चीन के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए मॉरीशस के द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाने की भारत की तैयारी

मनदीप सिंह
भारत, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने की पहल के तहत उत्तरी अगालेगा के मॉरीशस द्वीप पर सैन्य प्रतिष्ठान खोलने की तैयारी कर रहा है। सितंबर 2023 में भारत और मॉरीशस के नेताओं की बैठक और नवंबर 2023 में मॉरीशस के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को संयुक्त रूप से विकसित करने और लॉन्च करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद अंतिम तैयारी संपन्न हुई।
विश्लेषकों का तर्क है कि यह क़दम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) के IOR में प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयासों का मुक़ाबला करने की नई दिल्ली की रणनीति को दर्शाता है।
भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल अनिल भट्ट (Anil Bhat) ने फ़ोरम को बताया, “मॉरीशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप और हिंद महासागर के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में एक हवाई क्षेत्र, बंदरगाह और एक संचार केंद्र विकसित करने से भारत की समुद्री क्षेत्र जागरूकता बढ़ेगी।”
भट्ट ने कहा कि अगालेगा एटोल रनवे के लिए उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त, कथित तौर पर भारत के बोइंग P-8I समुद्री निगरानी विमानों के बेड़े के संचालन की सुविधा के लिए घाटों का निर्माण किया जा रहा है, जो पनडुब्बी रोधी और सतह रोधी युद्ध, और खुफ़िया, निगरानी और टोही मिशनों का संचालन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “हिंद महासागर के विशाल विस्तार को ध्यान में रखते हुए, उत्तरी अगालेगा द्वीप ईंधन भरने के लिए उपयुक्त पड़ाव होगा।”
भट्ट ने देशों के सहयोग के लंबे इतिहास का उल्लेख करते हुए आगे कहा कि भारत के विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि नवंबर समझौता मॉरीशस की हवाई और समुद्री कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए आधारभूत संरचना संबंधी परियोजनाओं को सक्षम करेगा, जो “इस सुदूर द्वीप के निवासियों के हालात में सुधार करने की दिशा में लंबा रास्ता तय करेगा।”
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और मॉरीशस के प्रधान मंत्री प्रविंद कुमार जगनॉथ (Pravind Kumar Jugnauth) ने सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित ग्रुप ऑफ़ 20 के शिखर सम्मेलन के मौक़े पर मुलाक़ात की। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने आधारभूत संरचना, वित्तीय प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नया सैन्य अड्डा चीनी मुख्य भूमि से हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका तक विस्तृत “वाणिज्यिक और सैन्य अड्डों और बंदरगाहों का नेटवर्क” स्थापित करने के बीजिंग के प्रयासों के प्रति भारत की सामरिक प्रतिक्रिया को मज़बूत करेगा। उन परियोजनाओं में चीन के हैनान द्वीप पर एक नौसैनिक अड्डा, श्रीलंका में चीन द्वारा वित्तपोषित एक वाणिज्यिक शिपिंग केंद्र, पाकिस्तान के ग्वादर में चीन-नियंत्रित गहरे पानी का बंदरगाह, पूर्वी अफ़्रीकी देश जिबूती में एक नौसैनिक अड्डा और दक्षिणी चीन सागर में सात मज़बूत कृत्रिम समुद्री सुविधा केंद्र शामिल हैं। अख़बार ने बताया कि पनडुब्बियों, विध्वंसकों और विमान वाहकों से युक्त चीन के सैन्य निर्माण के साथ, तथाकथित “मोतियों की माला” रणनीति IOR में समुद्री सुरक्षा को ख़तरे में डालती है।
नई दिल्ली की प्रतिक्रिया में, “हीरों का हार” कहे जाने वाले IOR के भीतर बंदरगाहों का निर्माण और निगरानी प्रणाली स्थापित करना तथा इंडोनेशिया, ओमान, फ़िलीपींस, सेशेल्स, सिंगापुर और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित रक्षा साझेदारी को मज़बूत करना शामिल है।
भट्ट ने कहा कि उत्तरपूर्वी हिंद महासागर में भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कोहासा और उत्क्रोश नौसैनिक हवाई स्टेशनों के साथ अगालेगा में सैन्य अड्डा, “विशेष रूप से चीनी PLA [पीपल्स लिबरेशन आर्मी] नौसेना की जल के भीतर व्यापक जासूसी का मुक़ाबला करने के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं।”
मनदीप सिंह (Mandeep Singh) नई दिल्ली, भारत से रिपोर्ट करने वाले फ़ोरम योगदानकर्ता हैं।
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