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विशेषज्ञ: उत्तर कोरिया द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को सही ठहराते चीन, रूस

फ़ोरम स्टाफ़

विशेषज्ञों का कहना है कि जापान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका, उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए एकजुट हैं। इस बीच, पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) और रूस, संकटग्रस्त उत्तर कोरियाई जनता के लिए स्थितियाँ बिगाड़ रहे हैं।

“दरअसल चीन और रूस, उत्तर कोरियाई मानवाधिकार की स्थिति को बिगड़ने में मदद कर रहे हैं,” वाशिंगटन, डी.सी. स्थित सेंटर फ़ॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ (CSIS) के एशिया विशेषज्ञ विक्टर चा (Victor Cha) ने थिंक टैंक की कैपिटल केबल वेब सीरीज़ के नवंबर 2023 वाले एक एपिसोड में कहा।

उत्तर कोरिया के भीतर व्यापक हनन के अलावा — जिसमें दशकों से शासन द्वारा स्वीकृत हत्या, दासता, यातना और लिंग-आधारित हिंसा शामिल हैं — चीन और रूस, प्योंगयांग के तत्वतः ग़ुलाम मज़दूरों को शरण देते हैं, जिनकी स्थिति COVID-19 महामारी के दौरान ख़राब हो गई है, चा ने कहा।

उत्तर कोरिया ने दोनों देशों में श्रमिकों को भेजकर — जिन्होंने रिश्तेदारों को बंधकों के रूप में पीछे छोड़ा है — ख़ुद को प्रतिबंधों से बचा लिया है, जिन श्रमिकों के लिए किम जोंग उन (Kim Jong Un) के शासन को कमाई भेजना ज़रूरी है। चा ने कहा कि महामारी के दौरान सीमा बंद होने के कारण ऐसे कई लोग फँसे हुए हैं जिनके कार्य वीज़ा की समय-सीमा समाप्त हो चुकी है। “उनकी तस्करी की गई थी,” उन्होंने कहा। “वे उस समय काफ़ी कमज़ोर लोग थे।”

चीन और रूस, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए उत्तर कोरिया के साथ व्यापार कर रहे हैं, चा ने कहा, “और इसका मतलब कोयला और तांबे जैसी चीज़ों को ख़रीदना है, जिनके खनन के दौरान मानवाधिकारों का काफ़ी उल्लंघन होता है।”

सीमाओं को फिर से खोलने के साथ ही बीजिंग, चीन में हिरासत में लिए गए उत्तर कोरियाई भगोड़ों को भी जबरन वापस कर रहा है। इनमें अधिकांश महिलाएँ हैं, जिन्हें लिंग-आधारित हिंसा, जबरन श्रम शिविरों में भेजे जाने और मृत्युदंड दिए जाने का ख़तरा है, ह्यूमन राइट्स वॉच रिसर्च एंड एडवोकेसी ग्रुप ने सूचित किया।

“हमें चीन और रूस, दोनों पर इस बात के लिए दबाव डालना जारी रखना होगा कि वे ख़राब हालात और परिस्थितियों में उत्तर कोरियाई लोगों को रोज़गार देकर उत्तर कोरिया का सहयोग कर रहे हैं,” CSIS कोरिया विशेषज्ञ और उत्तर कोरियाई मानवाधिकार मामलों के पूर्व अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि रॉबर्ट किंग (Robert King) ने CSIS प्रसारण में कहा। “समस्या पैदा करने वाला सिर्फ़ उत्तर कोरिया ही नहीं है। इसमें रूस शामिल है जो इसे सक्षम कर रहा है, और विशेष रूप से चीन भी।”

अपने अगस्त 2023 के शिखर सम्मेलन में, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने तथा उत्तर कोरिया के अपहृतों, बंदियों और वापस न किए गए युद्धबंदियों (POWs) के मुद्दों को हल करने के लिए साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

उत्तर कोरिया ने 1970 और 1980 के दशक में कम से कम 17 जापानी नागरिकों का अपहरण किया था, हालाँकि विश्लेषकों का कहना है कि यह संख्या 100 से अधिक हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरियाई युद्ध के बाद उत्तर कोरिया द्वारा दक्षिण कोरिया से अपहरण किए गए लोगों की संख्या हज़ारों में है, और अधिकारियों ने 2014 में कहा था कि उत्तर कोरिया में अभी भी 500 अप्रवासी युद्धबंदी जीवित हो सकते हैं।

2023 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में, अधिकारियों और गवाहों ने प्योंगयांग की जबरन श्रम प्रथाओं तथा उत्तर कोरिया में भोजन व दवा की कमी के बारे में विस्तार से बताया, जबकि उसका सत्तावादी शासन दुर्लभ संसाधनों को अवैध मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों पर बर्बाद करता है। उत्तर कोरियाई भगोड़े इल्ह्योक किम (Ilhyeok Kim) ने कहा कि किम का शासन “हमारे ख़ून और पसीने को नेताओं के लिए शानदार जीवन तथा हमारी कड़ी मेहनत को आकाश में विस्फोट करने वाले मिसाइलों में बदल देता है।”

अल्बानिया, जापान और अमेरिका ने बैठक का अनुरोध किया, जबकि चीन और रूस ने विरोध किया।

सुरक्षा परिषद ने 2024 से शुरू होने वाले दो वर्षीय कार्यकाल के लिए दक्षिण कोरिया को चुना, जिसके संबंध में विश्लेषकों का कहना है कि इससे सियोल को उत्तर कोरिया के मानवाधिकारों के हनन को संबोधित करने का अधिक अवसर मिल सकता है।

दक्षिण कोरिया में प्रदर्शनकारियों ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना द्वारा उत्तर कोरिया से भागे हुए लोगों को जबरन वापस भेजने की निंदा की। उनके संकेत-पट्टों पर भगोड़ों के नाम और उनकी गिरफ़्तारी, निर्वासन या यातना शिविरों में क़ैद करने की तारीख़ें अंकित हैं। वीडियो साभार: रॉयटर्स के ज़रिए EFE

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