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इंडो-पैसिफ़िक साझेदारों द्वारा महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं का गठन

टॉम अब्के(Tom Abke)

विश्लेषकों का कहना है कि आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से इंडो-पैसिफ़िक साझेदार महत्वपूर्ण खनिजों के लिए अपनी आपूर्ति शृंखला को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (PRC) से दूर स्थानांतरित करना जारी रख रहे हैं। महत्वपूर्ण खनिज, रक्षा प्रौद्योगिकी, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और आधारभूत संरचनाओं के महत्वपूर्ण घटक हैं। इनमें इलेक्ट्रिक मोटरों में प्रयुक्त सेरियम और नियोडिमियम जैसे दुर्लभ-मृदा तत्व, साथ ही अधिक व्यापक रूप से ज्ञात धातु लिथियम शामिल हैं, जिसका उपयोग बैटरी, एल्यूमीनियम और निकल में किया जाता है।

संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित 2022 महत्वपूर्ण खनिजों की सूची में 50 तत्व हैं,” रैंड कॉर्प के एसोसिएट इंजीनियर डॉ. फ़ैबियन विलालोबॉस (Fabian Villalobos) ने फ़ोरम को बताया। उन्होंने कहा, इनमें से कई की आपूर्तियों पर, विशेष रूप से परिष्कृत दुर्लभ मृदा और लिथियम, ऐतिहासिक रूप से चीनी कंपनियों का वर्चस्व रहा है।

विलालोबोस ने कहा कि इंडो-पैसिफ़िक में, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फ़िलीपींस और दक्षिण कोरिया सहित अन्य देश अपनी महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं को चीनी स्रोतों से “अलग” करने के लिए क़दम उठा रहे हैं।

“इन देशों द्वारा ख़ुद को चीन से अलग करने की कोशिश करने का एक कारण, अमेरिकी मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम में शामिल कर प्रोत्साहनों से लाभ उठाना है,” उन्होंने कहा। 2022 में अधिनियमित क़ानून अमेरिकी कंपनियों को, चीन या रूस जैसे “चिंतित करने वाली विदेशी इकाई” को छोड़कर, अन्य स्रोतों से अपने महत्वपूर्ण खनिज प्राप्त करने के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक माँग बढ़ रही है, ख़ासकर इसलिए कि राष्ट्र नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन करना चाहते हैं। भारत, जिसके पास महत्वपूर्ण भंडार है, अपने महत्वपूर्ण खनिज उद्योग के पोषण में मदद के लिए ऑस्ट्रेलियाई और नॉर्वेजियन कंपनियों की ओर देख रहा है, वाशिंगटन, डी.सी. स्थित थिंक टैंक, द एशिया ग्रुप के विश्लेषक कर्ट टोंग (Kurt Tong) और चार्ल्स डंस्ट (Charles Dunst) ने अगस्त 2023 में बैरन्स पत्रिका में लिखा था।

उनका यह भी अनुमान है कि फ़िलीपींस के पास 1 लाख करोड़ ($1 ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर मूल्य के महत्वपूर्ण खनिज संसाधन हैं, तथा मनीला यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ प्रारंभिक चरण के निष्कर्षण सहयोग में तेज़ी ला रहा है, और इस बीच, न्यूज़ीलैंड अन्वेषण में घरेलू उद्यमों को प्राथमिकता दे रहा है व उसके द्वारा ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे भागीदार देशों की कंपनियों के साथ सहयोग करने की उम्मीद है।

विलालोबॉस ने कहा कि अमेरिकी कर प्रोत्साहनों को रेखांकित करने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ अन्य इंडो-पैसिफ़िक देशों द्वारा साझा की जाती हैं। उन्होंने जापान का हवाला दिया, जिसने 2010 में एक चीनी जहाज़ द्वारा अपने जल में अवैध मछली पकड़ने के ख़िलाफ़ जापानी कार्रवाई के बाद दुर्लभ-मृदा के आयात पर चीन के प्रतिबंधों का सामना किया था।

उन्होंने कहा, जापान ने तब से ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त दुर्लभ मृदा को मलेशिया में परिष्कृत करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग किया है।

दक्षिण कोरिया भी चीन से मुक्त, प्रतिरोधक्षम महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखला बनाने की कोशिश कर रहा है। टोंग और डंस्ट के अनुसार, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक येओल (Yoon Suk Yeol) 2030 तक आवश्यक खनिजों के लिए चीन पर निर्भरता को 80% से घटाकर 50% करना चाहते हैं। सियोल, अपतटीय संसाधन विकास परियोजनाओं को कर छूट और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करने का इरादा रखता है, और ऑस्ट्रेलिया तथा मंगोलिया के साथ अपने संबंधों का विस्तार कर रहा है, जिनके पास व्यापक खनिज भंडार हैं।

विलालोबोस ने कहा कि रक्षा प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण खनिजों की भूमिका को देखते हुए, भारत और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख रक्षा उद्योगों वाले इंडो-पैसिफ़िक देशों के साथ स्वतंत्र आपूर्ति शृंखला स्थापित करना महत्वपूर्ण है।

टॉम अब्के सिंगापुर से रिपोर्टिंग करने वाले फ़ोरम संवाददाता हैं।


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