ऑस्ट्रेलिया, यू.के., यू.एस. ने किया उच्च तकनीक समझौता

जलस्थ ड्रोन से लेकर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तक, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका उच्च तकनीक वाले सैन्य सहयोग का विस्तार कर रहे हैं।
दिसंबर 2023 में होने वाले समझौते से प्रौद्योगिकी सहयोग और सूचना साझाकरण बढ़ेगा। इसका लक्ष्य वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों का बेहतर ढंग से समाधान करना और यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक राष्ट्र तेज़ी से बढ़ते ख़तरों से बचाव कर सके और “इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र और उससे परे की स्थिरता और समृद्धि में योगदान दे सके।”
ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस (Richard Marles) और ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ग्रांट शैप्स (Grant Shapps) के साथ बैठक में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) ने कहा कि मिसाल के तौर पर, यह प्रयास ड्रोन प्रणालियों के परिष्कार को तेज़ी से बढ़ाएगा और यह साबित करेगा कि “हम साथ में अधिक मज़बूत हैं।”
तीनों देशों ने ऑस्ट्रेलिया को आठ पारंपरिक रूप से हथियारबंद, परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के बेड़े से लैस करने के लिए AUKUS साझेदारी की योजना तैयार की है। मार्ल्स ने कहा कि बतौर द्वीपीय राष्ट्र, ऑस्ट्रेलिया को उन्नत समुद्री ड्रोन और सटीक हमला क्षमताओं की आवश्यकता है।
अमेरिका ने घोषणा की है कि वह ऑस्ट्रेलिया को निर्देशित मिसाइलों और रॉकेटों के निर्माण में मदद करेगा।
प्रौद्योगिकी समझौते ने समुद्र के नीचे और सतह पर समुद्री ड्रोनों से जुड़े सैन्य अभ्यासों की एक शृंखला की भी स्थापना की और तीनों देशों की अपने सोनोबॉय द्वारा एकत्रित खुफ़िया जानकारी और डेटा को साझा करने की क्षमता में सुधार किया। ये बॉय पानी में पनडुब्बियों और अन्य चीज़ों का पता लगाते हैं।
इस समझौते में पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए बॉय से प्राप्त आँकड़ों को शीघ्रता से संसाधित करने के लिए P-8A निगरानी विमानों सहित कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग को बढ़ाने की बात कही गई। दोनों देश गहरे अंतरिक्ष में चीज़ों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने की क्षमता बढ़ाने के लिए
नए रडार स्थल भी स्थापित करेंगे। द एसोसिएटेड प्रेस
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