फ़ोरम स्टाफ़
यूनाइटेड स्टेट्स इंडो-पैसिफ़िक कमांड (USINDOPACOM) सेंटर फ़ॉर एक्सलेंस इन डिज़ास्टर मैनेजमेंट एंड ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस (CFE-DM) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन 2050 तक इंडो-पैसिफ़िक की 80% से अधिक आबादी को प्रभावित कर सकता है। दुनिया भर में, बढ़ते समुद्री जल स्तर और तटीय बाढ़ के कारण 20 करोड़ (200 मिलियन) से अधिक लोगों को अपने घरों से निकलने के लिए मज़बूर होने की आशंका है, जिसमें ब्लू पैसिफ़िक देश सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
अत्यधिक गर्मी और तीव्र तूफ़ानों से इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र के देशों में आजीविका, स्वास्थ्य, महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं तथा रक्षा प्रतिष्ठानों को ख़तरा है। इसके परिणामस्वरूप प्रवासन, संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा, खाद्य असुरक्षा और अन्य जलवायु परिणाम, जटिल सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा करते हैं।
CFE-DM के जलवायु परिवर्तन प्रभाव (CCI) कार्यक्रम का लक्ष्य ऐसी क्षमता का निर्माण करना है जो अमेरिका, उसके सहयोगियों एवं साझेदारों को क्षेत्रीय प्रतिरोधक्षमता और स्थिरता बढ़ाने तथा स्वतंत्र व खुले इंडो-पैसिफ़िक के हिस्से के रूप में सुरक्षित एवं समृद्ध जीवन का समर्थन करने दे।
CCI प्रोग्राम जलवायु सुरक्षा विशेषज्ञों के क्षेत्रीय नेटवर्क को सुगम करता है और सुरक्षा प्रभावों पर प्रतिक्रिया देने के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा योजनाओं व कार्यक्रमों पर चर्चा करने का साधन मुहैया कराता है।
कार्यक्रम द्वारा जलवायु परिवर्तन के सुरक्षा निहितार्थों का बेहतर अनुमान लगाने और उनका मुक़ाबला करने के प्रयासों का एक स्तंभ है सहयोग, जिसमें साझेदारों की सहभागिता भी शामिल है।
CCI के प्रोग्राम मैनेजर स्टीव फ़्रैनो (Steve Frano) ने कहा, “हम अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ बात करते हैं, हम कार्यक्रम और पहल विकसित करते हैं, तथा हम इन्हें अपनी योजना में शामिल करते हैं।”
2023 में, CFE-DM ने फ़िजी गणराज्य के सैन्य बलों और अमेरिकी सैन्य बलों के बीच वार्ता; सिंगापुर में वैश्विक अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी सम्मेलन; श्रीलंका में इंडो-पैसिफ़िक पर्यावरण सुरक्षा फ़ोरम; और दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता, COP28 के दौरान आपदा प्रबंधन और जलवायु प्रभावों पर जानकारी साझा की। केंद्र ने मलेशियाई सशस्त्र बलों, न्यूज़ीलैंड डिफ़ेंस फ़ोर्स, रॉयल थाई सशस्त्र बलों, श्रीलंकाई वायु सेना और यूनाइटेड किंगडम की रॉयल वायु सेना के प्रतिनिधिमंडलों के साथ जलवायु परिवर्तन पर संवादों की भी मेज़बानी की।
अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय ढाँचे CCI प्रोग्राम का मार्गदर्शन करते हैं, जिसमें ब्लू पैसिफ़िक महाद्वीप के लिए पैसिफ़िक आइलैंड फ़ोरम की 2050 की रणनीति और उसकी बो-डिक्लरेशन कार्य-योजना शामिल है, जो जलवायु परिवर्तन को पैसिफ़िक की आबादी की “आजीविका, सुरक्षा और समाज-कल्याण के लिए सबसे बड़े ख़तरे” के रूप में चिह्नित करती है।
क्षेत्रीय क्षमता और प्रतिरोधक्षमता के निर्माण में सहयोग करने के लिए, CCI प्रोग्राम विज्ञान-समर्थित डेटा और विश्लेषण का उपयोग करता है तथा इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के समाधान के लिए सूचित निर्णय लेना है, जिसमें महिलाओं और युवतियों को असमान रूप से प्रभावित करने वाले प्रभाव भी शामिल हैं।
CFE-DM के निदेशक जोसेफ़ मार्टिन (Joseph Martin) ने रिपोर्ट के परिचय में लिखा, CFE-DM के अनुरोध पर हवाई विश्वविद्यालय द्वारा प्रबंधित पैसिफ़िक डिसास्टर सेंटर द्वारा आयोजित इंडो-पैसिफ़िक 2050 जलवायु परिवर्तन प्रभाव विश्लेषण, जलवायु परिवर्तन से प्रेरित ख़तरों का सामना करने की राष्ट्रों की क्षमता पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। विश्लेषण ने “भविष्य को नैविगेट करने” के लिए हवाईयन होओकेले मुआ अभ्यास का भी समर्थन किया, जिसमें अमेरिकी कर्मियों ने विचार किया कि USINDOPACOM योजना में जलवायु परिवर्तन को कैसे शामिल किया जाना चाहिए और उन निर्णयों से निवेश तथा सहयोगियों व साझेदारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
CCI प्रोग्राम पूरे इंडो-पैसिफ़िक में रक्षा और सुरक्षा अभ्यासों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को एकीकृत करने का समर्थन करता है।
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