फ़ीचरस्वतंत्र और मुक्त इंडो-पैसिफिक / एफ़ओआईपी

समुद्री नियंत्रण

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालित प्लेटफ़ॉर्म हो सकते हैं अमेरिकी सेना के समुद्री प्रयासों में सहायक

अमेरिकी नौसेना कमांडर डैनियल आर. पोस्ट और अमेरिकी सेना की कप्तान नोएल बार्टले

प रंपरागत रूप से, संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना ने समुद्री संदर्भों में मुख्यतः सहायक कार्यों तक ही सीमित अपनी भूमिका के मद्दे नज़र भूमि-आधारित सैनिक कार्रवाइयों पर ध्यान केंद्रित किया है। निस्संदेह, सेनाओं को इसी काम के लिए बनाया गया है। हालाँकि, विशेष रूप से इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में, बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता और उभरते ख़तरों के लिए व्यापक परिचालन दायरे और समुद्री नियंत्रण में सेना की भूमिका के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।

यू.एस. नेवल वॉर कॉलेज के प्रोफ़ेसर मिलान वेगो (Milan Vego) द्वारा समुद्री नियंत्रण को, “खुली शत्रुता के समय सैन्य और सैन्येतर प्रयोजनों के लिए जल निकाय के किसी निश्चित भाग और उससे संबंधित वायु क्षेत्र का उपयोग करने की क्षमता” के रूप में परिभाषित किया गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें युद्ध शक्ति का प्रक्षेपण और उसे बनाए रखना तथा महत्वपूर्ण समुद्री संचार लाइनों (SLOC) की सुरक्षा शामिल है। अब सेना द्वारा निष्पादित अनेक अभियानों और कार्यों के लिए समुद्री नियंत्रण आवश्यक है। इसलिए, सेना को समुद्री नियंत्रण के लिए अधिक प्रमुख और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और स्वायत्त प्रणालियों में सेना की क्षमताएँ और तकनीकी प्रगति इस दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं। समुद्री परिचालन के लिए AI और स्वचालित प्लेटफ़ॉर्मों में निवेश करके, सेना अपनी संयुक्त युद्ध क्षमताओं को बढ़ा सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा, परिचालन प्रभावशीलता और रणनीतिक प्रतिरोधक्षमता में सुधार कर सकती है।

मार्च 2024 में कैलिफ़ोर्निया के फ़ोर्ट इरविन में प्रयोग के दौरान उड़ान के बाद घोस्ट-X मानवरहित हवाई प्रणाली को ले जाता हुआ एक अमेरिकी सैनिक।
सार्जेंट चार्ली ड्यूक (Charlie Duke)/अमेरिकी सेना

भू-राजनीतिक संदर्भ 

इंडो-पैसिफ़िक भू-राजनीतिक तनाव का केन्द्र बिन्दु बन गया है, जिसमें स्व-शासित द्वीप ताइवान संभावित संघर्ष परिदृश्यों के केन्द्र में है। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन) ताइवान को बलपूर्वक हड़पने की धमकी दे रहा है और बीजिंग अपनी बढ़ती अवैध, ज़ोर-ज़बरदस्ती, आक्रामक और भ्रामक गतिविधियों से ताइवान जलडमरूमध्य की शांति और स्थिरता को ख़तरे में डाल रहा है। एक प्रमुख चिंता यह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) महत्वपूर्ण व्यापार बाज़ारों तक पहुँच को सीमित करके वैश्विक अर्थव्यवस्था को ख़तरे में डालने की इच्छा और क्षमता रखती है।

ताइवान जलडमरूमध्य में ख़तरों के अलावा, ईरान की समुद्री क्षमताओं में प्रगति, जिसमें उसके नौसैनिक जहाज़ों को उन्नत मिसाइल प्रणालियों से सुसज्जित करना भी शामिल है, ऊर्जा संसाधनों और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए महत्वपूर्ण अवरोध बिंदुओं को जोखिम में डालती है। ये ख़तरे अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्रों तथा साझेदारों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं, जो 560 हज़ार करोड़ ($5.6 ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक के वार्षिक अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए व्यापार साझेदारों और संरक्षित शिपिंग मार्गों पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।

सत्तावादी शासन समुद्री आर्थिक परिवेश को इस तरह से आकार देने में निवेश कर रहे हैं जो अमेरिका और साझेदार राष्ट्रों के उद्देश्यों के विपरीत है। संभावित शत्रुओं, विशेष रूप से चीन की बढ़ती समुद्री क्षमताओं को देखते हुए, अमेरिकी सेना की समुद्री नियंत्रण क्षमताएँ, समुद्री रणनीति, सामरिक गोलीबारी और सामरिक युद्धाभ्यास को एकीकृत करने वाले बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता और निवारण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती हैं।

अमेरिका कमज़ोरियों को पहचानता है और उन्हें कम करने का प्रयास कर रहा है। उदाहरण के लिए, अमेरिकी सेना ने पूरे इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में उपकरणों का भण्डार जमा किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें 330 वाहन और ट्रेलर तथा गोदामों में रखे 130 कंटेनर शामिल हैं, जो 500 से अधिक सैनिकों को आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं। इससे नवोन्मेषी समाधान और प्रभावी संयुक्त सैनिक कार्रवाइयों की आवश्यकता उजागर होती है। इसके अलावा, सेना ने कहा कि वह “लोगों, उपकरणों और आपूर्ति की सुरक्षा के लिए अन्य सेवाओं पर निर्भर है।”

सेना की रणनीति को समुद्री परिचालन की ओर स्थानांतरित करने से रसद व्यवस्था मज़बूत होगी और आक्रमण को रोकने के लिए संवितरित गोलीबारी, काउंटर फ़ायर और युद्धाभ्यास संरचना उपलब्ध होगी तथा संयुक्त सेना को अधिक व्यवहार्य समर्थन मिलेगा। सेना की रसद संबंधी विशेषज्ञता, AI और स्वायत्त प्रणालियों में प्रगति के साथ मिलकर, उसे इस चुनौती से निपटने की स्थिति में रखती है। समुद्री नियंत्रण में अपनी भूमिका को बढ़ाकर, सेना SLOCs की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकती है, जिससे सुरक्षा मज़बूत होगी। 

गतिशील क्षमताएँ

अमेरिकी सेना के अनुसार, समुद्री ख़तरों का जवाब देने के लिए “अत्यधिक गतिशील क्षमताओं की आवश्यकता होती है, जो दुश्मन सैन्य बलों पर शीघ्रता से व्यापक प्रभाव डाल सकें।” 2022 में, सेना ने वियतनाम युद्ध-युग के लैंडिंग क्राफ़्ट मैकेनाइज़्ड-8 को बदलने के लिए मैन्युवर सपोर्ट वेसल (लाइट) पेश किया। नया जहाज़ तटीय परिवेश में उपकरण और आपूर्ति का परिवहन करता है तथा विभिन्न परिस्थितियों में 20 नॉट्स (लगभग 37 किलोमीटर) प्रति घंटे से अधिक की गति से कार्य कर सकता है, जो इसके पूर्ववर्ती जहाज़ की तुलना में दोगुनी गति है। यह जलयान नूतन जहाज़ों की शृंखला में पहला है। इन और अन्य चालक क्षमताओं को नए AI हथियारों और रसद परिसंपत्तियों के साथ एकीकृत करने से परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने हेतु बहुमुखी दृष्टिकोण उपलब्ध होता है। AI और मानवरहित या न्यूनतम मानवयुक्त प्रणालियाँ रसद और पुनःपूर्ति; खुफ़िया जानकारी, निगरानी और टोही (ISR); तथा मारक क्षमता और सटीक हमलों में क्षमताओं को बढ़ा सकती हैं। 

रसद और पुनःपूर्ति: AI परिसंपत्ति प्रबंधन को सुव्यवस्थित कर सकता है, आवश्यकताओं की शीघ्र पहचान कर सकता है तथा आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग कर सकता है। उदाहरण के लिए, वाणिज्यिक क्षेत्र में, AI पूर्ति आवश्यकताओं के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए गोदाम और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन कार्यों को बढ़ा रहा है। 

इसके अलावा, संयुक्त सामरिक स्वायत्त हवाई पुनःपूर्ति प्रणाली जैसी मानवरहित रसद प्रणालियाँ, जो जहाज़ों और तट-आधारित इकाइयों के बीच आपूर्ति का परिवहन कर सकती हैं, मानवयुक्त काफ़िलों की आवश्यकता को कम करती हैं। जलयानों का मोबाइल आपूर्ति केंद्रों के रूप में उपयोग करके, सेना संवितरित और प्रतिरोधक्षम आपूर्ति नेटवर्क स्थापित कर सकती है, जिन्हें बाधित करना शत्रुओं के लिए अधिक कठिन होगा।

ISR: कई सेनाएँ ISR-संबंधित कार्यों के लिए मानवरहित, AI-संवर्धित प्रणालियों का उपयोग करती हैं, जिसमें मनुष्यों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से विशाल मात्रा में डेटा का विश्लेषण और व्याख्या करना शामिल है। यद्यपि इन प्रणालियों को अभी भी मानव ऑपरेटरों, रखरखाव सहायता और प्रबंधन की आवश्यकता होती है, फिर भी वे युद्धकर्मियों को अधिक सुरक्षित या समर्थित स्थानों से संचालन करने की अनुमति देकर उनके लिए जोखिम को कम करते हैं। जलयानों का कमान और नियंत्रण केंद्र के रूप में प्रयोग करने से, जो AI-संचालित प्रणालियों से डेटा प्राप्त करते हैं, सेना को संयुक्त और संबद्ध सैन्य बलों को कार्रवाई योग्य खुफ़िया जानकारी प्रसारित करने की अनुमति मिलती है। मानवरहित हवाई, सतही और पानी के नीचे चलने वाले वाहन निगरानी और टोही कार्य कर सकते हैं, उच्च जोखिम वाले परिवेश में ख़तरों का पता लगा सकते हैं और उनकी पहचान कर सकते हैं, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम हो जाता है। जलयान क्षमताएँ इन परिसंपत्तियों को तैनात और पुनर्प्राप्त कर सकती हैं, जिससे मिशन की सीमा और अवधि बढ़ सकती है। एकत्रित डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है और उसे कमांड नोड्स में वितरित किया जा सकता है, साथ ही इसका उपयोग लक्ष्यों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।

मारक क्षमता और सटीक हमले: AI और मशीन लर्निंग सेंसरों और संचार प्रणालियों से प्राप्त डेटा को संसाधित करके निर्णय लेने में सहायता करके सटीक हमलों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं। ये परिसंपत्तियाँ सेना को यह निर्धारित करने में सहायता करती हैं कि कब, कहाँ और कैसे लक्ष्य पर हमला करना है। 

टेनेसी में दिसंबर 2023 में आयोजित आर्मी टेक्निकल एक्सचेंज मीटिंग 9 में विशेषज्ञों के अनुसार, स्विचब्लेड 600 और वार्मेट ड्रोन की स्वायत्त घूमने और लक्ष्य प्राप्ति क्षमताएँ सामरिक लाभ प्रदान करती हैं। यूक्रेन में, AI का उपयोग उपग्रह इमेजरी के साथ लक्ष्य और वस्तु पहचान को एकीकृत करने और खुले स्रोत डेटा का भौगोलिक स्थान निर्धारण और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है, जिससे रूसी सैनिकों, हथियारों, प्रणालियों, इकाइयों और उनकी गतिविधियों की तेज़ी से पहचान करने में मदद मिलती है। इन क्षमताओं के साथ-साथ अन्य लंबी दूरी की सटीक फ़ायरिंग को जलयान से संचालित किया जा सकता है, जिससे अमेरिकी सेना को अधिक लचीले और तीव्र प्रतिक्रिया विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे। वे विभिन्न क्षेत्रों से समन्वित हमले करने की भी अनुमति देते हैं, जिससे आक्रामक अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।

AI-संवर्धित प्लेटफ़ॉर्मों की सापेक्षिक लागत-प्रभावशीलता उन्हें सेना की समुद्री भूमिका का विस्तार करने के लिए व्यवहार्य बनाती है। परिचालन क्षमताओं में दीर्घकालिक लाभ और जोखिम में कमी निवेश को उचित ठहराते हैं।  अपने प्रमुख आधुनिकीकरण अभियान, प्रॉजेक्ट कन्वर्जेंस के अंतर्गत, अमेरिकी सेना संयुक्त सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लंबी दूरी की फ़ायरिंग, ड्रोन, स्वायत्त लड़ाकू वाहनों, अगली पीढ़ी के सेंसर और अन्य प्रौद्योगिकियों के साथ प्रयोग कर रही है। 

फरवरी 2024 में कैलिफ़ोर्निया के कैंप पेंडलटन में प्रदर्शित एक स्वायत्त कम-प्रोफ़ाइल पोत, जो रसद और उपकरण वितरित कर सकता है। केविन रे जे. साल्वाडोर (Kevin Ray J. Salvador)/यू.एस. मरीन कॉर्प्स

ऐतिहासिक मिसालें

आज की सेना समुद्री नियंत्रण के लिए नए दृष्टिकोण की संकल्पना करने और उसे अपनाने के लिए इतिहास से प्रेरणा ले सकती है। 

1904-05 के रुसी-जापानी युद्ध के दौरान समुद्र पर नियंत्रण शाही जापान की जीत में निर्णायक था, जिससे उसे सैन्य सहायता सुनिश्चित करने, रूसी सेनाओं को अलग-थलग करने, समुद्री युद्ध जीतने और प्रभावी जलस्थलीय अभियान चलाने में मदद मिली। इससे जापान को महत्वपूर्ण स्थानों पर ज़मीनी सैन्य बलों को केंद्रित करके, कुशलतापूर्वक सैनिकों को स्थानांतरित करके भूमि संचालन को जारी रखने की क्षमता प्राप्त हुई।

इस युद्ध ने भावी संघर्ष के लिए एक मिसाल क़ायम की। जिस सीमा तक सेना SLOCs को सुरक्षित कर सकती है, विशेष रूप से अपेक्षाकृत कम दूरी पर, जैसे कि घनीभूत द्वीप शृंखलाओं के बीच या छोटे या क्षेत्रीय जल निकायों द्वारा अलग किए गए भूमि-आधारित स्थानों के बीच, वह संयुक्त बल में अधिक कुशलतापूर्वक योगदान दे सकती है। संक्षेप में, सेना समुद्री नियंत्रण सेवाओं की प्राप्तकर्ता के बजाय शक्ति प्रदाता बन जाती है। 

द्वितीय विश्व युद्ध की सैनिक कार्रवाइयों ने, जैसे कि फ़्रांस के नॉरमैंडी में डी-डे लैंडिंग, अमेरिकी सेना की बड़े पैमाने पर जलस्थलीय हमले करने और विवादित समुद्री परिवेश में संचालन जारी रखने की क्षमता को प्रदर्शित किया। 6 जून 1944 को हुआ आक्रमण इतिहास का सबसे बड़ा जलस्थलीय हमला तथा युद्ध में महत्वपूर्ण मोड़ था। इस आक्रमण की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में अमेरिकी सेना की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसमें 156,000 से अधिक मित्र देशों की सेना के साथ लगभग 7,000 जहाज़ और लैंडिंग जहाज़ शामिल थे। 

अमेरिकी सेना और नौसेना ने सैन्य बलों के परिवहन में सहयोग किया तथा सैन्य टुकड़ियों के उतरने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ बनाने के लिए वायु और नौसैना की शक्ति का प्रयोग किया। इस ऑपरेशन से इंग्लिश चैनल पर नियंत्रण प्राप्त हुआ और यूरोप में मित्र देशों की सेनाओं का तेज़ी से निर्माण हुआ, जिसके परिणामस्वरूप फ़्रांस को मुक्ति मिली और नाज़ी जर्मनी की अंततः पराजय हुई।  

ऐसे उदाहरण भूमि संचालन को सक्षम बनाने में समुद्री नियंत्रण के महत्व को दर्शाते हैं। समुद्री नियंत्रण मिशन में अमेरिकी सेना की अधिक प्रमुख भूमिका से संयुक्त बल को सैन्य सहायता प्रदान करने, SLOCs की सुरक्षा करने तथा आवागमन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। अंततः, इससे थल सैनिकों की तैनाती और प्रावधान संभव हो जाता है। रणनीतिक, परिचालनात्मक और तकनीकी लाभ स्पष्ट हैं। आधुनिक युद्ध में, भूमि, समुद्र और वायु क्षेत्रों के बीच अंतर तेज़ी से धुँधला होता जा रहा है, तथा एक क्षेत्र में सफलता अक्सर अन्य क्षेत्रों पर नियंत्रण और प्रभाव पर निर्भर करती है। समुद्री नियंत्रण में अपनी भूमिका को अपनाकर, सेना यह सुनिश्चित कर सकती है कि उसके स्थलीय संचालन को मज़बूत समुद्री क्षमताओं का समर्थन प्राप्त हो, जिससे समग्र संयुक्त बल प्रभावशीलता में वृद्धि होगी। 

  इससे थल सेना का भूमि संचालन पर ध्यान कम नहीं होगा; बल्कि, इससे यह मान्यता प्राप्त होगी कि भूमि पर सफलता के लिए समुद्र पर नियंत्रण आवश्यक है। महत्वपूर्ण SLOC को सुरक्षित करके, जलस्थलीय अभियानों को समर्थन देकर तथा संवितरित गोलीबारी एवं युद्धाभ्यास क्षमता प्रदान करके, सेना संयुक्त अभियानों की सफलता को बेहतर ढंग से सुनिश्चित कर सकती है। इससे सेना के परिचालनात्मक लचीलेपन में सुधार होता है और इंडो-पैसिफ़िक जैसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुरक्षा और निवारण की अतिरिक्त परतें उपलब्ध होती हैं। यह समग्र दृष्टिकोण ऐसे युग में आवश्यक है जहाँ वैश्विक ख़तरे परस्पर जुड़े हुए हैं और सभी क्षेत्रों में सैनिक कार्रवाइयाँ सामान्य बात है।  


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