शीर्ष राजनयिकों, रक्षा अधिकारियों के बीच बातचीत के दौरान भारत, अमेरिका ने की सुरक्षा संबंधों की पुष्टि

द एसोसिएटेड प्रेस
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जब उनके शीर्ष राजनयिकों और रक्षा प्रमुखों ने नवंबर 2023 के मध्य में क्षेत्रीय सुरक्षा, पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC), और यूरोप व मध्य पूर्वी देशों के युद्धों पर बातचीत की।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) ने यूक्रेन में रूस के अकारण युद्ध और इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले पर एकता प्रदर्शित करने के लिए नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) और भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) से मुलाक़ात की।
ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका “उभरती प्रौद्योगिकियों से लेकर रक्षा तथा लोगों के परस्पर संबंधों तक, हर चीज़ पर अपने सहयोग को गहरा करना जारी रखेंगे” और “एक ऐसे इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र के लिए कूटनीति को संरेखित करना जारी रखेंगे जो स्वतंत्र हो, जो खुला हो, जो समृद्ध हो, जो लचीला हो।”
उन्होंने कहा कि राष्ट्रों ने मध्य पूर्व में संकट पर चर्चा की और “हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि पहले दिन से ही भारत ने 7 अक्तूबर [2023] के हमलों की कड़ी निंदा की है। और जैसा कि हमारा संयुक्त बयान स्पष्ट करता है, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवादियों के खिलाफ़ इज़राइल के साथ खड़े हैं।
जयशंकर ने कहा कि मध्य पूर्व की स्थिति बड़ी चिंता का विषय है। भारत ने हमास के हमले की निंदा की है और “इज़रायल के साथ शांति से, सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहने वाले फ़िलिस्तीन के संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य राष्ट्र” पर बातचीत का आह्वान किया है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर (Matthew Miller) ने कहा, ब्लिंकन (Blinken) ने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से भी मुलाक़ात की और “इंडो-पैसिफ़िक में क़रीबी साझेदारी के लिए अपने साझा दृष्टिकोण की पुष्टि की।” “उन्होंने यूक्रेन के खिलाफ़ रूस के युद्ध और मध्य पूर्व में संघर्ष जैसे मौजूदा संकटों से निपटने के लिए मिलकर काम करने पर ज़ोर दिया।”
भारत के विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी विनय मोहन क्वात्रा (Vinay Mohan Kwatra) ने कहा कि द्विपक्षीय मंत्रिस्तरीय वार्ता में चीन के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंधों पर भी चर्चा हुई।
हिमालयी लद्दाख क्षेत्र में विवादित सीमा पर 2020 में देशों की सेनाओं के बीच घातक झड़प के बाद से बीजिंग के साथ नई दिल्ली के रिश्ते ख़राब हो गए हैं। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में हज़ारों सैनिकों के साथ गतिरोध जारी है।
भारत के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऑस्टिन और सिंह ने प्रौद्योगिकी सहयोग और रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन में तेज़ी लाने की योजना पर भी चर्चा की।
वाशिंगटन को उम्मीद है कि भारत इंडो-पैसिफ़िक में अग्रणी सुरक्षा प्रदाता होगा। ऑस्टिन ने कहा, “हम अपने औद्योगिक ठिकानों को एकीकृत कर रहे हैं, अपनी इंटरऑपरेबिलिटी को मज़बूत कर रहे हैं तथा अत्याधुनिक तकनीक साझा कर रहे हैं।”
एक संयुक्त बयान के अनुसार, रक्षा औद्योगिक सहयोग भारत की क्षमताओं को मज़बूत करेगा, उसके रक्षा उत्पादन को बढ़ाएगा, प्रौद्योगिकी-साझाकरण की सुविधा प्रदान करेगा और आपूर्ति शृंखला की प्रतिरोधक्षमता को बढ़ावा देगा।
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