परमाणु हथियारों के सत्यापन मानकों को चुनौती देते उपद्रवी राष्ट्र
फ़ोरम स्टाफ़
विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु हथियारों और संबंधित प्रौद्योगिकी के प्रसार को हतोत्साहित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के समझौते की अवहेलना, दुनिया भर की सुरक्षा को ख़तरे में डालती है। इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र की कुछ सरकारें परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि का सीधे उल्लंघन करती हैं या इसके परस्पर विश्वास पैदा करने वाले उपायों को दुर्बल करते हैं। यह समझौता, जो 1970 में प्रभावी हुआ और जिसे आमतौर पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के रूप में जाना जाता है, विनाशकारी क्षमता के विस्तार को रोकने के वैश्विक प्रयासों की आधारशिला है।
उत्तर कोरिया 2003 में NPT से निकल गया और उसने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) सहित हथियारों का परीक्षण करके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को ठुकरा दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने अक्टूबर 2023 में बताया कि संभावना है कि पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) का 500 से अधिक संचालन योग्य परमाणु हथियारों का विस्तारित शस्त्रागार 2030 तक 1,000 से अधिक का हो जाएगा। रूस ने फरवरी 2023 में परमाणु स्थलों के पारस्परिक निरीक्षण की इजाज़त देने वाली नई START संधि में अमेरिका के साथ अपनी भागीदारी को निलंबित कर दिया, और अक्तूबर में वैश्विक समग्र परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT) के अपने अनुसमर्थन से पीछे हटना शुरू कर दिया।
191 देशों द्वारा हस्ताक्षरित, NPT का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना, मौजूदा भंडार में कमी को प्रोत्साहित करना और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है। NPT के प्रभावी होने से पहले जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं थे, उनके बीच अनुपालन की निगरानी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी द्वारा की जाती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (António Guterres) ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा, “प्रभावी सत्यापन तंत्र, परस्पर विश्वास बढ़ाने के कुछ सबसे सफल और स्थायी उपाय साबित हुए हैं।”
पांच देशों — फ़्रांस, पीआरसी, रूस, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के पास 1970 से पहले परमाणु हथियार थे। चार और देशों — भारत, इज़राइल, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान — के पास अब परमाणु हथियार हैं। जिन हस्ताक्षरकर्ता देशों के पास 1970 से पहले परमाणु शस्त्रागार नहीं थे, वे परमाणु हथियार नहीं बनाने तथा नहीं प्राप्त करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उत्तर कोरिया ने 2022 में 90 से अधिक मिसाइल परीक्षण किए, जो 2021 की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक हैं। द एसोसिएटेड प्रेस ने बताया कि उसने 2023 में लॉन्च जारी रखे, और सैद्धांतिक रूप से महाद्वीपीय अमेरिका तक पहुँच वाला ठोस ईंधन ICBM अप्रैल में दागने का दावा किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2006 से परमाणु हथियारों और संबंधित गतिविधियों को विकसित करने के लिए उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाने वाले नौ प्रस्ताव पारित किए हैं, लेकिन कोई भी प्रस्ताव नवीनतम परीक्षणों का समाधान नहीं करता है।
पेंटागन ने बताया कि पीआरसी तेज़ी से परमाणु हथियार बना रहा है, जो ज़्यादतर अनुमान से अधिक हैं। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, “हम देखते हैं कि पीआरसी अपने परमाणु बलों का काफ़ी तेज़ी से आधुनिकीकरण और विविध और विस्तार कर रहा है।” रॉयटर्स ने अक्टूबर 2023 में रिपोर्ट दी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने चीन को एक शीर्ष सैन्य शक्ति बनाने का प्रण किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग परमाणु-सशस्त्र पनडुब्बियों की एक नई पीढ़ी का उत्पादन कर रहा है, जिसके 2030 तक समुद्र में उपयोगी होने की उम्मीद है।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, नवंबर 2023 की शुरुआत में, वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने “खुलकर बातचीत करने और अमेरिका-चीन के संबंधों को ज़िम्मेदरी से निभाने के सतत प्रयासों के हिस्से के रूप में हथियार नियंत्रण और अप्रसार से संबंधित मुद्दों पर स्पष्ट और गहन चर्चा के लिए वाशिंगटन, डी.सी. में PRC विदेश मंत्रालय के हथियार नियंत्रण महा-निदेशक से मुलाक़ात की।”
अमेरिकी अधिकारियों ने 2019 से राष्ट्रों के बीच अपनी तरह की पहली वार्ता में, चर्चा के दौरान “परमाणु और बाह्य अंतरिक्ष सहित कई डोमेन में रणनीतिक जोखिमों को प्रबंधित तथा कम करने के व्यावहारिक उपायों पर PRC की परमाणु पारदर्शिता और ठोस जुड़ाव को बढ़ाने” का आह्वान किया। विदेश विभाग ने कहा कि “उन्होंने स्थिरता को बढ़ावा देने, हथियारों की बेरोकटोक होड़ को रोकने में मदद करने और प्रतिस्पर्धा का प्रबंधन करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया ताकि यह संघर्ष में न बदल जाए।”
इस बीच, द्विपक्षीय नया START समझौता, रूस और अमेरिका द्वारा तैनात किए जा सकने वाले सामरिक हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों की संख्या को सीमित करता है। यह मॉस्को और वाशिंगटन के बीच बच अंतिम परमाणु हथियार संधि है, जिनके पास दुनिया के परमाणु हथियारों के सबसे बड़े भंडार हैं। 2021 में नवीनीकृत 2011 का समझौता हर राष्ट्र को संधि का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे के परमाणु शस्त्रागारों के साल में 18 निरीक्षण का मौक़ा देता है। COVID-19 महामारी के दौरान ये निरीक्षण बंद हो गए थे और जब से रूस ने अपनी भागीदारी को निलंबित किया है, तब से निरीक्षण शुरू नहीं हुए हैं।
फ़रवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर अकारण आक्रमण के बाद से परमाणु संघर्ष का डर बढ़ गया है, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने परमाणु हमले की संभावनाएं ख़ारिज करने से इनकार नहीं किया है। वाशिंगटन का कहना है कि मॉस्को अपने क्षेत्र में निरीक्षण की अनुमति नहीं देकर संधि का उल्लंघन कर रहा है। रॉयटर्स ने बताया कि रूस 2026 में संधि की अवधि समाप्त होने पर इसे नवीनीकृत न करने की धमकी भी दे रहा है।
पुतिन ने कहा है कि रूस नए परमाणु हथियार विकसित कर रहा है और उनका परीक्षण कर सकता है, नेशनल पब्लिक रेडियो ने अक्तूबर 2023 में सूचित किया। उनका बयान मॉस्को द्वारा CTBT के वि-अनुमोदन से पहले आया, जो असैन्य या सैन्य उद्देश्यों के लिए सभी स्थितियों में परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोट और अन्य परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाता है।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति की अध्यक्ष, मिरियाना सपोलियारिच (Mirjana Spoljaric) ने जुलाई 2023 में कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में प्रगति की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है क्योंकि दुनिया बढ़ते तनाव का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, “कठोर परमाणु फ़िक़रेबाज़ी और उपयोग की धमकियाँ, सैन्य सिद्धांतों और सुरक्षा नीतियों में परमाणु हथियारों की बढ़ती प्रमुख भूमिका, और परमाणु शस्त्रागारों का निरंतर आधुनिकीकरण आदि सभी दशकों से चले आ रहे परमाणु निषेध को चुनौती देते हैं।”
इस तरह की सोच 1985 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन (Ronald Reagan) और सोवियत संघ के तत्कालीन नेता मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev) के एक संयुक्त बयान के साथ संरेखित होती है, जिसमें कहा गया था कि “परमाणु युद्ध कभी नहीं जीता जा सकता है और कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए।”
100 से अधिक राज्य (राष्ट्र) वैध व्यापार की रक्षा करते हुए परमाणु हथियारों और अन्य वर्जित चीज़ों के प्रसार को रोकने की पहल में शामिल हो गए हैं। प्रोलिफ़रेशन सिक्योरिटी इनिशिएटिव (PSI) अमेरिका, सहयोगियों और भागीदारों को सुरक्षित समुद्री मार्गों के माध्यम से आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद करता है। यह संचार और क्षेत्रीय हवाई क्षेत्र की समुद्री लाइनों को नियंत्रित करके प्रवर्तन को बढ़ाता है, और संदिग्ध जहाज़ों के निरोधन, बोर्डिंग और तलाशी को प्रोत्साहित करता है। योनहाप न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइलों से पैदा हुए ख़तरों का मुक़ाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर देने के लिए मई 2023 में दक्षिण कोरिया के जेजू में PSI के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की।
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