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उत्तर कोरिया में जीवन की बिगड़ती गुणवत्ता का संकेत देता पलायनकर्ताओं का सर्वेक्षण

रेडियो फ़्री एशिया

6,300 से अधिक उत्तर कोरियाई पलायनकर्ताओं का एक सर्वेक्षण इस अलग-थलग देश में जीवन की धूमिल तस्वीर पेश करता है: जहाँ कमज़ोर अर्थव्यवस्था और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के चलते खाद्यान्न दुर्लभ हो गया है।

साक्षात्कारकर्ताओं ने कहा कि महिलाएँ परिवारों और समाज में अधिक उच्च भूमिका निभाती हैं — समानता की भावना बढ़ने के कारण नहीं बल्कि आर्थिक ज़रूरत के कारण।

दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय द्वारा 2013 और 2022 के बीच संकलित रिपोर्ट बताती है कि 2011 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) के सत्ता में आने के बाद से जीवन की गुणवत्ता ख़राब हो गई है।

हान सोंगमी (Han Songmi), जो 2011 में पलायन के समय 19 वर्ष की थी, उन 30,000 से अधिक लोगों में से एक है जो पिछले कुछ वर्षों में उत्तर कोरिया से भाग गए हैं।

उसने कहा, “अधिकारी बच्चों पर उनके कपड़ों और हेयर स्टाइल को लेकर सख़्ती दिखाते हैं।” “बच्चे आपस में भले ही कहें कि ‘हम ऐसा नहीं करना चाहते,’ लेकिन हम वयस्कों के सामने ऐसा नहीं कह सकते। वयस्क हमेशा कहेंगे, ‘सावधान रहो, तुम्हारे कारण तुम्हारे माता-पिता गिरफ़्तार हो सकते हैं।’

सर्वेक्षण में पाया गया कि उत्तर कोरिया में आर्थिक हालात ख़राब हो गए हैं। 1990 के दशक तक, लोग भोजन के लिए सरकारी राशन पर निर्भर थे, लेकिन जब सोवियत संघ का पतन हो गया और मॉस्को से सहायता बंद हो गई, तो परिणामी अकाल में 20 लाख (2 मिलियन) लोग मारे गए।

2016 और 2020 के बीच उत्तर कोरिया से पलायन करने वाले सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से 72% से अधिक ने कहा कि उन्हें कभी खाद्यान्न राशन नहीं मिला। इस प्रणाली का उद्देश्य सरकार द्वारा सौंपी गई नौकरियों और वेतन के माध्यम से राशन तक पहुँच प्रदान करना है जिसका उपयोग रियायती क़ीमतों पर खाद्यान्न की ख़रीदारी के लिए किया जा सकता है। दरअसल, ऐसी नौकरियों से बहुत कम सहायता मिलती थी।

2000 से पहले पलायन करने वाले लोगों में से एक तिहाई से अधिक लोगों ने कहा कि उन्हें अपने आधिकारिक कार्यस्थल पर खाद्यान्न राशन या मज़दूरी नहीं मिली। 2016 और 2020 के बीच भागने वालों में से लगभग आधे लोगों ने यही कहा।

महिलाओं ने चीन से तस्करी द्वारा लाई गई सब्जियाँ और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ जैसे सामान ख़रीदना और बेचना शुरू कर दिया है। 70% से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि किम के सत्ता सँभालने के बाद उन्हें जीवित रहने के लिए ऐसी बिक्री पर निर्भर रहना पड़ा है।

जबकि नागरिक जीवित रहने के लिए साइड-बिज़नेस चलाते हैं, शासन के नेता ऐसे व्यवसायों से लाभ का प्रतिशत माँगकर या रिश्वत लेकर आर्थिक लाभ के लिए अपने पद का उपयोग करते हैं।

किम के सत्ता में आने के बाद से पलायनकर्ता उत्तरदाताओं में से 41% ने कहा कि उनकी मासिक आय का 30% से अधिक लूट लिया गया। 2016 और 2020 के बीच भागने वालों में से 54% से अधिक ने कहा कि उन्होंने रिश्वत दी थी।

“जैसे-जैसे अधिकारियों की कार्रवाई तेज़ होती जा रही है, निवासियों के पास अपनी आजीविका के लिए वे जो कुछ भी कर रहे हैं, उसमें रिश्वत देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है,” 2014 में उत्तर कोरिया से भागकर संयुक्त राज्य अमेरिका में बसने वाले ली ह्यून-सेउंग (Lee Hyun-Seung) ने कहा। सर्वेक्षण के लिए उनका साक्षात्कार नहीं लिया गया।

उन्होंने कहा, “क्योंकि हमारे पास आर्थिक स्वतंत्रता नहीं है, जो लोग आर्थिक गतिविधियों में संलग्न हैं उन्हें क़ानूनी सुरक्षा नहीं मिल सकती है।” “यही कारण है कि हम रिश्वत देते हैं और सुरक्षा प्राप्त करते हैं या सत्ता में बैठे लोगों से सज़ा पाने से बचते हैं।”

शासन के प्रति समर्थन कम हो गया है। 2011 से पहले भागने वाले उत्तरदाताओं में से, लगभग 30% ने कहा कि उनके मन में शासन के प्रति नकारात्मक भावनाएँ हैं। 2012 के बाद पलायन करने वालों में यह भावना बढ़कर 53% हो गई है। 2016 और 2020 के बीच के भगोड़ों के लिए यह आँकड़ा 56% से अधिक था।


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