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सहयोग से मज़बूत हुए जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका के बीच संबंध

जा पान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका क्षेत्रीय ख़तरों के जवाब में सुरक्षा संबंधों को मज़बूत कर रहे हैं।

राष्ट्रों ने उत्तर कोरिया के परमाणु उकसावे के मद्देनज़र डिफ़ेंस इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ावा देने तथा क्षेत्रीय व वैश्विक शांति की रक्षा के लिए फ़्रीडम एज अभ्यास का विस्तार करने का संकल्प लिया। जून 2024 में अपने पहले आयोजन में, त्रिपक्षीय अभ्यास में समुद्री, वायु और साइबर ख़तरों का मुक़ाबला करने हेतु अभ्यास के लिए कर्मियों, जहाज़ों और विमानों को जुटाया जाएगा। 

अवैध क्षेत्रीय दावों को लेकर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) की बढ़ती आक्रामकता के बीच तीनों देशों के तटरक्षक जहाज़ों ने जून 2024 में जापान के तट पर एक युद्ध अभ्यास भी किया।  

सियोल, टोक्यो और वाशिंगटन ने रक्षा मंत्रियों की नियमित बैठकें आयोजित करने तथा सहयोग के लिए सुदृढ़ रूपरेखा सुनिश्चित करने का वचन दिया है। 

इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र की सुरक्षा को ख़तरे में डालने वाली बात यह है कि चीन दक्षिणी चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है, जबकि 2016 में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने क्षेत्रीय दावे को अमान्य क़रार दिया था। टोक्यो ने ताइवान के आसपास पीआरसी की अवैध, बलपूर्वक, आक्रामक और भ्रामक रणनीति के जवाब में दक्षिण-पश्चिमी जापान में सुरक्षा को मज़बूत किया है। ताइवान एक स्व-शासित द्वीप है जिस पर बीजिंग अपना दावा करता है। 

पीआरसी नियमित रूप से पूर्वी चीन सागर में जापान प्रशासित सेनकाकू द्वीप समूह के आस-पास के जलक्षेत्र में तटरक्षक जहाज़ भी भेजता है। 

इस बीच, विश्लेषकों का कहना है कि रूस के साथ उत्तर कोरिया का अवैध सैन्य सहयोग इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र और पूरी दुनिया में स्थिरता को ख़तरे में डालता है।  स्टाफ़ और समाचार एजेंसी की रिपोर्ट


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