डिजिटल भविष्य की सुरक्षा
व्यवधान पैदा करने के लिए PRC ने बढ़ाई अपनी साइबर रणनीति; सहयोग से प्रतिक्रिया करते सहयोगी और साझेदार
फ़ोरम स्टाफ़
आधुनिक युद्ध, सीमाओं या पारंपरिक सैन्य युद्धाभ्यासों तक ही सीमित नहीं रहेगा। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कंप्यूटर की-स्ट्रोक्स के ज़रिए कुशल हैकर्स दूरसंचार नेटवर्क, जल एवं सीवेज प्रणालियाँ, हवाई अड्डे, राजमार्ग, अस्पताल और अन्य महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं को मिनटों में ध्वस्त कर सकते हैं।
विश्लेषकों और उच्च पदस्थ सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में, विशेष रूप से पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) से जुड़े साइबर हमलों में वृद्धि हुई है और बीजिंग ने अपने साइबर लक्ष्यों का विस्तार करते हुए इसमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों को भी शामिल कर लिया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के महासचिव शी जिनपिंग ने, जो अक्सर वाणिज्यिक चीनी हैकिंग फ़र्मों के ज़रिए काम करते हैं, इंडो-पैसिफ़िक में सरकारों और उद्योगों पर साइबर हमलों की मात्रा भी बढ़ा दी है, जैसे कि जापान और ताइवान, और वे देश, जो दक्षिण चीन सागर में PRC के क्षेत्रीय दावों पर विवाद करते हैं।
“इन सबके बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन स्पष्ट रूप से अत्यधिक सशक्त रुख़ अपना रहा है,” ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय में साइबर सुरक्षा के वरिष्ठ व्याख्याता डेविड टफ़ली (David Tuffley) ने मार्च 2024 में द गार्जियन अख़बार को बताया। “वह जानता है कि उसके पास अमेरिकियों, ब्रिटिश, आस्ट्रेलियाई, जापानी और कोरियाई लोगों को भीषण युद्ध में पराजित करने की सैन्य क्षमता नहीं है। इसलिए उनके द्वारा इसे उस बिंदु तक ले जाने की संभावना बहुत कम है।”
इसके बजाय, टफ़ली ने कहा कि PRC लक्षित देशों में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहा है और “संभवतः उस लक्ष्य की सैन्य-परिचालन क्षमताओं में विश्वास की कमी पैदा कर रहा है।” उन्होंने कहा कि ये हमले PRC के लिए अपने विरोधियों के खिलाफ़ अपनी साइबर क्षमताओं की प्रभावशीलता का परीक्षण करने का एक तरीक़ा भी हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र एवं साझेदार, सामूहिक स्वर में ऐसी ग्रे-ज़ोन साइबर रणनीति का विरोध कर रहे हैं। सितंबर 2023 में, जापानी साइबर सुरक्षा और क़ानून प्रवर्तन संगठनों ने अमेरिकी सरकारी एजेंसियों के साथ साझेदारी की ताकि बहुराष्ट्रीय निगमों को PRC से जुड़े साइबर हमलों के बारे में चेतावनी दी जा सके। अधिकारियों ने बताया कि ब्लैकटेक नामक हैकर समूह ने जापान और अमेरिका में प्रौद्योगिकी कंपनियों और सरकारी नेटवर्क तक पहुँचने के लिए इंटरनेट राउटरों से छेड़छाड़ की थी।
फरवरी 2024 में, अमेरिकी न्याय विभाग और FBI ने वोल्ट टाइफ़ून नामक एक अन्य विशाल, PRC-प्रायोजित साइबर जासूसी ऑपरेशन के कुछ हिस्सों को निष्क्रिय करने की सूचना दी, जिसकी माइक्रोसॉफ़्ट ने पिछले वर्ष पहचान की थी। अमेरिकी टेक फ़र्म के अनुसार, अभियान का उद्देश्य संभवतः ऐसी क्षमताओं का विकास करना था, जो भविष्य में संकट के दौरान अमेरिका और एशिया क्षेत्र के बीच महत्वपूर्ण संचार अवसंरचना को बाधित कर सकें। जवाब में, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने एडवाइसरी जारी की, जिसमें PRC की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं का विस्तार से वर्णन किया गया और ख़तरों का पता लगाने और उन्हें कम करने के लिए “नेटवर्क रक्षकों” की एक कार्यपुस्तिका पेश की गई।
साइबरसेक्यूरिटी एंड इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्यूरिटी एजेंसी (CISA) के निदेशक जेन ईस्टरली (Jen Easterly) ने 2024 की शुरुआत में अमेरिकी सांसदों को लिखित गवाही में कहा, “पिछले दो वर्षों में, हम अमेरिका के महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों के खिलाफ़ PRC की दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि में रणनीतिक बदलाव के बारे में चिंतित हो गए हैं।”
वाशिंगटन, डी.सी. स्थित सेंटर फ़ॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ के शोधकर्ता जेम्स लुईस (James Lewis) ने चेतावनी दी है कि साइबर व्यवधान पर बढ़ता फ़ोकस डिजिटल क्षेत्र में बीजिंग के दशकों पुराने जासूसी अभियान की जगह नहीं ले सकता।
“मैं इसे एक अतिरिक्त क़दम के रूप में देखता हूँ,” उन्होंने फ़ोरम को बताया। “चीन द्वारा न केवल आप पर जासूसी करना और वाणिज्यिक रहस्यों को चुराना, बल्कि संभावित हमले के क्षेत्रों की तलाश में आपके महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं में घुसपैठ करना भी, स्थिति को और अधिक अस्थिर बनाता है।”
संघर्ष की स्थिति में, बीजिंग अपने लक्ष्य और किसी भी साझेदार सेना के बीच संचार को तोड़ने के उद्देश्य से साइबर हमले का प्रयास कर सकता है। लुईस ने कहा कि सॉफ़्टवेयर पर निर्भर बुनियादी ढाँचों पर आभासी हमले से बिजली गुल हो सकती है, पाइपलाइनें बंद हो सकती हैं या बंदरगाह तथा हवाई अड्डों का संचालन बाधित हो सकता है। लक्ष्यों में संभवतः इंडो-पैसिफ़िक और उसके बाहर सैन्य व नागरिक रसद, दूरसंचार तथा अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियाँ शामिल होंगी, क्योंकि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपने लक्ष्य को दुनिया से अलग करने का प्रयास कर रही है।
हालाँकि, जहाँ चीन व्यवधान पैदा करने की रणनीति पर ज़ोर दे रहा है, वहीं अमेरिका और उसके मित्र एवं साझेदार, सहयोग पर निर्भर करते हैं। लुईस ने कहा कि यह लाभ सूचना साझाकरण और सहयोगात्मक साइबर सुरक्षा अनुसंधान में प्रकट होता है। उन्होंने सामूहिक घोषणाओं, जैसे कि ब्लैकटेक और वोल्ट टाइफ़ून एडवाइसरीज़ के माध्यम से बीजिंग की घातक साइबर गतिविधियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों और महत्वपूर्ण नेटवर्कों के भीतर साइबर ख़तरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने में सहयोग बढ़ाने का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “यह सब अभी भी अपेक्षाकृत नया है, लेकिन हम इस नए क्षेत्र में साझेदारियाँ बना रहे हैं और अंततः इससे हमें चीन पर बड़ी बढ़त मिलेगी।”
सुरक्षा विश्लेषकों ने कहा कि सहकारी प्रयासों से CCP से जुड़े अपराधियों की पहचान करने में सफलता मिल चुकी है। सहयोगी और साझेदार रक्षा अधिकारियों ने एक दशक से भी अधिक समय पहले खुलासा किया था कि एक विशेष PLA इकाई के सदस्यों ने अमेरिका और अन्य देशों के निगमों, संगठनों और सरकारी एजेंसियों को हैक करने की साजिश रची है, लेकिन हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक रूप से CCP के हैकिंग नेटवर्क की सीमा का खुलासा किया।
“कुछ हैकिंग समूह सूचना सुरक्षा फ़र्म हैं, जिन्हें विशिष्ट लक्ष्यों पर हमले करने के लिए चीनी खुफ़िया इकाइयों को अनुबंधित किया गया है,” ताइवान स्थित साइबर ख़तरा विश्लेषण फ़र्म TeamT5 के चे चांग (Che Chang) ने मार्च 2024 में द गार्जियन अख़बार को बताया। उदाहरण के लिए, CCP अधिकारियों ने मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया, हांगकांग और ताइवान के साथ-साथ मलेशिया, मंगोलिया और थाईलैंड में सरकारी एजेंसियों के नेटवर्क को हैक करने के लिए चीनी साइबर सुरक्षा फ़र्म I-Soon को अनुबंधित किया, जैसा कि फरवरी 2024 में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट किया था। समाचार पत्र ने I-Soon से लीक हुए दस्तावेज़ों की समीक्षा की, जिनसे पता चला कि यह फ़र्म उन कई निजी कंपनियों में से एक है, जिनका उपयोग CCP वैश्विक जासूसी अभियानों को आगे बढ़ाने के लिए करती है।
TeamT5 ने पिछले तीन वर्षों में प्रशांत क्षेत्र और ताइवान में चीनी समूहों द्वारा “लगातार विकसित” किए जा रहे हैकिंग प्रयासों में वृद्धि पर नज़र रखी। “हमारा मानना है कि उनका उद्देश्य विशिष्ट लक्ष्यों में घुसपैठ करना और महत्वपूर्ण जानकारी और खुफ़िया जानकारी चुराना है, चाहे वह राजनीतिक, सैन्य या वाणिज्यिक हो,” चांग ने द गार्जियन को बताया।
सुरक्षा शोधकर्ताओं के अनुसार, PRC शत्रुतापूर्ण साइबर गतिविधि में लिप्त अकेला देश नहीं है। ईरान, उत्तर कोरिया और रूस बौद्धिक संपदा की चोरी करने, राजस्व उत्पन्न करने तथा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों को नुक़सान पहुँचाने के लिए समान रणनीति अपनाते हैं। अमेरिका स्थित थिंक टैंक काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशंस के अनुसार, 2005 से 2023 तक, इन चार शासनों ने संभवतः सभी संदिग्ध साइबर हमलों में से 75% से अधिक को प्रायोजित किया।
अमेरिका विश्व भर में साइबर सुरक्षा क्षमता का निर्माण करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग करता है, सैन्य क्षमताओं का उपयोग करता है तथा निजी उद्योग, शिक्षा, क़ानून प्रवर्तन और कूटनीतिक एजेंसियों के विशेषज्ञों की सहायता लेता है। प्रतिरोधक्षम नेटवर्क और गतिशील राष्ट्रीय रणनीति बनाने के उद्देश्य से, ये कार्यक्रम सहयोगियों और साझेदारों को दुर्भावनापूर्ण तत्वों को रोकने और उनका पता लगाने, डिजिटल नेटवर्क से ख़तरों को दूर करने और साइबर अपराधियों पर मुक़दमा चलाने में मदद करते हैं।
जानकारी और विशेषज्ञता प्राप्त करना
रक्षा क्षेत्र में, अमेरिकी साइबर कमांड (USCYBERCOM) का हिस्सा साइबर नेशनल मिशन फ़ोर्स, दुर्भावनापूर्ण गतिविधि की तलाश करने तथा साइबर सुरक्षा स्थिति को मज़बूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय उद्योग और अंतर-एजेंसी साझेदारों के साथ जानकारी साझा करने के लिए दुनिया भर में तैनात है। USCYBERCOM 2023 के अंत में अंतरराष्ट्रीय समन्वित साइबर सुरक्षा गतिविधि (INCCA) जैसे प्रशिक्षण भी आयोजित करता है, जिसके बारे में अधिकारियों ने कहा कि इससे भागीदारों के लिए इंटरऑपरेबिलिटी, सहयोग और समर्थन में वृद्धि होगी।
ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल (ADF) ने कहा कि उसके साइबर विशेषज्ञ मैलवेयर की खोज करने तथा साझा प्रक्रिया, तत्परता और समन्वय में सुधार करने के लिए INCCA में अमेरिका और अन्य समकक्षों के साथ जुड़े। ADF ने 2023 के अंत में कैनबरा में अमेरिका के साथ अपना पहला वर्गीकृत स्तर का साइबर अभ्यास, साइबर सेंटिनल्स आयोजित किया। अमेरिकी फ़्लीट साइबर कमांड और यू.एस. मरीन कॉर्प्स फ़ोर्सेज़ साइबरस्पेस कमांड के कर्मियों सहित प्रतिभागियों ने कनाडा, न्यूज़ीलैंड और यू.के. के पर्यवेक्षकों के साथ सिमुलेटेड साइबर हमलों के खिलाफ़ परिसंपत्तियों का बचाव किया। कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर, यू.के. और यू.एस. की टीमें भी दक्षता बढ़ाने और तकनीकों को साझा करने के लिए ADF की साइबर कौशल चुनौती में शामिल हुईं।
इस बीच, बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में साइबर अभ्यासों को तेजी से शामिल किया जा रहा है। 2024 की शुरुआत में, थाईलैंड-अमेरिका प्रायोजित कोबरा गोल्ड में ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, थाईलैंड और अमेरिका की बहुराष्ट्रीय साइबर रक्षा टीमें शामिल थीं। प्रतिभागियों ने एक “साइबर रेंज” प्रणाली पर इंटरऑपरेबिलिटी की दिशा में काम किया, जो रियल-वर्ल्ड नेटवर्क का अनुकरण करता है, और उन्हें प्रमुख इलाक़ों को पहचानने तथा उनकी सुरक्षा करने, महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं की रक्षा करने, खुफ़िया जानकारी को एकीकृत करने और दूरस्थ बहुराष्ट्रीय भागीदारों को एकीकृत करने की चुनौती दी गई थी। टीमों को साइबर-संकटग्रस्त आपातकालीन सेवाओं और भूमि, समुद्र और वायु परिवहन संबंधी बुनियादी ढाँचों के परिणामों का भी सामना करना पड़ा।
जापान में, जहाँ अधिकारियों का कहना है कि CCP समर्थित साइबर हमले तेजी से दूरसंचार वाहकों, इंटरनेट प्रदाताओं और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों को निशाना बना रहे हैं, अभ्यास यामा सकुरा में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के कार्मिक शामिल थे। प्रतिभागियों ने 2023 में पहली बार साइबर सुरक्षा तत्वों को शामिल किया और ऐसा फिर से किया जाएगा, जापान समुद्री आत्मरक्षा बल के साइबर संचालन प्रमुख कैप्टन मासाहितो नाकाजिमा (Masahito Nakajima) ने कोबरा गोल्ड के दौरान फ़ोरम को बताया। “साइबर घटनाओं से निपटने के लिए हमारे पास अपने तरीक़े और प्रक्रियाएँ हैं, लेकिन यह केवल एकमात्र तरीक़ा नहीं है,” उन्होंने कहा। “जब हम यहाँ एक साथ आते हैं, तो हम साइबर घटनाओं से निपटने के लिए जानकारी और विशेषज्ञता तथा नए तरीक़े जुटाने में सक्षम होते हैं।”
द्विवार्षिक कमान और नियंत्रण अभ्यास, जापान-अमेरिका कीन एज में, ऑस्ट्रेलिया भी 2024 में शामिल हुआ, जहाँ संयुक्त सैन्य-बल अभ्यास में साइबर संचालन को एकीकृत किया गया है। बहुपक्षीय मानवीय सहायता और आपदा राहत अभ्यास, पैसिफ़िक एंडेवर में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों, अमेरिकी एजेंसियों, ग़ैर-सरकारी संगठनों तथा संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं के साथ प्रशिक्षण शामिल है, ताकि प्रतिभागियों को डिजिटल नेटवर्क की सुरक्षा करने और साइबर हमलों का पता लगाने और उन पर प्रतिक्रिया करने में मदद मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
60 से अधिक देशों ने इंटरनेट के भविष्य के लिए 2022 घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें खुले, मुक्त, वैश्विक, इंटरऑपरेबल और सुरक्षित डिजिटल भविष्य का आह्वान किया गया है। उस दृष्टिकोण को कायम रखने वाले गठबंधनों का निर्माण करना अमेरिकी रक्षा विभाग (DOD) की साइबर रणनीति का एक स्तंभ है, जो वैश्विक सहयोगियों और साझेदारों को “आधारभूत रणनीतिक लाभ” कहता है।
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच सुरक्षा और प्रौद्योगिकी समझौता, AUKUS जैसी साझेदारियाँ साइबर समन्वय में सुधार और उन्नत क्षमताओं को साझा करने के लिए रूपरेखा तैयार करती हैं। 2023 में राष्ट्रों के रक्षा मंत्रियों ने कहा कि AUKUS सदस्य महत्वपूर्ण संचार और संचालन प्रणालियों की सुरक्षा सहित साइबर क्षमताओं को मज़बूत कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका की भागीदारी वाले क्वाड (Quad) साझेदारी ने 2022 में साइबर सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की, जिसके पहले चरण में सूचना साझा की जाएगी। निक्केई एशिया समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश अपनी-अपनी साइबर एजेंसियों को साइबर हमलों और उसके परिणामस्वरूप होने वाले नुक़सान, विशेष रूप से महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं को हुए नुक़सान के बारे में तुरंत रिपोर्ट साझा करने में सक्षम बनाने के लिए काम कर रहे हैं। साइबर हमले के तरीक़ों और स्रोतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होने पर, साझेदार अधिक तेजी से सुरक्षा उपाय अपना सकते हैं।
समाचार पत्र के अनुसार, चारों देश सरकारी एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर के लिए साझा सुरक्षा मानकों को अपनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं, जिससे आपात स्थितियों के दौरान सहयोग बढ़ सकता है।
क्वाड सदस्यों ने समान विचारधारा वाले देशों को साइबर ख़तरों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए उपकरणों से लैस करने का संकल्प लिया है। “इसके सदस्य डिजिटल प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी और प्रतिरोधक्षमता को आगे बढ़ाने में दुनिया के अग्रणी देशों में से हैं और साइबर व्यवधानों से अपने सरकारी नेटवर्क तथा महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं की रक्षा करने की क्षमता को मज़बूत करने के लिए इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में क्षमता निर्माण प्रदान करने के प्रयास कर रहे हैं,” साझेदारी के वरिष्ठ साइबर समूह ने एक बयान में कहा।
फरवरी 2024 में, जापान ने ब्लू पैसिफ़िक के देशों के साथ अपना पहला साइबर सुरक्षा अभ्यास आयोजित किया। क्योडो समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिभागियों को साइबर हमले का जवाब देने का प्रशिक्षण दिया गया तथा महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाने वाले मैलवेयर हमलों से बचाव का अभ्यास कराया गया। किरिबाती, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, नाउरू और पलाउ के सरकारी अधिकारी और संचार प्रदाता इसमें शामिल हुए, जबकि फिजी और टोंगा ने भी पर्यवेक्षक के रूप में इसमें भाग लिया। अमेरिका ने गुआम में आयोजित कार्यक्रम में एक प्रशिक्षक भेजा तथा प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई।
“हैकर्स इन देशों के ज़रिए जापान और ताइवान के सरकारी नेटवर्क और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों पर हमला कर सकते हैं,” टोक्यो स्थित थिंक टैंक सासाकावा पीस फ़ाउंडेशन में ब्लू पैसिफ़िक देशों के साथ काम करने वाले हिदेयुकी शिओजावा (Hideyuki Shiozawa) ने क्योडो न्यूज़ को बताया। “इन देशों को तकनीकी प्रशिक्षण देने और उन्हें एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और अन्य साइबर सुरक्षा उपकरण प्रदान करने से इंडो-पैसिफ़िक के अन्य हिस्सों में सुरक्षा जोखिम भी कम हो जाएगा।”
उन्होंने इस अभ्यास को क्षेत्र में “जापान की साइबर कूटनीति का शुभारंभ” कहा। टोक्यो ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मिलकर 950 लाख ($95 मिलियन) अमेरिकी डॉलर मूल्य का समुद्री केबल बिछाने के लिए साझेदारी कर रहा है, जिससे किरिबाती, माइक्रोनेशिया और नाउरू में इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार होगा।
बैंकॉक पोस्ट अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, जापान के साइबर आउटरीच में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान)-जापान साइबर सुरक्षा क्षमता निर्माण केंद्र के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी विशेषज्ञता शामिल है, जिसने 2018 में थाईलैंड में खुलने के बाद से 1,500 से अधिक सरकारी कर्मियों और महत्वपूर्ण अवसंरचना प्रदाताओं को साइबर प्रशिक्षण प्रदान किया है।
दक्षिण कोरिया और अमेरिका भी साइबर ख़तरों से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। CISA और सियोल की राष्ट्रीय खुफ़िया सेवा ने 2023 के अंत में साइबर अवसंरचना के लिए आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करने और प्रशिक्षण तथा साइबर अभ्यास की स्थापना में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की। यह सहयोग दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सूक येओल और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) द्वारा सहयोगियों की आपसी रक्षा संधि को डिजिटल डोमेन में विस्तारित करने के वचन के बाद किया गया। इसके अलावा 2023 में, अपने उद्घाटन शिखर सम्मेलन के दौरान, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के नेताओं ने उत्तर कोरिया की दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों का मुक़ाबला करने के लिए एक योजना की घोषणा की, जिसमें प्योंगयांग के प्रतिबंधित परमाणु और बैलिस्टिक हथियार कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने वाली डिजिटल चोरी भी शामिल है।
इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में विस्तारित होने वाली अन्य साझेदारियों में शामिल हैं:
भारत-अमेरिका साइबर सुरक्षा पहल, जो ख़तरों को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों को एकजुट करती है।
इंडोनेशिया और अमेरिका के बीच सहयोग में वृद्धि, जिनके नेताओं ने राज्य और ग़ैर-सरकारी तत्वों से साइबर ख़तरों का मुक़ाबला करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
“महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने और इंटरऑपरेबिलिटी को मज़बूत करके राज्य और ग़ैर-सरकारी तत्वों से होने वाले हमलों के खिलाफ़ सुरक्षा का निर्माण करने के लिए” फ़िलीपींस-अमेरिका रक्षा दिशानिर्देश।
सूचना साझाकरण को मज़बूत करने और साइबर सुरक्षा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर और अमेरिका के बीच एक समझौता ज्ञापन।
थाईलैंड और अमेरिका द्वारा प्रौद्योगिकी सहयोग को गहन करने का वचन, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपराधियों पर मुक़दमा चलाया जाए और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों की सुरक्षा की जाए।
वियतनाम और अमेरिका के बीच साइबर सुरक्षा वार्ता, साथ ही साइबर अपराध और अन्य डिजिटल ख़तरों से निपटने के लिए अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ हनोई के नियोजित सहयोग।
रक्षा विभाग की साइबर रणनीति साइबर क्षमता का निर्माण करने, कार्यबल को बढ़ाने और सुरक्षित बुनियादी ढाँचे तक पहुँच का विस्तार करने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोगियों और साझेदारों को समर्थन देने पर ज़ोर देती है — ये सभी डिजिटल निवारण और प्रतिरोधक्षमता के लिए महत्वपूर्ण हैं। “संयुक्त राज्य अमेरिका के कूटनीतिक और रक्षा संबंध एक ऐसे बल गुणक का प्रतिनिधित्व करते हैं जो साइबरस्पेस तक फैला हुआ है, जिससे उभरते ख़तरों के प्रति त्वरित समन्वय और जागरूकता संभव हो पाती है,” रणनीति में कहा गया। “इस उद्देश्य के लिए, हम साझा हितों और मूल्यों वाले साइबर-सक्षम राष्ट्रों के समुदाय को बढ़ावा देकर साइबरस्पेस में अपनी प्रभावशीलता और सुरक्षा में सुधार करेंगे।”
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