कार्रवाइयों का खंडन करती PRC की वैश्विक सुरक्षा पहल
असमानता के पीछे की सबसे बड़ी चुनौतियों का विश्लेषण
डॉ. जिंगहाओ झोउ
पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) के विदेश मंत्रालय ने फरवरी 2023 में सुरक्षा संबंधी अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों और समाधानों को संदर्भित करते हुए एक आलेख जारी किया। वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) में 10 महीने पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के महासचिव शी जिनपिंग (Xi Jinping) के एक भाषण पर विचार किया गया जिसमें उन्होंने अपने GSI प्रस्ताव का खुलासा किया था। यह ज़रूरी है कि जो लोग CCP की हालिया कार्रवाइयों पर सवाल उठाते हैं, वे GSI को समझें और उचित प्रतिक्रिया दें।
राष्ट्रीय से वैश्विक सुरक्षा तक
सुरक्षा का तात्पर्य ख़तरों और अनधिकृत पहुँच से मुक्त होना है। इसके राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक, वित्तीय, राजनीतिक, शैक्षिक, सूचनात्मक और साइबर निहितार्थ हो सकते हैं।
किसी देश की सुरक्षा, उसकी शक्ति और विश्वदृष्टि का परिणाम है। जब 1949 में PRC की स्थापना हुई, तो उसने महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग रहते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा का बचाव करने तथा अपनी क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया। एकदलीय राज्य होने के नाते, CCP की सुरक्षा अवधारणा उसके नेताओं के भाषणों और आधिकारिक दस्तावेज़ों में व्यक्त की गई थी। अध्यक्ष माओ त्से तुंग (Mao Zedong) के शासन का सर्वोपरि उद्देश्य चीनी राजनीतिक व्यवस्था की स्थिरता सुनिश्चित करना था। घरेलू स्थिरता प्राप्त करने के लिए, CCP ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों को सामने रखा, जिसमें संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक अनाक्रमण, दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता व पारस्परिक लाभ तथा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व शामिल थे।
माओ युग के बाद के शुरुआती दौर में CCP ने विश्वव्यापी सुरक्षा पहलों को आगे नहीं बढ़ाया। इसके बजाय, राजनीतिक अस्थिरता से बचने और सरकार की वैधता बनाए रखने के लिए चीनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने और घरेलू जीवन स्तर को बढ़ाने को प्राथमिकता दी गई। देंग शियाओपिंग (Deng Xiaoping) (1978-97) के नेतृत्व में, चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सुर्ख़ियों में न रहने की विदेश नीति अपनाई। 1990 में, देंग ने चीनी अधिकारियों को पश्चिम के साथ टकराव से बचने के महत्व को दोहराया और उन्हें प्रोत्साहित किया: “शांति से देखें; अपनी स्थिति को सुरक्षित करें; मामलों का शांति से सामना करें; अपनी क्षमताओं को छिपाएँ और अपना समय बिताएँ; लो-प्रोफ़ाइल बनाए रखने में कुशल बनें; और कभी नेतृत्व का दावा न करें।” इस रणनीति ने CCP को महत्वपूर्ण विदेशी हस्तक्षेप के बिना आधुनिकीकरण का समय दिया। हू जिंताओ (Hu Jintao) प्रशासन (2002-12) के तहत PRC अत्यधिक परिणामवादी रहा, जिसने परोपकार, साझेदारी और मित्रवत व्यवहार को प्रोत्साहित करने वाले दृष्टिकोण के माध्यम से अपने घरेलू आर्थिक विकास और सौहार्दपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों को साधने पर ज़ोर दिया।
2010 में PRC के दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के दो साल बाद, शी ने पदभार सँभाला और अमेरिका के साथ नए प्रकार के संबंध स्थापित करने की अपनी इच्छा व्यक्त की। यह रणनीतिक परिवर्तन वैश्विक परिदृश्य के उनके आकलन से प्रेरित था। शी का मानना था कि दुनिया बड़े बदलाव के दौर से गुज़र रही है जिसमें पूर्व का उत्थान हो रहा है जबकि पश्चिम का पतन हो रहा है। मई 2014 में, उन्होंने प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने वाली एक क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे का प्रस्ताव रखा। इसमें अपनी सीमाओं से परे PRC की महत्वाकांक्षाओं पर ज़ोर और पूर्व तथा पश्चिम में अमेरिका के साथ वैश्विक शक्ति के संतुलित विभाजन के चीनी अनुगमन का संकेत दिया।
PRC का 2019 श्वेत पत्र, “चाइनाज़ नेशनल डिफ़ेंस इन द न्यू एरा”, एशियाई सुरक्षा के बारे में शी के दृष्टिकोण का सविस्तार वर्णन करता है। आलेख के अनुसार, अमेरिका ने एकतरफ़ा दृष्टिकोण अपनाकर, प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज़ करने, सैन्य व्यय बढ़ाने, रक्षा क्षमताओं की प्रगति में तेज़ी लाने तथा वैश्विक सामरिक स्थिरता से समझौता करते हुए अपनी विदेश नीति का ध्यान इंडो-पैसिफ़िक की ओर पुनर्निर्देशित किया था। इन परिस्थितियों को देखते हुए, आलेख ने ज़ोर देकर कहा कि CCP को एशिया की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं को फिर से व्यवस्थित करने के लिए मज़बूर होना पड़ा। चीनी नेताओं ने 2035 तक दुनिया की बेहतरीन सैन्य शक्ति बनाने की क़सम खाई।
इस बीच, शी ने नए महाशक्ति संबंध को स्थापित करने के लिए क़दम उठाए। राष्ट्रीय रक्षा के अपने दृष्टिकोण पर अमेरिकी प्रतिक्रिया से निराश होकर, उन्होंने अंततः रूस के साथ गठबंधन किया और घरेलू राष्ट्रवादियों के दबाव के आगे झुक गए। फरवरी 2022 में शी ने यूक्रेन पर रूस के अकारण आक्रमण से कुछ समय पहले, रूस के साथ PRC की “असीमित” मित्रता की घोषणा की। रूस-यूक्रेन संघर्ष को अमेरिकी प्रभुत्व द्वारा संतुलित करने के एक अवसर के रूप में देखते हुए, CCP ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को एक वैकल्पिक वैश्विक ढाँचे के साथ बदलने की माँग की जो उसके हितों की पूर्ति करता हो। युद्ध शुरू होने के कुछ सप्ताह बाद शी ने GSI का प्रस्ताव रखा। इस आलोचना के बावजूद कि चीन द्वारा रूस के आक्रमण पर राजनयिक परदा डाला जा रहा है, यह पहल शी को एक वैश्विक शांतिदूत के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती है।
समानताएँ और अंतर
चीनी विदेश मंत्रालय का आलेख और शी के बयान, दोनों ही चुनौतियों और आशाओं से भरे युग में GSI को प्रासंगिक बनाते हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने सूचित किया कि अप्रैल 2022 में एशिया के लिए बोआओ फ़ोरम में बोलते हुए, शी ने ज़ोर दिया, “हमारे समय की दुनिया और इतिहास में परिवर्तन इस तरह से सामने आ रहे हैं जैसे पहले कभी नहीं हुए।” उन्होंने GSI को ऐसा करने का सबसे अच्छा साधन बताते हुए कहा कि वैश्विक समुदाय को शांति और स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय का आलेख GSI के मूल सिद्धांतों और छह सहायक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करता है, जिसमें अविभाज्य सुरक्षा को बुलंद रखना, संतुलित और संवहनीय सुरक्षा ढाँचे का निर्माण करना, अन्य देशों की असुरक्षाओं का फ़ायदा उठाकर राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि का विरोध करना, सहयोग के ज़रिए सामान्य विकास और सुरक्षा को बढ़ावा देना, विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत और परामर्श को आगे बढ़ाना, तथा वैश्विक सुरक्षा प्रशासन के समन्वय व सहयोग में सुधार करना शामिल है।
GSI, CCP की मौजूदा सुरक्षा अवधारणाओं के साथ जुड़ता और शी के विश्वदृष्टिकोण को सुदृढ़ करता है। प्रत्येक का केंद्रीय फ़ोकस पार्टी में शी की स्थिति को मज़बूत करना है। उनका तर्क है कि केवल CCP नेता ही आर्थिक विकास, मुखर विदेश नीति और पश्चिमी मूल्यों की अस्वीकृति के माध्यम से PRC के वैश्विक प्रभाव का विस्तार करते हुए चीनी विशेषताओं के साथ समाजवादी प्रणाली के घरेलू विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं।
PRC सुरक्षा अवधारणाओं का विकास — राष्ट्रीय से क्षेत्रीय और वैश्विक तक — राष्ट्र के आत्मविश्वास का प्रतीक है और महान शक्ति का दर्जा हासिल करने के उसके इरादे को व्यक्त करता है। वैश्विक सुरक्षा के अपने ब्रांड को बढ़ावा देने का CCP द्वारा घोषित लक्ष्य पश्चिम के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा की भी पूर्वानुमान लगाता है।
CCP वैश्विक प्रभुत्व की दिशा में अपने अभियान के तहत GSI का विस्तार करने की योजना बना रही है। वैश्विक शक्ति बनने के लिए, PRC को अपने पूर्वी और दक्षिणी तटों पर द्वीप राष्ट्रों की शृंखला से आगे मुख्य भूमि एशिया से परे पहुँचना अपने प्रभाव को पश्चिमी पैसिफ़िक तथा अन्य जगहों तक बढ़ाना होगा।
अपने हितों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए, सैद्धांतिक रूप से, CCP को संप्रभुता की रक्षा करने, ग़ैर-हस्तक्षेप को बढ़ावा देने, बहुध्रुवीयता की वक़ालत करने तथा अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था व बहुपक्षीय संधियों का प्रतिरोध करके अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा अवधारणा को वैश्विक सुरक्षा ढाँचे तक विस्तृत करना चाहिए। GSI द्वारा CCP की वैश्विक सक्रियता को वैध ठहराने का प्रयास किया जाता है, जबकि राष्ट्र, स्व-शासित द्वीप को राजनयिक और सैन्य रूप से अलग करने तथा बीजिंग द्वारा उसके विलय की संभावनाओं को बढ़ाने के अपने अभियान के तहत ताइवान पर दबाव डालना जारी रखता है।
एक बात कहें, दूसरा करें
GSI पेपर में अस्पष्ट और अमूर्त शब्दावली के साथ-साथ निष्पक्ष प्रतीत होने वाली और तर्कसंगत प्रतिज्ञाएँ शामिल हैं। चीनी विदेश नीति और उसके कार्यान्वयन के ऐतिहासिक संदर्भ को देखते हुए, CCP की विश्वसनीयता के बारे में वैध चिंताएँ हैं। पार्टी अक्सर कहती कुछ है और करती कुछ है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि शी के नेतृत्व में, CCP का आक्रामक अंतरराष्ट्रीय व्यवहार GSI में समर्थित के विपरीत है।
GSI “अविभाज्य सुरक्षा के सिद्धांत” को क़ायम रखने का दावा करता है, लेकिन CCP ने दूसरों की क़ीमत पर अपने हितों को आगे बढ़ाया है, जैसे कि दक्षिण चीन सागर के विवादित जल में कृत्रिम भित्तियों तथा अन्य समुद्री ढाँचों का निर्माण व सैन्यीकरण, और समुद्र में फ़िलीपींस के नौवहन अधिकारों के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के 2016 के फ़ैसले को खारिज करना। GSI विवादों और संघर्षों को हल करने के लिए “बातचीत और परामर्श” की वकालत करता है, लेकिन CCP उन देशों को दंडित करने के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती और प्रतिबंधों का उपयोग करती है जो उसकी नीतियों से असहमत हैं, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया पर व्यापार प्रतिबंध लगाना, क्योंकि उसने उन विवादों की जाँच करने की माँग की थी कि COVID-19 की शुरुआत चीन में हुई थी और ओटावा द्वारा एक चीनी तकनीकी कंपनी के कार्यकारी की गिरफ़्तारी के प्रतिशोध में कनाडाई नागरिकों को हिरासत में लेना।
GSI “शीत युद्ध की मानसिकता को अस्वीकार करता है”, हालाँकि CCP ने माओ युग के बाद से अमेरिका को प्रतिद्वंद्वी माना है। GSI ग़ैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में “फ़ायदेमंद सहयोग” और “पारस्परिक सम्मान, समानता, [तथा] पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों” की वकालत करता है, लेकिन CCP ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के COVID-19 की उत्पत्ति की जाँच करने के अनुरोध को ख़ारिज कर दिया। जहाँ GSI “आंतरिक मामलों में ग़ैर-हस्तक्षेप को क़ायम रखता है” और “विभिन्न देशों में लोगों द्वारा किए गए विकास पथों और सामाजिक प्रणालियों के स्वतंत्र विकल्पों का समर्थन करता है,” CCP ने अपने 50 से अधिक देशों में, विशेष रूप से पश्चिमी देशों में न्यायाधिकार लागू करने के लिए 100 से अधिक गुप्त पुलिस स्टेशन स्थापित किए हैं। और CCP अपने स्वयं के व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों का बचाव करते हुए निरंकुश और अधिनायकवादी शासन द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन का समर्थन करती है।
CCP ख़ुद को शांतिदूत के रूप में चित्रित करती है, लेकिन उसने पड़ोसी देशों पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप विवादित सीमा पर भारत के साथ तथा विवादित जल क्षेत्र में फ़िलीपींस के साथ झड़पें हो रही हैं। ताइवान जलडमरूमध्य पर CCP का रुख़ शांति से कोसों दूर है। ताइवान के चारों ओर उसका व्यापक प्रचार अभियान और उकसावापूर्ण सैन्य अभ्यास बाहरी तौर पर उसकी वक़ालत करने वाले शांतिपूर्ण समाधान के बजाय उसके आक्रामक दृष्टिकोण का नमूना पेश करते हैं।
GSI ने यह मानने से इनकार किया कि रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, यह इस बात का सबूत है कि CCP रूसी अत्याचारों का निष्पक्ष मूल्यांकन नहीं करती है। उस संकट के मामले में उसका सुझाया गया समाधान यूक्रेन को शांति के बदले में अपना क्षेत्र छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है और नाटो को चेतावनी देता है कि वह उन देशों की रक्षा न करे जिन पर रूस आक्रमण करना चाहता है। CCP का शांति प्रस्ताव रूस का पक्ष लेता है और यूक्रेन को और अधिक पीड़ित करता है। यह बताता है कि क्यों रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) तथाकथित शांतिपूर्ण समाधान का स्वागत करते हैं जबकि यूक्रेन इसे अस्वीकार करता है।
GSI ने PRC को समस्या के समाधानकर्ता के रूप में दर्शाया है, जबकि अमेरिका को एक संकट पैदा करने वाले के रूप में दर्शाया है। लेकिन आलेख के तटस्थ और मनभावन प्रतीत होने वाले गद्य का दिखावा, प्रतीत होता है कि न तो असलियत व्यक्त करता है और न ही यह निर्दिष्ट करता है कि GSI विभिन्न हित रखने वाले देशों के बीच संघर्षों को कैसे हल करेगा। इसमें सार और व्यवहार्यता का अभाव है।
काग़ज़ी शेर, लेकिन काटने वाला
GSI एशिया पर ज़ोर देता है क्योंकि, शी के विचार में, यह क्षेत्र “विश्व शांति के लिए लंगर, वैश्विक विकास के लिए पावरहाउस और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए नया गति-निर्धारक होगा।” शी और GSI ने इंडो-पैसिफ़िक देशों से सहयोग करने और शंघाई सहयोग संगठन (SCO), ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ़्रीका (BRICS) के आर्थिक समूह, चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन, और पूर्वी एशियाई सहयोग के तंत्र जैसे क्षेत्रीय संगठनों तथा सभाओं की भूमिका का लाभ उठाने का आह्वान किया। शी, बिना बाहरी हस्तक्षेप के एशियाई देशों द्वारा एशिया के सुरक्षा मामलों को संभालने के अपने दृष्टिकोण को साकार करना चाहते हैं। इस अर्थ में, CCP एक पारंपरिक चीनी सैन्य सिद्धांत को लागू करती है जिसे “आक्रमण के ज़रिए बचाव” (defense through offense) के रूप में जाना जाता है। आक्रामक रुख़ अपनाकर, GSI रक्षात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है और पश्चिमी प्रभाव को कम करते हुए एशिया में चीन की प्रमुख स्थिति को मज़बूत करना चाहता है। CCP के दृष्टिकोण को समझने में विफलता का मतलब यह हो सकता है कि अमेरिका अपने वैश्विक संसाधन आबंटन को कम कर देगा तथा संभावित रूप से महान शक्ति प्रतिस्पर्धा की अग्रिम पंक्ति, इंडो-पैसिफ़िक में प्रतिरोध खो देगा।
सतही तौर पर, GSI अमेरिका और उसके सहयोगियों तथा साझेदारों के लिए तत्काल ख़तरा पैदा नहीं करता है। लेकिन इसका अंतर्निहित इरादा गंभीर रूप से चुनौतीपूर्ण है। यह ध्यान देने योग्य है कि CCP की एशियाई सुरक्षा अवधारणा का उद्देश्य अन्य एशियाई देशों और संगठनों से भिन्न है। उदाहरण के लिए, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ अपने 10 सदस्य देशों के बीच शांति, स्थिरता और सहयोग की वकालत करता है। जापान की स्वतंत्र और खुली इंडो-पैसिफ़िक अवधारणा नियम-आधारित व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय क़ानून के प्रति सम्मान, नैविगेशन की स्वतंत्रता और खुली व पारदर्शी आर्थिक प्रणालियों का समर्थन करती है। क्षेत्र में सभी के लिए भारत की सुरक्षा और विकास पहल समुद्री सुरक्षा, कनेक्टिविटी, संवहनीय विकास और हिंद महासागर के राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है।
इस बीच, GSI दुनिया के अन्य हिस्सों के लिए एक सुरक्षा दृष्टिकोण प्रस्तावित करता है। वह अफ़्रीका, कैरेबियन और लैटिन अमेरिका में देशों का समर्थन करने और मध्य पूर्व में शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने का आह्वान करता है। ज़ाहिर है, CCP चीन की सीमाओं से परे महत्वपूर्ण भूमिका का दावा करने के लिए उत्सुक है। GSI उसे प्रभाव हासिल करने के लिए अधिक देशों के साथ सुरक्षा संबंध विकसित करने हेतु सामरिक मंच प्रदान करता है।
GSI, CCP को वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) आधारभूत संरचना योजना, SCO, चीन-अफ़्रीका सहयोग फ़ोरम और BRICS जैसे प्लेटफ़ार्मों तथा तंत्रों के माध्यम से अपनी विश्वव्यापी महत्वाकांक्षा का विस्तार करने में मदद करना चाहता है। CCP ने अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले चीनी मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए BRICS, OBOR और एशियन इंफ़्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक का इस्तेमाल किया है। उसने 40 से अधिक देशों और क्षेत्रों में 582 अरब युआन ($81.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) वितरित किए हैं। 25 से अधिक देशों ने BRICS में शामिल होने की योजना बनाई है और 30 देशों ने कहा है कि वे प्रस्तावित BRICS मुद्रा को स्वीकार करेंगे। हालाँकि अमेरिका रातों-रात अपनी वैश्विक आरक्षित स्थिति नहीं खोएगा, लेकिन CCP अमेरिकी वर्चस्व को कमज़ोर करना चाहता है।
GSI द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सुरक्षा गठबंधनों और साझेदारियों को चुनौती देता है, ताकि चीन से निपटने के तरीक़े के बारे में राष्ट्रों के बीच विभाजन पैदा किया जा सके। जहाँ सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह के नेताओं ने मई 2023 में जापान के हिरोशिमा में रूस-यूक्रेन युद्ध और ताइवान तनाव पर चर्चा करने के लिए मुलाक़ात की, वहीं शी ने चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की तथा और पाँच अन्य भाग लेने वाले देशों को 26 अरब युआन ($3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का ऋण और अनुदान देने का वादा किया।
GSI का प्रतिरोध
GSI के इरादे और ऐतिहासिक संदर्भ की बारीकी से जाँच — साथ ही CCP की कथनी और करनी के बीच असमानता — चुनौतियों और संभावित नकारात्मक परिणामों को प्रकट करती है। GSI एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा फ़्रेमवर्क प्रस्तावित करता है जो चीन को सकारात्मक रूप से प्रतिबिंबित करता है, लेकिन उसकी राजनयिक भाषा CCP को दुनिया भर में सुरक्षा उपायों के वाहक के रूप में चित्रित करने के लक्ष्य को धुँधला करती है। जहाँ GSI एक काग़ज़ी शेर है, वहीं वह अमेरिका की लागत पर शी के चीन के सपने को विश्व मंच पर ले जाना चाहता है। जो राष्ट्र CCP की मंशा पर सवाल उठाते हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए। हालाँकि, प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में शी के दृष्टिकोण की आलोचना करने से कहीं ज़्यादा शामिल है। GSI के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडे का मुक़ाबला करने के लिए कठोर और नरम व्यावहारिक उपायों के साथ-साथ GSI के बारे में पूरी समझ की आवश्यकता है।
अमेरिका और उसके सहयोगियों और साझेदारों के लिए CCP सबसे बड़ी चुनौती है और संभावित रूप से वैश्विक शांति में सबसे बड़ी बाधा है। यह मानना मूर्खता होगी कि CCP उन देशों के अनुरूप हो जाएगी जो नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को क़ायम रखते हैं। अब CCP के बारे में ऐसे किसी भी भ्रम को त्यागने और एकीकृत कार्रवाई करने का समय आ गया है। इंडो-पैसिफ़िक और GSI में प्रमुखता से उल्लिखित अन्य क्षेत्रों: अफ़्रीका, लैटिन अमेरिका तथा मध्य पूर्व में CCP के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए दृढ़ और सुसंगत नीति पर आधारित प्रतिस्पर्धी वैश्विक सुरक्षा पहल की आवश्यकता है। वह केंद्रीय कार्य — नई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गत्यामकता — के संदर्भ में CCP से निपटने के लिए रणनीति विकसित करना, प्राथमिकता होनी चाहिए।
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