास कार्यों से भविष्य में जोखिम भी बढ़ जाता है, क्योंकि ये PLAN पनडुब्बियों को सामरिक क्षेत्रों का अन्वेषण करने में सक्षम बनाते हैं।
अक्षमताएँ, संकटग्रस्त नवोन्मेष
MCF रणनीति की अपनी सीमाएँ और कमजोरियाँ हैं। प्रमुख चुनौती नौकरशाही की अक्षमता है। MCF मुख्य रूप से सरकारी एजेंसियों, SOEs (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) और निजी कंपनियों के बीच समन्वय पर निर्भर करता है, जो प्रायः अतिव्याप्त ज़िम्मेदारियों और ग़लत संचार से जूझते रहते हैं। यद्यपि SOE उत्पादन बढ़ाने में सफल हो सकते हैं, लेकिन नवोन्मेष के मामले में वे प्रायः निजी कंपनियों से पीछे रह जाते हैं। इससे समुद्री प्रभुत्व के लिए नौसैनिक युद्ध प्रणालियाँ और स्वशासित जलस्थ वाहनों जैसी महत्वपूर्ण अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का विकास बाधित हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, अक्षमता और भ्रष्टाचार के कारण परियोजना में देरी हो सकती है और लागत बढ़ सकती है, जिससे MCF की समग्र प्रभावशीलता कम हो सकती है। कुछ निजी कंपनियाँ बौद्धिक संपदा और बाज़ार प्रतिस्पर्धात्मकता से संबंधित चिंताओं के कारण सेना के साथ सहयोग करने में हिचकिचाती हैं, जिससे सैन्य परियोजनाओं में नागरिक नवोन्मेषों का एकीकरण और भी जटिल हो सकता है।
एक और महत्वपूर्ण कमज़ोरी CCP की तकनीकी निर्भरता में निहित है। चीनी उद्योग उन्नत सेंसर और प्रणोदन उपकरण जैसी अपनी समुद्री प्रणालियों के प्रमुख घटकों के लिए विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करता है। हालाँकि, निर्यात नियंत्रण और प्रतिबंधों ने महत्वपूर्ण दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों तक CCP की पहुँच को प्रतिबंधित किया है।
कुल मिलाकर, CCP की MCF रणनीति के प्रति अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ने कूटनीतिक संबंधों और रणनीतिक गठबंधनों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया है। अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र व साझेदार ऐसे गठबंधनों का निर्माण जारी रखे हुए हैं जो बलपूर्वक या अनुचित तरीक़ों से समुद्री क्षेत्रों पर प्रभुत्व स्थापित करने के CCP के प्रयासों को चुनौती देते हैं, साथ ही, वे नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र खुले रहें तथा सहमत सिद्धांतों के अनुसार शासित हों।
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