चीन की भूमि हड़पने की जारी रणनीति का ख़ुलासा करता मानचित्र

फ़ोरम स्टाफ़
पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) द्वारा अपने कथित आधिकारिक मानचित्र के नवीनतम संस्करण को जारी करने पर संयुक्त राज्य अमेरिका, उसके सहयोगियों और इंडो-पैसिफ़िक के साझेदारों ने इसे कार्टोलॉजिकल भूमि हड़पने की संज्ञा दी — जिसमें बीजिंग ने संपूर्ण स्व-शासित ताइवान, दक्षिणी चीन सागर का अधिकांश भाग और अन्यत्र विवादित क्षेत्रों पर दावा किया है।
“यह नक़्शा फ़िलीपीनी भू-भागों तथा समुद्री क्षेत्रों पर चीन की कथित संप्रभुता व अधिकार क्षेत्र को वैध बनाने का नवीनतम प्रयास है [और] इसका अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत कोई आधार नहीं है,” फ़िलीपीनी विदेश मंत्रालय ने अगस्त 2023 में मानचित्र जारी होने के बाद कहा। PRC के क्षेत्रीय दावों को क़ानूनी रूप से अमान्य बताते हुए ख़ारिज करने वाले अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के 2016 के फ़ैसले की लगातार अवहेलना करते हुए, मानचित्र में दक्षिणी चीन सागर को दायरे में घेरा गया है।
संशोधित मानचित्र में अपने क्षेत्र के रूप में दावा किए जाने के बाद भारत और मलेशिया ने भी कड़ा विरोध जताया। “हम इन दावों को ख़ारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है। चीनी पक्ष के ऐसे क़दम सीमा संबंधी प्रश्न के समाधान को जटिल ही बनाते हैं,” भारत के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा। PRC मानचित्र में भारत के उत्तरी राज्य अरुणाचल प्रदेश पर दावा किया गया है, जो देश की 3,380 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा के पूर्वी छोर पर स्थित है, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के रूप में जाना जाता है।
मानचित्र में मलेशिया के अधिकांश विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) को भी समाहित कर लिया गया है, जो दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र के तट से 200 समुद्री मील तक फैला हुआ है और जहाँ अंतरराष्ट्रीय क़ानून कुआलालंपुर को समुद्री संसाधनों का अधिकार देता है।
मानचित्र की रेखाओं का दोबारा चित्रण PRC की व्यापक भूमि हड़पने की रणनीति का हिस्सा है जिसमें नेपाल में गाँवों का निर्माण और विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में धौंस जमाना और ज़ोर-ज़बरदस्ती शामिल है। “बात सिर्फ़ यह नहीं है कि वे मानचित्र पर कौन-सी रेखाएँ खींचते हैं। यह ज़ोर-ज़बरदस्ती वाले उनके व्यवहार से जुड़ा है। यह उस तरीक़े के बारे में है जिस तरह से वे इन झूठे समुद्री दावों को आगे बढ़ाने की कोशिश करने के लिए इंडो-पैसिफ़िक में [अपने] पड़ोसियों और हमारे कुछ सहयोगियों व भागीदारों को डराते हैं,” अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी (John Kirby) ने वॉयस ऑफ़ अमेरिका को बताया।
PRC ने 2020 में नेपाल के स्वामित्व वाली भूमि पर चुपचाप इमारतें खड़ी कर दीं और फिर नेपाली अधिकारियों को क्षेत्र में जाने की अनुमति देने से इनकार किया। बाद में उस वर्ष, PRC के सैन्य निर्माण ने LAC पर तनाव बढ़ा दिया, जिससे झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक और कम से कम चार पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक मारे गए।
भारत स्थित समाचार वेबसाइट द वायर के अनुसार, अप्रैल 2023 में, मानचित्र-पुनर्लेखन की एक अन्य चाल में, PRC ने कहा कि वह अरुणाचल प्रदेश में 11 पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों का नाम बदल रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि PRC सैन्य भागीदारी को कम करके अपनी विस्तार महत्वाकांक्षाओं को सामान्य बनाने का प्रयास करता है। उसने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम ढाँचों को खोदने के लिए कथित असैन्य परियोजनाओं का उपयोग किया, जहाँ वह मनीला के EEZ के भीतर दूसरे थॉमस शोल पर तैनात फ़िलीपीनी सैनिकों को पुनः आपूर्ति करने वाली नौकाओं को परेशान करने के लिए तटरक्षक तथा समुद्री मिलिशिया जहाज़ों का भी उपयोग करता है।
इस तरह की रणनीति, जिसे सलामी स्लाइसिंग के रूप में जाना जाता है, “निरंतर छोटी कार्रवाइयाँ करते हुए क्षेत्रीय और समुद्री स्थिति को बदलने का प्रयास करती है, जिनमें से कोई भी युद्ध भड़काने या उसे उचित ठहराने [युद्ध का कार्य] के रूप में कार्य नहीं करता है, फिर भी जो समय के साथ बीजिंग के पक्ष में संचयी रूप से सामरिक महत्व के परिवर्तन की ओर ले जाता है,” नई दिल्ली में सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च में सामरिक अध्ययन के प्रोफ़ेसर ब्रह्मा चेलानी ने द जापान टाइम्स अख़बार में लिखा।
नाटो में पूर्व अमेरिकी राजदूत और शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफ़ेयर्स के अध्यक्ष इवो डालडर (Ivo Daalder) के अनुसार, जवाब में, अमेरिका क्षेत्रीय गठबंधन बनाने और उसे मज़बूत करने के लिए परिश्रमपूर्वक काम कर रहा है।
“अमेरिका-जापान सुरक्षा संबंध अब दशकों से बेहद मज़बूत है, जो कि स्वयं की रक्षा के लिए आवश्यक नई क्षमताओं में निवेश करते हुए तथा पूरे क्षेत्र में प्रतिरोध बढ़ाते हुए, टोक्यो के पाँच वर्षों में रक्षा ख़र्च को दोगुना करने के फ़ैसले के साथ सुदृढ़ हुआ है,” जून 2023 में डालडर ने अमेरिका स्थित वेबसाइट पोलिटिको के लिए लिखा। “ऑस्ट्रेलिया ने पैसिफ़िक क्षेत्र में मज़बूत प्रतिरोधी क्षमता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी रक्षा रणनीति और रुख़ को भी अनुकूलित किया है। और वाशिंगटन ने तोक्यो तथा सियोल, दोनों को अपने द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने हेतु अपने मतभेदों को दूर करने के लिए सफलतापूर्वक प्रेरित किया है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के क्वाड नेता अब नियमित आधार पर मिलते भी हैं।
ताइवान भी, ताइवान जलडमरूमध्य पार से संभावित आक्रमण को विफल करने के लिए क्षमताओं में तेज़ी से निवेश कर रहा है, मित्र राष्ट्रों और साझेदारों के संयुक्त प्रयास PRC को “अचूक संदेश भेज रहे हैं कि जलडमरूमध्य में युद्ध ख़ूनी और महँगा होगा — और इसका परिणाम निश्चित नहीं है,” डाल्डर ने लिखा।
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