चिरस्थायी बल
अमेरिका और ताइवान के बीच स्थायी संबंधों के 45वें वर्ष का प्रतीक ताइवान संबंध अधिनियम
फ़ोरम स्टाफ़ | फ़ोटो एसोसिएटेड प्रेस द्वारा
नवंबर 2023 के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) के संदेश ने ताइवान और संघीय क़ानून के प्रति वाशिंगटन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो चार दशकों से अधिक समय से स्व-शासित द्वीप के साथ अमेरिकी संबंधों का आधार रहा है।
ऑस्टिन ने इंडोनेशिया के जकार्ता में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस के दौरान कहा, “ताइवान संबंध अधिनियम [TRA] के साथ, हम ताइवान को अपनी रक्षा के साधन हासिल करने में मदद करने के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
TRA 10 अप्रैल 2024 को अपनी 45वीं वर्षगाँठ मनाएगा। अमेरिकी कांग्रेस ने इस अधिनियम को मंजूरी दी और तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर (Jimmy Carter) ने 1979 में इस पर हस्ताक्षर किए, जब वाशिंगटन ने कहा कि यह पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) के साथ राजनयिक संबंधों को औपचारिक रूप देगा। TRA ने अमेरिका और ताइवान के बीच आर्थिक और अनौपचारिक राजनयिक संबंधों को अधिकृत किया और कहा कि ताइवान के खिलाफ़ आक्रामकता और आर्थिक प्रतिबंधों को इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में शांति के लिए ख़तरा और “संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए गंभीर चिंता” के रूप में देखा जाएगा।
यह क़ानून ताइवान को आश्वासन प्रदान करता है और इसका उद्देश्य चीन को उस द्वीप पर आक्रमण करने से रोकना है, जिस पर बीजिंग अपना दावा करता है और उसे अपने कब्जे में लेने की धमकी देता है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका ताइवान को “आत्मनिर्भर क्षमता बनाए रखने” के लिए आवश्यक मात्रा में “रक्षा सामग्री और रक्षा सेवाएँ” उपलब्ध कराएगा।
यह प्रतिबद्धता कांग्रेस द्वारा 2022 में ताइवान संवर्धित प्रतिरोधक्षम अधिनियम को मंजूरी दिए जाने से स्पष्ट हो गई, जिसने ताइवान की रक्षा में सहायता के लिए 2027 तक प्रतिवर्ष 2 अरब ($2 बिलियन) अमेरिकी डॉलर तक ख़र्च करने को अधिकृत किया। ताइवान को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता का उद्देश्य द्वीप को आत्मरक्षा क्षमता विकसित करने में मदद करना है। 2023 में, ताइवान के लिए सैन्य सहायता की अमेरिकी कांग्रेस की अधिसूचना में शामिल हैं:
- F-16 लड़ाकू विमान के लिए गोला-बारूद और उपकरण हेतु 61.9 करोड़ ($619 मिलियन) अमेरिकी डॉलर।
- F-16 इन्फ़्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम के लिए 50 करोड़ ($500 मिलियन) अमेरिकी डॉलर।
- गोलाबारूद और उपकरण के लिए 33.22 करोड़ ($332.2 मिलियन) अमेरिकी डॉलर।
- सैन्य कमान, नियंत्रण, संचार और कंप्यूटर उपकरण के लिए 30 करोड़ ($300 मिलियन) अमेरिकी डॉलर।
- रसद सहायता और संबंधित उपकरणों के लिए 10.8 करोड़ ($108 मिलियन) अमेरिकी डॉलर।
साइबर सुरक्षा
2023 के अंत में, कांग्रेस ने 2024 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम को मंजूरी दी जिसमें ताइवान की साइबर सुरक्षा क्षमताओं की सहायता के प्रावधान शामिल हैं। इसने अमेरिकी रक्षा विभाग को ताइवान के साथ साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित करने; द्वीप के सैन्य नेटवर्क, बुनियादी ढाँचों और प्रणालियों की रक्षा करने; और ताइवान को निशाना बनाने वाली दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि को ख़त्म करने में मदद करने के लिए अधिकृत किया। तत्कालीन अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल गैलाघर (Michael Gallagher) ने अप्रैल 2023 की एक समाचार विज्ञप्ति में कहा कि यह उपाय “साइबर डोमेन में ताइवान को सशक्त बनाने में मदद करता है।” गैलाघर, अमेरिका और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा पर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की प्रवर समिति के अध्यक्ष थे और साइबर, सूचना प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष पर सदन की सशस्त्र सेवा उपसमिति के अध्यक्ष थे।
जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज़ में एडविन ओ. रीशॉअर सेंटर फ़ॉर ईस्ट एशियन स्टडीज़ के निदेशक केंट ई. काल्डर (Kent E. Calder) ने कहा कि TRA ने कांग्रेस की ताइवान के साथ अमेरिकी संबंधों की समीक्षा करने की जिम्मेदारी बढ़ा दी है, तथा ताइवान जलडमरूमध्य में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा ख़रीद सुनिश्चित करने में सांसद केंद्रीय भूमिका में हैं। “क्रॉस-स्ट्रेट रिश्तों के संबंध में कांग्रेस की जिम्मेदारियों को देखते हुए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ताइवान कॉकस, जो ताइवान को राजनीतिक समर्थन प्रदान करता है, अमेरिकी कांग्रेस में सबसे बड़ा बन गया है,” काल्डर ने जापानी समाचार एजेंसी क्योडो न्यूज़ द्वारा प्रकाशित दिसंबर 2023 की टिप्पणी में लिखा।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, अमेरिका का ताइवान के साथ “मज़बूत अनौपचारिक संबंध” है। “कुछ मायनों में, [अमेरिका-ताइवान संबंध] पहले से कहीं बेहतर हैं।” ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के वरिष्ठ फ़ेलो और ताइवान के प्रति अमेरिकी नीति को लागू करने के लिए जिम्मेदार संस्था, अमेरिकन इंस्टीट्यूट इन ताइवान (AIT) के पूर्व प्रमुख रिचर्ड सी. बुश (Richard C. Bush) ने मार्च 2023 में कहा।
“अमेरिका-ताइवान साझेदारी 1979 के बाद से बेहद मज़बूत है,” रैंड कॉर्प के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन (Derek Grossman) ने दिसंबर 2023 में लिखा था।
अमेरिका की “एक चीन” नीति ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर आधारित है, जो वैश्विक वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग है। यह नीति बीजिंग या ताइपे द्वारा एकतरफ़ा परिवर्तनों का विरोध करके यथास्थिति को भी क़ायम रखती है। नीति बीजिंग को PRC की “एकमात्र क़ानूनी सरकार” के रूप में मान्यता देती है, लेकिन ताइवान की स्थिति पर कोई रुख़ नहीं अपनाती है। “इतने दशकों बाद पीछे मुड़कर देखना वाक़ई उल्लेखनीय है कि यह समय की कसौटी पर कैसे खरा उतरा है,” जर्मन मार्शल फंड के इंडो-पैसिफ़िक प्रोग्राम की प्रबंध निदेशक बोनी ग्लेसर (Bonnie Glaser) ने वाशिंगटन डी.सी. स्थित थिंक टैंक एशिया सोसाइटी द्वारा जून 2023 में आयोजित एक फ़ोरम के दौरान कहा।
इस बीच, बुश ने TRA को “प्रशंसनीय रूप से लचीला” बताया। इस क़ानून के एक निर्माता के अनुसार, यह योजना के अनुसार था। “आपके पास एक ऐसा अधिनियम है जो अपनी अस्पष्टता के कारण 40 से अधिक वर्षों तक जीवित रहा है,” कांग्रेस में 16 साल तक सेवारत लेस्टर वोल्फ़ (Lester Wolff) ने जनवरी 2021 में वाशिंगटन, डी.सी. के थिंक टैंक ग्लोबल ताइवान इंस्टीट्यूट से कहा। उन्होंने कहा कि इस अर्थपूर्ण अस्पष्टता ने TRA को ताइवान का समर्थन करने वाले कट्टरपंथियों और अन्य लोगों के बीच स्वीकृति प्राप्त करने में मदद की, जो PRC के साथ बनाए जा रहे अमेरिकी संबंधों को नुक़सान नहीं पहुँचाना चाहते। विधेयक भारी बहुमत से पारित हुआ।
रणनीतिक अस्पष्टता
विशेष रूप से, TRA का उद्देश्य “पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में मदद करना और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों और ताइवान के लोगों के बीच वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और अन्य संबंधों को जारी रखने की अनुमति देकर संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति को बढ़ावा देना है।” इसका उद्देश्य “यह स्पष्ट करना है कि पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का संयुक्त राज्य अमेरिका का निर्णय इस उम्मीद पर आधारित है कि ताइवान का भविष्य शांतिपूर्ण तरीक़ों से निर्धारित किया जाएगा।”
इसके अलावा, TRA ने कहा है कि अमेरिका ताइवान को “रक्षात्मक स्वभाव के हथियार” प्रदान करेगा और “ताइवान के लोगों की सुरक्षा, या सामाजिक या आर्थिक व्यवस्था को ख़तरे में डालने वाले किसी भी बल या अन्य प्रकार के दबाव का विरोध करने की संयुक्त राज्य अमेरिका की क्षमता को बनाए रखेगा।”
यद्यपि अमेरिका सैन्य सहायता प्रदान करता है, लेकिन वह तथाकथित रणनीतिक अस्पष्टता की नीति पर कायम है कि यदि बीजिंग द्वीप पर आक्रमण करता है तो क्या वह सैन्य हस्तक्षेप करेगा। विश्लेषकों ने बताया कि इस नीति का उद्देश्य न केवल CCP को आक्रमण करने से रोकना है, बल्कि ताइवान को आधिकारिक रूप से स्वतंत्रता की घोषणा करने से भी रोकना है।
ग्लेसर ने इसमें “ज़ोर-ज़बरदस्ती” को एक प्रमुख घटक के रूप में शामिल किए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यह उल्लेखनीय है कि मसौदा तैयार करने वालों ने वास्तव में यह अनुमान लगाया था कि चीन का दबाव आने वाले दशकों में ताइवान के प्रति बीजिंग की नीति का इतना केंद्रीय हिस्सा बन जाएगा।”
चीन का दबाव ग्रे-ज़ोन रणनीति का रूप ले लेता है — ताइवान को डराने के लिए सैन्य और आर्थिक धौंस-धमकी — जैसे कि द्वीप के पास पीपल्स लिबरेशन आर्मी के लड़ाकू विमानों को तैनात करना, ताइवान के ऊपर बैलिस्टिक मिसाइलों को दागना, द्वीप के पास प्रमुख लाइव-फ़ायर अभ्यास करना और उपज तथा समुद्री आहार के आयात पर प्रतिबंध लगाना।
बुश के अनुसार, चीन के नेता समझते हैं कि ताइवान पर आक्रमण से संभवतः अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप हो जाएगा। “यही कारण है कि वे बल प्रयोग में संलग्न हैं — एक मध्यवर्ती विकल्प जो कम जोखिम वाला है लेकिन फिर भी दीर्घकालिक रूप से सफल होने की संभावना रखता है,” बुश ने ताइपे में सेंटर फ़ॉर एशिया-पैसिफ़िक रेज़िलिएंस एंड इन्नोवेशन द्वारा मार्च 2023 में आयोजित एक फ़ोरम के दौरान कहा।
अमेरिका और ताइवान के बीच साझेदारी TRA से दशकों पहले शुरू हुई थी। बीजिंग 1949 से ही ताइवान को बलपूर्वक अपने में मिलाने की धमकी देता रहा है; यह वही वर्ष था जब गृह युद्ध में हार के बाद यह द्वीप चीनी राष्ट्रवादी सरकार का घर बन गया था। अमेरिका ने 1955 में चीन-अमेरिकी पारस्परिक रक्षा संधि और कांग्रेस के एक संयुक्त प्रस्ताव के ज़रिए ताइवान के लिए सुरक्षा को औपचारिक रूप दिया, जिसमें कहा गया कि अमेरिका CCP के सशस्त्र हमले से ताइवान की रक्षा के लिए अपने सशस्त्र बलों को तैनात कर सकता है। आगामी दशकों में, अमेरिका ने शांतिपूर्ण समाधान और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कूटनीति, क़ानून और सैन्य सहायता का प्रयोग किया। पारस्परिक रक्षा संधि ने, जिसे राष्ट्रपति कार्टर ने TRA के लागू होने के बाद 1 जनवरी 1980 को समाप्त कर दिया था, 1979 तक ताइवान को संभावित CCP आक्रमण से प्रभावी रूप से सुरक्षित रखा।
अडिग प्रतिबद्धता
TRA ने ताइवान के साथ वाशिंगटन के संबंधों को संचालित करने के लिए AIT की स्थापना की। इसी तरह ताइवान, वाशिंगटन में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधि कार्यालय का रखरखाव करता है।
हाल के वर्षों में, अमेरिका-ताइवान साझेदारी “ताइवान संबंध अधिनियम के तहत काफ़ी हद तक व्यापक और गहरी हुई है — विशेष रूप से हमारे आर्थिक, सुरक्षा और लोगों से लोगों के संबंधों में, साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय में ताइवान की भूमिका का विस्तार करने के लिए हमारे सहयोग में,” AIT की अध्यक्ष लॉरा रोसेनबर्गर (Laura Rosenberger) ने ताइवान के तत्कालीन राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) से मुलाक़ात के एक महीने बाद वाशिंगटन, डी.सी. में नवंबर 2023 के भाषण में कहा।
TRA में यह स्पष्ट किया गया है कि ताइवान को अमेरिकी एजेंसी द्वारा अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के समान माना जाएगा, जिसे अब अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम के रूप में जाना जाता है, जो विकासशील क्षेत्रों में निवेश करने वाले अमेरिकी निवेशकों, ऋणदाताओं, ठेकेदारों और अन्य लोगों के लिए वित्तपोषण और बीमा समाधान प्रदान करता है।
आज, समृद्ध ताइवान को दुनिया के अग्रणी सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र के रूप में जाना जाता है। द्वीप पर ताइवान में सबसे बड़ी अमेरिकी निवेशक चिप कंपनी माइक्रॉन के 10,000 से अधिक कर्मचारियों को देखते हुए, रोसेनबर्गर ने कहा कि 2023 की शुरुआत तक ताइवान में अमेरिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 30 अरब ($30 बिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार, अमेरिकी प्रत्यक्ष निवेश का नेतृत्व विनिर्माण, वित्त एवं बीमा तथा थोक व्यापार द्वारा किया जाता है। नवंबर 2023 तक, 18 अमेरिकी राज्यों ने ताइपे में व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय खोल दिए या खोलने की योजना बना रहे हैं। 2022 में, ताइवान के साथ अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार अनुमानित 160 अरब ($160 बिलियन) अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। ताइवान अमेरिका के शीर्ष 10 व्यापारिक साझेदारों में से एक है और अमेरिका ताइवान का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
“चार दशकों से अधिक समय से, इस ढाँचे ने ताइवान को इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में लोकतंत्र के प्रतीक, एक संपन्न अर्थव्यवस्था और तकनीकी महाशक्ति के रूप में विकसित होने में सहायता की है। और, निस्संदेह, हमारी ‘एक चीन’ नीति ने भी जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद की है,” रोसेनबर्गर ने कहा। “संयुक्त राज्य अमेरिका और ताइवान इस शांति और स्थिरता को बनाए रखने में गहरी और स्थायी दिलचस्पी रखते हैं। … ताइवान के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग, सिद्धांतबद्ध और द्विदलीय है। संयुक्त राज्य अमेरिका अपने मित्रों के साथ खड़ा है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे।”
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