फ़ोरम स्टाफ़
दिसंबर 2023 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में संपन्न संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता, लगभग 200 देशों द्वारा जीवाश्म ईंधन से “दूर जाने” के समझौते के साथ समाप्त हुई। यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते ने सरकारों से कम कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जलाने का आह्वान किया है, जिसे कुछ पर्यवेक्षकों ने ऐतिहासिक बताया है। हालाँकि, जलवायु संकट की अग्रिम पंक्ति में मौजूद ब्लू पैसिफ़िक देशों ने कहा कि यह समझौता वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने के लिए अपर्याप्त है, जिससे समुद्र के बढ़ते स्तर के साथ द्वीप और निचले देशों को ख़तरा है।
“हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि समस्या के लिए जिस समाधान की आवश्यकता है, उसे हासिल नहीं किया गया,” संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, या COP28 में छोटे द्वीप राज्यों के गठबंधन की ओर से बोलते हुए समोआ की प्रतिनिधि ऐनी रासमुसेन (Anne Rasmussen) ने कहा। “हमने हमेशा की तरह अपने कामकाज में क्रमिक प्रगति की है, जबकि हमें दरअसल अपनी गतिविधियों और समर्थन में तेज़ी से बदलाव की ज़रूरत थी।”
COP28 समझौते में “ऊर्जा प्रणालियों में जीवाश्म ईंधन से न्यायोचित, व्यवस्थित और समुचित तरीक़े से दूर जाने, इस महत्वपूर्ण दशक में कार्रवाई में तेज़ी लाने, और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को “यथासंभव” जल्द से जल्द समाप्त करने का आह्वान किया गया ताकि 2050 तक नेट ज़ीरो हासिल किया जा सके।
कई वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन — जो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 75% से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और लगभग 90% कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार है — वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। फिर भी, विश्लेषकों ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक देश द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन के लिए जीवाश्म ईंधन पर ध्यान केंद्रित करना आश्चर्यजनक था।
यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य, संयुक्त राज्य अमेरिका और जलवायु-संवेदनशील देशों सहित 100 से अधिक देशों ने अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का समर्थन किया, जिसके लिए राष्ट्रों को कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस को कम करने की बजाय — चरणबद्ध तरीक़े से समाप्त करने की ज़रूरत होगी।
रॉयटर्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इस बीच, रूस और सऊदी अरब सहित अन्य देशों ने दुबई में सम्मेलन के लिए दबाव डाला ताकि जलवायु से संबंधित प्रदूषण फैलाने वाले जीवाश्म ईंधन को संबोधित करने के बजाय, प्रदूषण को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) ने जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करने का समर्थन नहीं किया, जब कि उसके प्रतिनिधियों ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रस्तावों का समर्थन किया।
कुछ देशों ने COP28 के दौरान जलवायु परिवर्तन पर ध्यान भटकाने की भी कोशिश की। चीन ने शिकायत की कि शिखर सम्मेलन के प्रतिभागियों ने लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप को आमंत्रित करने का सुझाव दिया था, जिसे बीजिंग बलपूर्वक कब्ज़ा करने की धमकी देता है। रूस ने दावा किया कि यदि पश्चिमी देश, यूक्रेन पर मास्को के अकारण आक्रमण के बाद अवरुद्ध सोने के भंडार को मुक्त कर देगा, तो क्रेमलिन विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया करने में मदद कर सकता है।
अमेरिका विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन को कम करने और प्रतिरोधक्षम बनाने के उपायों को प्राथमिकता देता है। उदाहरण के लिए, यू.एस. इंडो-पैसिफ़िक कमांड ने 2021 में हवाई स्थित आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र के भीतर जलवायु परिवर्तन प्रभाव कार्यक्रम की स्थापना की। कार्यक्रम, जलवायु-संचालित सुरक्षा प्रभावों का अनुमान लगाने और प्रतिक्रिया करने के लिए अनुसंधान व सूचना विनिमय पर सहयोगियों और साझेदारों के साथ सहयोग करता है; वह जलवायु प्रतिरोधक्षमता के निर्माण में ब्लू पैसिफ़िक महाद्वीप के लिए 2050 की रणनीति जैसे क्षेत्रीय ढाँचे के अनुरूप है; और जलवायु परिवर्तन तथा संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों से निपटने के लिए निर्णय लेने की जानकारी देता है।
COP28 की उपलब्धियाँ:
- 120 से अधिक देशों ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता को दोगुना करने का संकल्प लिया। चीन और अमेरिका, शिखर सम्मेलन से पहले उपायों पर सहमत हुए।
- यूरोपीय संघ, जर्मनी, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने जलवायु संकट से सर्वाधिक प्रभावित देशों के लिए हानि और क्षति कोष में 70 करोड़ ($700 मिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक देने का वचन दिया।
- ऑस्ट्रेलिया, एस्तोनिया, इटली, पुर्तगाल, स्विट्ज़रलैंड और अमेरिका ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और उसे कम करने में मदद करने के लिए ग्रीन क्लाइमेट फ़ंड में 350 करोड़ ($3.5 बिलियन) अमेरिकी डॉलर देने का वादा किया।
- अमेरिका ने घोषणा की कि वह 2038 तक अपने तेल और गैस उद्योग द्वारा मीथेन उत्सर्जन में लगभग 80% की कटौती करेगा। मीथेन सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों में से एक है।
- वैश्विक उत्पादन के लगभग 40% का प्रतिनिधित्व करने वाली पचास प्रमुख तेल और गैस कंपनियाँ 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को लगभग शून्य तक कम करने पर सहमत हुईं।
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