सैन्य शासन के ख़िलाफ़ एकजुट के प्रयास
सैन्य शासन के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण मोड़ को तलाशती म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक ताक़तें

लेफ़्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) डॉ. मिमी विन्न बर्ड (Miemie Winn Byrd)/डैनियल के. इनौये (Daniel K. Inouye) एशिया-पैसिफ़िक सेंटर फ़ॉर सेक्युरिटी स्टडीज़
त ख़्तापलट में सत्ता पर कब्ज़ा करने के दो साल बाद, म्यांमार की सेना पतन के कगार पर है। तख़्तापलट के साज़िशकर्ता देश पर नियंत्रण हासिल करने में विफल रहे जब उन्होंने 1 फ़रवरी 2021 को उसकी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका और उसके नेता, दाऊ आंग सान सू की (Daw Aung San Suu Kyi) और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों को हिरासत में ले लिया।
तख़्तापलट की शुरुआत में व्यापक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा हुई। हालाँकि, सैन्य शासन की अथक, क्रूर कार्रवाई ने अहिंसक विरोध को सशस्त्र प्रतिरोध में बदल दिया। पूरे देश में सेना के उत्पीड़न के कारण मानवीय संकट, अस्थिरता और सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा हुई हैं जो म्यांमार की सीमाओं से परे फैल गई हैं।
नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के नेतृत्व वाले प्रतिरोध गठबंधन ने कई महिलाओं सहित 90% से अधिक आबादी को एकजुट किया है, पीपल्स डिफ़ेंस फ़ोर्स (PDF) की स्थापना की है और वह युद्ध में तपे-तपाए जातीय क्रांतिकारी संगठनों (ERO) के साथ सामरिक रूप से सहयोग कर रहा है। इन प्रयासों से पता चलता है कि कैसे जनसंख्या की प्रतिरोधक्षमता ने एक आंदोलन को जुंटा पर ज़बरदस्त दबाव डालने के लिए सशक्त बनाया है। अपने ही स्थानिक भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और दंभ के बोझ तले दबी सेना ने अपनी युद्ध प्रभावशीलता और व्यावसायिकता खो दी है। वह एक सशस्त्र अपराध सिंडिकेट में विकसित हो गया है। इस प्रकार, वह उदारवादी ताक़तों के ढीले-ढीले गठबंधन के ख़िलाफ़ भी ज़मीन पर लड़ने में असमर्थ है: ख़राब प्रशिक्षित असैन्य, संगठित और संसाधनयुक्त PDF कर्मी, तथा अनुभवी EROs। NUG, PDF और EROs के लिए लोगों के समर्थन के कम करने के लिए जुंटा क़स्बों और गाँवों के ख़िलाफ़ हवाई हमलों पर निर्भर है।
जहाँ जुंटा अपनी अयोग्यता के कारण ढह रहा है, वहीं प्रतिरोध गठबंधन के पास अपनी सफलताओं को मज़बूत करने और सेना के ख़िलाफ़ निर्णायक बिंदु तक पहुँचने के लिए एकीकृत कमान प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस समर्थन होना चाहिए।
अस्थिरता का इतिहास
म्यांमार में, जिसे बर्मा के नाम से भी जाना जाता है, राजनीतिक अस्थिरता का लंबा इतिहास रहा है, मुख्य रूप से 1962 से 2011 तक क्रूर सैन्य तानाशाहों के शासन के तहत। सेना ने, जो देश की स्थिरता की संरक्षक होने का दावा करती थी, जातीय अल्पसंख्यक समूहों पर अत्याचार किया, जिससे दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाले जातीय विद्रोह हुए। 2011 में, जुंटा ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) से अलग होने और पश्चिम के साथ फिर से जुड़ने के लिए असैन्य सरकार में परिवर्तित होने का प्रयास किया। हालाँकि, सक्रिय-ड्यूटी वाले सैन्य सदस्यों के लिए संसद की 25% सीटें आरक्षित करके और संविधान में संशोधन के लिए 75% संसद की आवश्यकता के ज़रिए अपनी सत्ता को सुरक्षित करने के सेना के प्रयास लोगों की इच्छा को दबाने में असफल रहे।
2015 में, म्यांमार की नागरिक राजनीतिक पार्टी, दाऊ आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने आम चुनाव जीता और सत्ता में आई। NLD ने 2020 के चुनावों में एक और शानदार जीत हासिल की। हालाँकि, जनरल मिन आंग ह्लाइंग (Min Aung Hlaing) के नेतृत्व में सेना ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया और तख़्तापलट से सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। तख़्तापलट को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर व्यापक रूप से अवैध के रूप में देखा गया और लोकतंत्र की बहाली की माँग करने वाले नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा को जन्म दिया। जुंटा ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोला-बारूद, आँसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल करते हुए बलपूर्वक प्रतिक्रिया की। तब जुंटा ने ख़ुद को राज्य प्रशासनिक परिषद घोषित किया, और सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों तथा उनके परिवारों को मनमाने ढंग से गिरफ़्तार करना, यातना देना और मारना
शुरू कर दिया, जिससे लोगों का शांतिपूर्ण आंदोलन सशस्त्र प्रतिरोध

में बदल गया।
संकट और गहरा गया जब असैनिकों पर हमलों ने कई लोगों को पड़ोसी देशों में भागने के लिए मज़बूर किया, और हवाई हमलों तथा गाँवों को जलाने से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों और शरणार्थियों का प्रवाह बढ़ गया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मार्च 2023 तक, तख़्तापलट के बाद से 16 लाख (1.6 मिलियन) से अधिक लोग विस्थापित हो चुके थे और लगभग 180 लाख (18 मिलियन) लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा देखरेख तक पहुँच में सहायता की ज़रूरत थी। जुंटा ने इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया है और पहुँच को अवरुद्ध किया है, जिससे राहत संगठनों के लिए ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचना मुश्किल हो गया है। म्यांमार में मानवीय संकट लगातार बदतर होता जा रहा है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने जुंटा के कार्यों की निंदा की है तथा लोकतंत्र की बहाली का आह्वान किया है।
किनारे पर लड़खड़ाता सैन्य जुंटा
चीन और रूस के समर्थन के बावजूद, जुंटा की सेनाएँ प्रतिरोध गठबंधन बलों के समक्ष हारती जा रही हैं। सेना का नियंत्रण विशेष रूप से सागाइंग और मैगवे क्षेत्रों में कम हो गया है, जहाँ PDF ने अधिकांश जुंटा प्रशासकों को उनके पदों से हटा दिया है। जुंटा ने सीमावर्ती क्षेत्रों को भी स्थानीय EROs के हाथों खो दिया है। स्वतंत्र विशेषज्ञों के अनुसार, अप्रैल 2023 के मध्य तक, जुंटा ने देश के आधे से भी कम हिस्से या 330 टाउनशिप में से लगभग 72 पर नियंत्रण कर लिया।
कई मोर्चों पर लड़ने के कारण जुंटा बलों को महत्वपूर्ण नुक़सान हुआ है। इसके साथ-साथ, यू.एस. इन्स्टीट्यूट ऑफ़ पीस (USIP) ने जुलाई 2022 में सूचित किया कि “सैनिकों को भर्ती करने और प्रशिक्षित करने की सेना की क्षमता नदारद है, जिससे देश भर में प्रमुख पुलिस कार्यों को ख़त्म करने और पुलिस अधिकारियों को अग्रिम पंक्ति में भेजने का हताश क़दम शुरू हो गया है।” द न्यूयॉर्क टाइम्स अख़बार ने नवंबर 2021 में रिपोर्ट किया कि तख़्तापलट के बाद, म्यांमार रक्षा सेवा अकादमी, अपने 67 साल के इतिहास में पहली बार, अपने नए रंगरूटों को भरने में असमर्थ रही।
अधिकांश कर्मी अपनी सैन्य संबद्धता को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से डरते और शर्मिंदगी महसूस करते हैं। दलबदल करने वाले पूर्व लड़ाकों के अनुसार, 70% सैनिकों में अब लड़ने की इच्छा नहीं है। दलबदलुओं ने कहा कि नागरिकों को गोली मारने का आदेश दिए जाने के बाद उन्हें सेना छोड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ा। हालाँकि, कई लोग छोड़कर नहीं जा सके, क्योंकि जुंटा ने सैन्य परिवारों को परिसरों में स्थानांतरित कर दिया है और उनके संचलन को प्रतिबंधित किया है, जिससे उन्हें प्रभावी रूप से बंधक बना लिया गया है। एक दलबदलू, वायु सेना पायलट ने कहा कि सशस्त्र गार्ड पायलट के घर को घेर लेते हैं जब वह कॉकपिट में प्रवेश करता है और अपना बमबारी अभियान पूरा करने के बाद ही वहाँ से हटते हैं। कई सैन्य परिवार के सदस्यों को संघर्ष में काम करने और बिना वेतन के ठिकानों पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए मज़बूर किया जाता है।
दलबदल और पलायन ने विभिन्न वर्गों में मनोबल संकट पैदा किया है। 2022 के मध्य में दलबदल करने वाले एक बटालियन कमांडर ने कहा कि उनकी इकाई लगभग 800 की पूरी टुकड़ी से घटकर 150 कर्मियों पर आ गई है। कई कमांडरों ने उन सैनिकों के वेतन को अपनी जेब में डाल लिया जो दलबदल कर गए थे या कार्रवाई में मारे गए थे, जिससे जुंटा नेतृत्व को कर्मियों की ताक़त की सही समझ नहीं थी। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के अनुसार, 3,000 सैन्य और 7,000 पुलिस सहित 10,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी दल छोड़कर चले गए हैं।
कम मनोबल और छिन्न-भिन्न रसद के कारण होने वाली ज़मीनी क्षति चौंकाने वाली बात नहीं है। जनता पर अत्याचार करने के लिए जुंटा मुख्य रूप से वायु शक्ति पर निर्भर है और तख़्तापलट की साज़िश रचने वाले सैन्य शासन के ख़िलाफ़ लोगों के संकल्प का ग़लत आकलन जारी रखे हुए हैं। जन कल्याण के प्रति जुंटा की उपेक्षा उसके अपने सैनिकों के साथ व्यवहार तक फैली हुई है। सैन्य नेता उत्तरोत्तर अलग-थलग पड़ रहे हैं और उनका ध्यान केवल आत्म-संरक्षण और स्वार्थ पर केंद्रित है। उनका मानना है कि देश को बड़े पैमाने पर मानवीय पीड़ा से ही नियंत्रित किया जा सकता है। उस मानसिकता को देखते हुए — और भारी बल का उपयोग करने वाले प्रतिरोध बलों की संभावना के अतिरिक्त — अधिक रणनीतिक, ग़ैर-घातक रणनीति ही जुंटा को बातचीत के लिए मजबूर करने का एकमात्र तरीक़ा हो सकता है।

एकता की दिशा में
जब सेना अपने ही कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण विघटित हो रही है, प्रतिरोध गठबंधन को अपने लाभ को मजबूत करने और बनाए रखने के लिए सहयोग करना चाहिए। यद्यपि जातीय सशस्त्र संगठन (EAO), EROs के सशस्त्र विंग, तख़्तापलट के बाद से PDF को प्रशिक्षण, समर्थन और सुसज्जित करने में NUG के साथ सहयोग कर रहे हैं, तथापि सभी समूहों में प्रयासों को एकजुट करने के लिए अधिक सुसंगत कमान एकता की ज़रूरत है।
EAOs दशकों से म्यांमार के राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुखता से दिखाई दे रहे हैं, केंद्रीय सैन्य सरकार के जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ उत्पीड़न और भेदभाव के जवाब में अपने क्षेत्रों पर अधिक स्वायत्तता और नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं, जो आबादी का लगभग 30% हिस्सा है। लगभग दो दर्जन EAOs विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें से प्रत्येक के अलग-अलग क्षेत्र, इतिहास और शिकायतें हैं।
कमान एकता हासिल करने के लिए, EROs को संघीय लोकतंत्र की गारंटी की आवश्यकता है जहाँ उनके पास राजनीतिक व्यवस्था के भीतर स्वायत्तता और समानता हो। ऐसी एकता को सक्षम करने के लिए ज़रूरी विश्वास ऐतिहासिक ग़लतफ़हमी और बर्मी बहुमत द्वारा खंडित वादों के कारण दुर्गम रहा है, जिसका प्रतिनिधित्व अब NLD द्वारा किया जाता है। हालाँकि NUG ने मौखिक आश्वासन दिया है, पर EROs इस बात को लेकर चिंतित हैं कि लोकतंत्र बहाल होने के बाद ऐसी गारंटी कैसे लागू की जाएगी। मार्च 2023 में, संघीय राजनीतिक वार्ता और सलाहकार समिति ने, जो सात शक्तिशाली EAOs का समूह है, कहा कि हालाँकि वे बर्मी बहुमत के साथ सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं, लेकिन उन्हें अपने अधिकार हासिल करने और संघीय लोकतंत्र स्थापित करने के लिए ख़ुद पर भरोसा करना होगा। NUG के लिए ज़रूरी है कि वह प्रतिरोध गठबंधन को मज़बूत करने के लिए EROs को अधिक आश्वासन प्रदान करे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली, सभी राजनीतिक क़ैदियों की रिहाई और राष्ट्र पर वैश्विक हथियार प्रतिबंध का आह्वान किया है। दिसंबर 2022 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 12 ने सेना के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने के लिए मतदान किया, लेकिन भारत, चीन और रूस अनुपस्थित रहे।
यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने सैन्य जुंटा और उसके नेताओं पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें संपत्ति ज़ब्त करना और यात्रा पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। अमेरिकी कांग्रेस ने दिसंबर 2022 में बर्मा अधिनियम पारित किया, जिसमें NUG, PDF, EAOs और म्यांमार सेना के पूर्व सदस्यों को ग़ैर-घातक तकनीकी सहायता अधिकृत की गई।
तख़्तापलट की शुरुआत से ही, चीन और रूस ने आम तौर पर जुंटा का समर्थन करने के बावजूद दोनों पक्षों को समर्थन प्रदान किया है, जो संभवतः म्यांमार में उनके महत्वपूर्ण निवेश की रक्षा करने का प्रयास है। उदाहरण के लिए, अपनी वन बेल्ट, वन रोड आधारभूत संरचना योजना के तहत, पीआरसी ने चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे के हिस्से के रूप में रेलमार्ग, राजमार्ग, तेल व गैस पाइपलाइन और हिंद महासागर पर क्याउकप्यू में कम से कम एक बंदरगाह बनाने की परियोजनाओं में बड़े निवेश दाँव पर लगाए हैं। काचिन राज्य में इरावदी नदी पर एक जलविद्युत बाँध का निर्माण भी अधर में लटका हुआ है। USIP की अक्तूबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, बाँध से उत्पादित बिजली का नब्बे प्रतिशत चीन को निर्यात किया जाएगा।

बीजिंग के ग़ैर-हस्तक्षेप की नीति का पालन करने के दावे के बावजूद, PRC म्यांमार के आंतरिक मामलों में भी तेज़ी से संलिप्त हो गया है। उसने न केवल सेना के साथ अपने घनिष्ठ संबंध बनाए रखे हैं बल्कि जातीय सशस्त्र समूहों को संतुष्ट करने का भी प्रयास किया है। म्यांमार के लिए बीजिंग के निरंतर आर्थिक और राजनयिक समर्थन तथा जुंटा की निंदा करने से इनकार ने उसके इरादों के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं और उसकी व्यापक आलोचना हुई है।
विश्लेषकों के अनुसार, संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हुए, चीन ने दोनों पक्षों को हथियारों की आपूर्ति जारी रखी है, ताकि प्रत्येक का फ़ायदा उठा सके। वैसे, अधिकांश हथियार और युद्ध सामग्री जुंटा के पास पहुँचे हैं, जिस पर युद्ध अपराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों का आरोप है। जब कि, चीन ने पश्चिमी देशों को म्यांमार में समाधान की तलाश करने से रोकने की कोशिश की है।
आसियान का रुख़
इस बीच, दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को लोकतंत्र बहाल करने हेतु सेना पर दबाव बनाने के लिए और अधिक प्रयास करना होगा। अप्रैल 2021 में स्वीकृत आसियान की पाँच सूत्री सहमति में निम्नलिखित बातें शामिल हैं: तत्काल हिंसा की समाप्ति; सभी पक्षों के बीच रचनात्मक बातचीत; एक विशेष दूत की नियुक्ति; मानवीय सहायता का प्रावधान; और विशेष दूत द्वारा म्यांमार की यात्रा। जुंटा नेता मिन आंग ह्लाइंग उस महीने समझौते पर सहमत हुए, लेकिन सेना का हिंसा अभियान जारी है।
आलोचकों का कहना है कि आम सहमति में जुंटा को जवाबदेह ठहराने के लिए तंत्र का अभाव है और यह काफ़ी हद तक आसियान के लिए सदस्य देशों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत को बनाए रखने का एक तरीक़ा था।
इसके अलावा, संकट से निपटने के तरीक़े पर आसियान के भीतर एकता की कमी ने संगठन के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है, कुछ सदस्य देश जुंटा की आलोचना कर रहे हैं जबकि अन्य बोलने से झिझक रहे हैं।
महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका
सेना के ख़िलाफ़ पिछले विद्रोहों के विपरीत, वर्तमान लोकतंत्र समर्थक प्रतिभागियों में लगभग 60% महिलाएँ हैं। तख़्तापलट के बाद कारेनी नेशनैलिटीज़ डिफ़ेंस फ़ोर्स (KNDF) बटालियन 5 महिला युद्धक बल के गठन की पहली EAO थी। तब से, कई EAOs और PDF इकाइयों में महिला लड़ाके शामिल किए गए हैं। म्याउंग महिला योद्धा (M2W) सागांग क्षेत्र में जुंटा सैनिकों के ख़िलाफ़ अपने बारूदी सुरंग हमलों के लिए जानी जाती हैं। जहाँ कुछ महिलाएँ घातक युद्ध अभियानों में भाग लेती हैं, वहीं पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएँ ग़ैर-घातक प्रतिरोध में शामिल होती नज़र आती हैं। महिलाएँ प्रतिरोध का समर्थन करने और उसे बनाए रखने के लिए स्थानीय जनता की सहायता करने और उन्हें संगठित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। महिलाओं के ग़ैर-घातक प्रयास लोगों में संघर्षशीलता पैदा कर रहे हैं और जुंटा की देशव्यापी अस्वीकृति के अभूतपूर्व स्तर को बनाए रख रहे हैं। हालाँकि, अपनी अधिक संख्या के बावजूद, महिलाओं में अभी भी सैन्य कार्रवाइयों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए NUG, PDF, EROs, EAOs और अन्य संगठनों के भीतर नेतृत्व पदों पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व का अभाव है।
राष्ट्रीय एकता सरकार की भूमिका
कुल मिलाकर, तख़्तापलट का सबसे उत्साहजनक विरोध म्यांमार के लोगों की ओर से आया है। संयुक्त राष्ट्र में देश के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत, क्याव मो तुन (Kyaw Moe Tun) ने तख़्तापलट की निंदा करते हुए और लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता का अनुरोध करके संयुक्त राष्ट्र महासभा में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक रुख़ अपनाया है। वह वैश्विक मंच पर सेना की कार्रवाई के ख़िलाफ़ बोलने वाले म्यांमार के पहले राजनयिक थे।
उनकी उपस्थिति के बाद NUG, NLD सांसदों, जातीय अल्पसंख्यक समूहों और नागरिक समाज के नेताओं के गठबंधन के रूप में उभरा जो सेना की पकड़ से बच गए थे। NUG की यह घोषणा कि वह लोगों की आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करने वाली वैध सरकार है, देश के राजनीतिक परिदृश्य की महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने लोकतंत्र को बहाल करने के लिए एक मंच प्रदान किया और सेना की वैधता के समक्ष महत्वपूर्ण चुनौती पेश की।

NUG के गठन का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह था कि उसने विभिन्न राजनीतिक और जातीय समूहों को एकजुट किया जो अक्सर प्रतिकूल रहते थे। NUG के गठन ने एक ऐसे भविष्य का आभास दिया जहाँ सहकार और सहयोग एक अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक समाज का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
हालाँकि, NUG का प्रभाव कई चुनौतियों से बाधित हुआ है, जिसमें अन्य देशों से औपचारिक मान्यता की कमी भी शामिल है। उसने NUG की संसाधनों और समर्थन तक पहुँच को सीमित कर दिया है, साथ ही लोकतंत्र समर्थक ताक़तों पर सैन्य कार्रवाई ने NUG के लिए प्रभावी ढंग से काम करना मुश्किल बना दिया है।
प्रतिरोध गठबंधन को सफलता की ओर ले जाने की NUG की क्षमता ऐसी चुनौतियों पर क़ाबू पाने पर निर्भर करेगी — जिसमें जातीय बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समूहों के बीच गहरा अविश्वास शामिल है — जो साथ ही सार्थक अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल कर सके।
विजय मार्ग
लोकतंत्र समर्थक प्रतिरोध गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से सफल रहा है। हालाँकि, इसे अपने पक्ष में करने के लिए कुछ समायोजन की आवश्यकता है। इस क्षण से, उसकी जीत की राह घातक कार्यों पर कम और ग़ैर-घातक उपायों पर अधिक निर्भर करती है, जैसे:
सार्वजनिक समर्थन बनाए रखने, विश्वव्यापी दबाव बढ़ाने और सैन्य दलबदल का विस्तार करने के लिए सुसंगत संचार रणनीति लागू करना।
मानव संसाधनों और प्रतिभाओं का अनुकूलन, जिसमें महिलाओं को तैनात करना, जनरेशन Z को सशक्त बनाना और पूर्व लड़ाकों का लाभ उठाना शामिल हैं।
ख़ुफ़िया अभियानों और दलबदलुओं की व्यवस्थित डीब्रीफ़िंग को प्राथमिकता देकर दुश्मन को समझने पर ध्यान केंद्रित करना।
आदेश और प्रयास की एकता को सक्षम करने के लिए EAOs को राजनीतिक गारंटी प्रदान करना।
जैसे-जैसे संघर्ष तीन साल के प्रतीक की ओर बढ़ रहा है, म्यांमार के लोग युद्ध से थक चुके हैं और अपने देश में स्थिरता चाहते हैं। हालाँकि, 90% से अधिक आबादी का मानना है कि सैन्य शासन कभी भी दीर्घकालिक स्थिरता नहीं लाएगा। इसलिए, निर्णायक बिंदु तक पहुँचने के लिए महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने हेतु प्रतिरोध गठबंधन बलों को साथ आना होगा।
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