द्वीपीय सुरक्षा
मुक्त और खुले क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं ब्लू पैसिफ़िक के राष्ट्र

फ़ोरम स्टाफ़
पा पुआ न्यू गिनी (पीएनजी) 16 सितंबर, 2025 को ऑस्ट्रेलिया से अपनी स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ मनाएगा। इमारतों को लाल, काले और सुनहरे राष्ट्रीय रंगों में रंगा जाएगा और एक औपचारिक ध्वजारोहण, परेड, खेल कार्यक्रम, संगीत, नृत्य और वेशभूषा के साथ सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाने का कार्यक्रम है।
समाचारों के अनुसार, रिहर्सल 2023 में शुरू हुई जब देश के कार्मिक प्रबंधन विभाग ने सरकारी संगठनों से 48वीं वर्षगांठ का उपयोग कर “अगले दो वर्षों के लिए गति निर्धारित करने” का आग्रह किया। 50वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम में यूनाइटेड किंगडम के राजा चार्ल्स III (Charles III), पीएनजी की संवैधानिक राजशाही के प्रमुख शामिल हो सकते हैं, जिन्हें पीएनजी प्रधानमंत्री जेम्स मारापे (James Marape) ने समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। ब्रिटेन ने 1884 में पापुआ पर कब्ज़ा कर लिया था और 20वीं सदी की शुरुआत में प्रशासन ऑस्ट्रेलिया को सौंप दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पापुआ और पड़ोसी न्यू गिनी को एक प्रशासन में मिला दिया।
पीएनजी सबसे बड़े ब्लू पैसिफ़िक देशों में से एक है और एक संसाधन-संपन्न द्वीपसमूह है, जो रणनीतिक रूप से इंडो-पैसिफ़िक के केंद्र में स्थित है। यह अमेरिका का एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन अन्य प्रशांत द्वीप देशों की तरह, लेकिन यह रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (पीआरसी) से चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो जोखिमपूर्ण ऋण की पेशकश करता है।
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, एक दर्जन द्वीप देशों की आर्थिक वृद्धि 2024 और 2025 में धीमी होने का अनुमान लगाया गया है, क्योंकि कोविड-19 के कारण पर्यटन, घरेलू खपत और विदेश से श्रमिकों द्वारा भेजे गए धन में कमी आ गई है। अमेरिका स्थित पैसिफ़िक फ़ोरम थिंक टैंक ने कहा, राष्ट्र “दुनिया के सबसे अधिक सहायता पर निर्भर देशों में से हैं”, और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे के ख़र्च में पर्याप्त ज़रूरतों का सामना करना पड़ता है। चुनौतियों के कारण विकासशील देश पीआरसी के जबरन नियंत्रण और ऋण कूटनीति से प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है।
विश्लेषक, जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एशियाई अध्ययन में संकाय सदस्य और ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पैसिफ़िक मामलों के विभाग में संकाय सदस्य पेट्रीशिया ओ’ब्रायन (Patricia O’Brien) और पीएनजी में स्थित भू-राजनीतिक परामर्श कंपनी के सीईओ व संस्थापक डौवेरी हेनाओ (Douveri Henao) ने जून 2024 में द डिप्लोमेट पत्रिका में एक लेख में लिखा था, “समूचा पैसिफ़िक क्षेत्र प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति बनने के चीन के बहुआयामी अभियान और उसके ख़िलाफ़ एकजुट हो रहे राष्ट्रों के गठबंधन के बीच फंसा हुआ है।”

पूर्वी एशिया के लिए तत्कालीन अमेरिकी सहायक उप रक्षा सचिव सिद्धार्थ मोहनदास ने जुलाई 2023 में अमेरिकी संसद में कहा था,”सबसे व्यापक चुनौती जिसका हम सामना कर रहे हैं… वह है [पीआरसी का] जबरन हस्तक्षेप और अपने हितों के अनुरूप इंडो पैसिफ़िक क्षेत्र की यथास्थिति तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने के तेज़ी से बढ़ते आक्रामक प्रयास।” पीआरसी “इंडो-पैसिफ़िक में अमेरिकी गठबंधनों और साझेदारियों को चुनौती देना चाहता है और अपने पड़ोसियों को मजबूर करने और उनके हितों को ख़तरे में डालने के लिए – अपने आर्थिक प्रभाव समेत – बढ़ती क्षमताओं का लाभ उठाना चाहता है।”
ब्लू पैसिफ़िक देशों का आकार 21 वर्ग किलोमीटर के नाउरू से लेकर पीएनजी के 462,000 वर्ग किलोमीटर तक है। वे 18-सदस्यीय क्षेत्रीय सहकारी एजेंसी का हिस्सा हैं, जिसे पैसिफ़िक आइलैंड्स फ़ोरम (पीआईएफ़) के नाम से जाना जाता है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड भी शामिल हैं। अन्य सदस्य कुक आइलैंड्स, फ़ेडरेटेड स्टेट्स ऑफ़ माइक्रोनेशिया, फ़िजी, फ़्रेंच पोलिनेशिया, किरिबाती, मार्शल आइलैंड्स, न्यू कैलेडोनिया, नीयू, पलाऊ, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालु और वानुअतु हैं।
पीआईएफ के ब्लू पैसिफ़िक प्लान के अनुसार, पैसिफ़िक द्वीपीय देशों में, “जलवायु परिवर्तन हमारे लिए सबसे बड़ा सुरक्षा ख़तरा बना हुआ है।” इसमें क्षेत्र को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और संरक्षित बनाने की देशों की रणनीति का वर्णन किया गया है, जिसके तहत राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान हो और लोगों, समुदायों व राष्ट्रों को अपने क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने का अवसर मिले। इसमें सुरक्षा चुनौतियों के लिए ब्लू पैसिफ़िक के साथ समन्वय के माध्यम से प्रतिक्रिया देने का भी आह्वान किया गया है। इसका मतलब है कि रणनीति में जलवायु परिवर्तन और प्रतिकूल मौसमी घटनाओं जैसे चक्रवात, सूखा, बाढ़, समुद्र के स्तर में वृद्धि और समुद्र के अम्लीकरण समेत वर्तमान व भविष्य के आपदा प्रभावों से निपटना शामिल है। यह आपदाओं के प्रति मानवीय प्रतिक्रियाओं के समन्वय को भी बढ़ावा देती है।
अमेरिका ने 2022 की शुरुआत में अपनी पहली इंडो-पैसिफ़िक रणनीति के तहत ब्लू पैसिफ़िक देशों के साथ संबंध बढ़ाए, जिसमें राजनयिक मिशनों का विस्तार, फिजी में यूएस एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) मिशन की स्थापना, पीआईएफ़ के लिए एक दूत की नियुक्ति, लचीलापन बढ़ाना, समुद्री सुरक्षा का समर्थन करना और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने का आह्वान आदि शामिल है। सितंबर 2023 में, ब्लू पैसिफ़िक देशों के नेता पैसिफ़िक द्वीपीय देश-यू.एस. सम्मेलन के लिए वाशिंगटन, डी.सी में जुटे।
सम्मेलन के दौरान 20 साल तक प्रदर्शनी मैचों और युवा कार्यक्रमों के लिए अमेरिकी नौसैन्य अकादमी रग्बी टीम को फ़िजी, समोआ और टोंगा भेजने, मार्शल आयलैंड्स, माइक्रोनेशिया और पलाऊ को 6.5 अरब (6.5 बिलियन) डॉलर का आर्थिक सहायता पैकेज देने पर चर्चा हुई।
पीएनजी के लिए निर्धारिित कार्यक्रमों में शामिल था:
आपदा प्रतिक्रिया में तेजी लाने, सुरक्षा सहयोग बढ़ाने और पीएनजी रक्षा बल (पीएनजीडीएफ़) क्षमताओं में सुधार करने के लिए संयुक्त बुनियादी ढांचा बनाने को लेकर अमेरिकी इंडो-पैसिफ़िक कमांड (USINDOPACOM) टीम की अप्रैल और मई 2024 की यात्रा।

अमेरिका की मई 2024 में घोषणा की कि वह लॉस नेग्रोस द्वीप पर पीएनजीडीएफ़ के लोम्ब्रम नौसेना बेस पर तीन परियोजनाओं पर 2.5 करोड़ (25 मिलियन) डॉलर तक खर्च करेगा। इन परियोजनाओं में क्षेत्रीय समुद्री प्रशिक्षण केंद्र और छोटी नौका सुविधा का निर्माण; और एक घाट का नवीनीकरण शामिल है। ऑस्ट्रेलिया भी आधारभूत ढाँचे के पुनरुद्धार में सहयोग कर रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीएनजी और अमेरिका ने मई 2023 में एक रक्षा सहयोग समझौते के साथ-साथ अवैध रूप से मछली पकड़ने, मादक पदार्थों की तस्करी, प्रवासियों की तस्करी और सामूहिक विनाश के हथियारों के अवैध परिवहन समेत अंतरराष्ट्रीय समुद्री ख़तरों का मुक़ाबला करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। द्विपक्षीय समुद्री क़ानून प्रवर्तन समझौते के तहत, पीएनजी और अमेरिकी तट रक्षक अधिकारियों ने 24 लाख (2.4 मिलियन) वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले पीएनजी के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईज़ेड) की सुरक्षा के लिए समुद्री गश्त को लेकर सहयोग किया।
मारापे ने जुलाई 2023 में संवाददाताओं से कहा था, “यह सिर्फ सैन्य स्तरीय कार्यक्रमों की बात नहीं है।” मरापे ने कहा कि पीएनजी के दृष्टिकोण से, ये समझौते आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में एक कदम हैं और इनसे “अवैध मछली पकड़ने व अवैध वन परिवहन से हमारे जलक्षेत्र की सुरक्षा होगी,अंतरराष्ट्रीय अपराधों से हमारी अर्थव्यवस्था, सीमाओं की हिफ़ाज़त होगी, और यह सुनिश्चित होगा कि हम अपने देश में आने वाले प्रत्येक आगंतुक का हिसाब रखते हुए अपनी रक्षा शक्ति बढ़ा रहे हैं।”
दीर्घकालिक सुरक्षा संबंध
ब्लू पैसिफ़िक देशों की सुरक्षा साझेदारियाँ द्वितीय विश्व युद्ध के समय की हैं, जब सोलोमन द्वीपवासियों ने हवाई क्षेत्र बनाने के लिए अमेरिकी और मित्र देशों की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था; पापुआ और न्यू गिनी वासियों ने कोकोडा ट्रेल पर ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के लिए सामग्री भेजी थी, और फ़िजियन इन्फ़ैन्ट्री रेजिमेंट ने बोगेनविले में न्यूज़ीलैंड और अमेरिकी सेना की सहायता की थी। शीत युद्ध के बाद इस क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान कम हो गया, लेकिन वैश्विक साझेदार समुद्री सुरक्षा बढ़ाने, संसाधनों की रक्षा करने और अवैध रूप से मछली पकड़ने को रोकने के लिए प्रशांत द्वीप समूह पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
व्हाइट हाउस ने सितंबर 2023 में पैसिफ़िक आईलैंड्स सम्मेलन से पहले कहा था , “मछलियाँ पकड़ने के अवैध और हानिकारक तौर-तरीक़े समुद्री व्यवस्था के लिए सबसे बड़े ख़तरे में से एक हैं और इससे मत्स्य पालन के पतन या गिरावट आती है, जबकि मत्स्य पालन कई पैसिफ़िक द्वीपीय देशों के आर्थिक विकास, खाद्य प्रणालियों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन तौर-तरीक़ों से मछलियों भंडार की स्थिरता प्रभावित होती है, संरक्षण और प्रबंधन उपाय विफल हो जाते हैं, और अक्सर जबरन श्रम व अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होना पड़ता है।”
बारह पैसिफ़िक द्वीपीय देशों के समुद्री सुरक्षा के लिए अमेरिकी के साथ द्विपक्षीय समुद्री क़ानून प्रवर्तन समझौते हैं, समझौते को कभी-कभी शिपराइडर्स के रूप में जाना जाता है। कई समझौतों में एक प्रावधान से एक पक्ष के क़ानून प्रवर्तन अधिकारियों को मछली पकड़ने की निगरानी और कुछ क़ानून प्रवर्तन कार्यों का संचालन करने के अधिकार के तहत दूसरे पक्ष के जहाज़ों निगरानी पर रखने की अनुमति मिलती है। कुक आइलैंड्स और अमेरिका ने 2008 में इंडो-पैसिफ़िक के पहले शिपराइडर प्रयास की स्थापना की। अमेरिकी तटरक्षक जिस समझौते के माध्यम से मेज़बान देश के क़ानूनों को लागू करने में सहायता करता है, वह अब USINDOPACOM की थिएटर सुरक्षा सहयोग पहल का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाना है।

डेनियल के. इनौये एशिया-पैसिफ़िक सेंटर फ़ॉर सिक्योरिटी स्टडीज़ के प्रोफेसर डॉ. अल ओहलर्स (Dr. Al Oehlers) ने फ़ोरम को बताया कि द्विपक्षीय समुद्री क़ानून प्रवर्तन समझौते “बहुत मूल्यवान” हैं। “इन सभी देशों के पास बहुत बड़े समुद्री विशेष आर्थिक क्षेत्र हैं इसलिए इन ईईजे़ड पर संप्रभुता बनाए रखना हमेशा एक बहुत बड़ी चुनौती है। वे सभी छोटे राष्ट्र हैं। उन सभी के पास सीमित संसाधन हैं।”
द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से अमेरिकी संपत्तियों, विशेष रूप से तट रक्षक जहाज़ों और सैनिकों को ब्लू पैसिफ़िक देशों के संप्रभु अधिकारों की रक्षा करने में उनकी सहायता करने की अनुमति मिलती है। प्रत्येक राष्ट्र को लाभ होता है। अमेरिका किसी देश के रक्षा, न्याय और संसाधन प्रबंधन मंत्रालयों के साथ मिलकर गहरे कामकाजी संबंध विकसित करता है, जिससे संभावित रूप से आगामी प्रतिबद्धताओं का रास्ता आसान हो जाता है। ब्लू पैसिफ़िक राष्ट्रों को, विस्तृत ईईजे़ड पर अवैध रूप से मछली पकड़े जाने के कारण अक्सर पुलिस व्यवस्था की समस्या का सामना करना पड़ता है, ऐसे में उन्हें अपने समुद्री संसाधनों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाती है। विशेषज्ञों ने कहा है कि पीआरसी का 4,600 जहाज़ों का सुदूर जल बेड़ा दुनिया का सबसे बड़ा है, और चीनी मछली पकड़ने वाले जहाज़ अक्सर अन्य देशों के ईईजे़ड पर अतिक्रमण करते हैं।
पैसिफ़िक महासागर सबसे महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों में से एक है जो आर्थिक विकास को बनाए रख सकता है। अमेरिका जैसे सहयोगी देश समुद्री क्षेत्र जागरूकता को बढ़ावा दे सकते हैं और विकास के लिए ब्लू पैसिफ़िक देशों की भागीदार क्षमता का निर्माण कर सकते हैं।
अमेरिका इस क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से मज़बूत कर
रहा है।
वाशिंगटन, डी.सी. में स्थित थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ के चार्ल्स एडेल (Charles Edel) और कैथरीन पाइक (Kathryn Paik) ने मार्च 2024 में लिखा था, “अमेरिका के पैसिफ़िक क्षेत्र के साथ दोबारा जुड़ाव का उद्देश्य न केवल नई पहल और सहायता है, बल्कि निरंतरता के आधार पर अमेरिकी उपस्थिति और प्रतिबद्धता को संस्थागत बनाना है।” परिवर्तनों के बीच, अमेरिका ने फ़रवरी 2023 में अपने सोलोमन द्वीप दूतावास को फिर से खोल दिया।
2022 में, सोलोमन द्वीप ने पीआरसी के साथ एक गुप्त सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो बीजिंग और एक पैसिफ़िक देश के बीच पहला समझौता था। पाँच साल के समझौते के तहत होनियारा को सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने और मानवीय सहायता के लिए पीआरसी पुलिस और सशस्त्र बलों से अनुरोध करने की अनुमति है। यह इस बात का संकेत है कि पीआरसी इंडो-पैसिफ़िक में अपनी उपस्थिति का विस्तार करना चाहती है। इस क्षेत्र के लिए सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इस समझौते से बीजिंग को ऑस्ट्रेलिया से 2,000 किलोमीटर की दूरी पर सैन्य उपस्थिति स्थापित करने का अवसर मिल जाएगा।
सोलोमन द्वीप समूह तीन प्रशांत द्वीप देशों में से एक है, जो 2019 के बाद से ताइवान से राजनयिक संबंध खत्म करके पीआरसी के साथ हो गए, उसी वर्ष किरिबाती और 2024 में नाउरू ऐसे देशों में शामिल हो गया था। कारण आर्थिक थे। किरिबाती की कार्रवाई के बाद, पीआरसी ने कहा कि वह किरिबाती के सुदूर द्वीप कांटन पर एक हवाई पट्टी और पुल बनाएगा। नाउरू 2002 के बाद से तीन बार कभी ताइवान तो कभी पीआरसी के साथ राजनयिक संबंध बना और ख़त्म कर चुका है।
सितंबर 2023 में, पीएनजी-यू.एस. सुरक्षा समझौते के ठीक तीन महीने बाद सीसीपी ने पोर्ट मोरेस्बी को पुलिस बल के लिए प्रशिक्षण, उपकरण और निगरानी प्रौद्योगिकी के तौर पर सहायता की पेशकश की। इसके बावजूद, पीएनजी ने दिसंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत कैनबरा ने पीएनजी के पुलिस बल को विस्तार देने के लिए 20 करोड़ (200 मिलियन) डॉलर देने का वादा किया। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने बाद में कहा कि उनका देश पीएनजी का “पसंदीदा सुरक्षा भागीदार” है।
गै़र-पारदर्शी अर्थशास्त्र
सीसीपी के साथ आर्थिक संबंधों में काफ़ी जोखिम होते हैं। विश्लेषक इसे ऋण-जाल कूटनीति कहते हैं – फंसाने वाले ऋण जो संप्रभुता को नष्ट करते हैं। इनका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों, नए बाज़ारों या अपनी सेना के लिए संभावित सुविधाओं तक पीआरसी की पहुंच को सुरक्षित करना होता है।

असिस्टेंट स्टेट सेक्रेटरी डैनियल क्रिटेनब्रिंक (Daniel Kritenbrink) ने मार्च 2024 में अमेरिकी सीनेट समिति को बताया था, प्रशांत क्षेत्र में सीसीपी के पुलिसिंग समझौते “गै़र-पारदर्शी और अत्यधिक चिंताजनक” हैं और ब्लू पैसिफ़िक देशों को बीजिंग के साथ आर्थिक समझौतों के बारे में “सावधानीपूर्ण व स्पष्ट नज़रिया” रखना चाहिए। “चीन अक्सर कई वादे करता है जो अधूरे रह जाते हैं और इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।”
ऑस्ट्रेलियन फ़ाइनेंशियल रिव्यू समाचार पत्र की ख़बर में कहा गया है कि उदाहरण के लिए, वानुअतु में, मई 2024 में राष्ट्रीय एयरलाइन का पतन पीआरसी के ऋण से जुड़ा था। एयरलाइन इसलिए बंद हो गई क्योंकि सरकारी अधिकारियों ने बुनियादी ढांचे के लिए पीआरसी से मिले क़र्ज़ को चुकाने के लिए ख़र्चों में ज़रूरत से ज़्यादा कटौती की। उस समय पीआरसी, ऑस्ट्रेलिया के बाद वानुअतु का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक सहयोगी था, जिसने साउथ पैसिफ़िक के सबसे बड़े घाट के लिए 9 करोड़ (90 मिलियन) डॉलर समेत 48.3 करोड़ (483 मिलियन) की सहायता और ऋण प्रदान किया था।
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे सहयोगी और भागीदार एक अलग आर्थिक योजना पेश करते हैं जिसका उद्देश्य प्रशांत द्वीप उद्यमों को बढ़ावा देने में मदद करना है। यू.एस. पेसिफ़िक पार्टनरशिप स्ट्रेटेजी में छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए वित्तीय पहुँच का विस्तार करने के लिए 50 लाख (5 मिलियन) डॉलर शामिल हैं, जिसमें जलवायु लचीलेपन के साथ-साथ महिला-स्वामित्व वाले उद्यमों पर ज़ोर दिया गया है। अमेरिका जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्व बैंक समूह और एशियाई विकास बैंक की ओर से वित्तीय मदद दिए जाने को भी प्रोत्साहित करना चाहता है। और, किरिबाती में, अमेरिका समर्थित 2.9 करोड़ (29 मिलियन) डॉलर का कार्यक्रम सुरक्षित, सुलभ और समावेशी रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देता है, श्रमिकों के अधिकारों को मज़बूत बनाता है और नौकरियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है।
एक ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट ने जनवरी 2023 में बताया था कि इसके विपरीत, ब्लू पैसिफ़िक में पीआरसी की परियोजनाओं में फ़िजी और पीएनजी में खराब हो रही अधूरी बहुमंज़िला इमारतें और वानुअतु में एक कन्वेंशन सेंटर शामिल है, जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि रखरखाव करना बहुत महंगा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टोंगा को पीआरसी से मिला ऋण चुकाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। संस्थान ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप पैसिफ़िक क्षेत्र में नए बुनियादी ढाँचे के लिए चीनी ऋण के लिए भूख ख़त्म कम हो गई है।”
बीजिंग की वित्तीय योजनाओं का विरोध करने वाले ब्लू पैसिफ़िक देशों में समोआ भी शामिल है। 1962 में, यह राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने वाला पहला पैसिफ़िक द्वीप राष्ट्र बना था। इसने 1997 में औपचारिक रूप से अपना नाम बदलकर वेस्ट समोआ रखा था।
नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री फ़ियामे नाओमी माताफा (Fiame Naomi Mata’afa) ने 2021 में 12.8 करोड़ (128 मिलियन) डॉलर की चीन समर्थित बंदरगाह विकास परियोजना को रद्द कर दिया, इसे एक छोटे राष्ट्र के लिए अत्यधिक बताया जिसपर पहले से ही पीआरसी का भारी ऋण था।
उन्होंने रॉयटर्स से कहा था, “यह कल्पना करना बहुत कठिन है कि हमें इस एक परियोजना के लिए पेश की जा रही इतनी अधिक धनराशि की आवश्यकता होगी। जबकि ऐसी कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ हैं, जिन्हें सरकार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।”
ब्लू पैसिफ़िक देशों को अमेरिका और अन्य साझेदारों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से भविष्य में विकास के अवसर दिखाई देंगे, जिनसे इन देशों को अपने हितों को संतुलित करने और अपनी संप्रभुता की रक्षा का अवसर मिलेगा। उदाहरण के लिए, जुलाई 2024 में जापान और पीआईएफ़ देशों के बीच पैसिफ़िक द्वीप समूह के नेताओं की 10वीं बैठक में भविष्य में निवेश और व्यापार संबंधों पर विचार करने के लिए एक समझौता हुआ और क्षेत्रीय सुरक्षा पर अधिक सहयोग के लिए नए समझौते हुए।
फ़ोरम ने दैनिक वेब कहानियों का हिंदी में अनुवाद करना निलंबित कर दिया है। कृपया दैनिक सामग्री के लिए अन्य भाषाएँ देखें।