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भारत ने दक्षिण चीन सागर में किया फ़िलीपींस का समर्थन, बढ़ाया जुड़ाव

मारिया टी. रेयेस

भारत ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (पीआरसी) द्वारा लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर व्यापक दावों को अमान्य करने वाले, अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के 2016 के फ़ैसले का पालन करने का आह्वान किया है जो 200-समुद्री-मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर फ़िलीपींस के संप्रभु अधिकारों का समर्थन करता है।

अदालत की समुद्री क़ानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) की व्याख्या के साथ ताल-मेल बिठाना, फ़िलीपींस और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ नई दिल्ली की बढ़ती सुरक्षा भागीदारी का एक उदाहरण है। भारत का दृष्टिकोण जून 2023 के अंत में भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) और फ़िलीपींस के विदेश मामलों के सचिव एनरिक मनालो (Enrique Manalo) के बीच सुरक्षा, व्यापार से लेकर अंतरिक्ष तक के अन्य विषयों पर द्विपक्षीय चर्चा के बाद भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा फ़िलीपींस के साथ जारी संयुक्त बयान में परिलक्षित होता है। विज्ञप्ति में “भारत-फ़िलीपींस संबंधों के बढ़ते दायरे” का उल्लेख किया गया है और दो इंडो-पैसिफ़िक देशों को तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच जीवंत, युवा लोकतंत्र के रूप में दर्शाया गया है।

बयान में कहा गया, “उन्होंने [जयशंकर (Jaishankar) और मनालो (Manalo)] ने विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतरराष्ट्रीय क़ानून, विशेष रूप से UNCLOS तथा इस संबंध में दक्षिण चीन सागर पर 2016 के मध्यस्थता पंचाट के पालन की आवश्यकता को रेखांकित किया।” पीआरसी ने नीदरलैंड के हेग में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया है।

मनीला में भारतीय राजदूत शंभू कुमारन (Shambhu Kumaran) ने 12 जुलाई को मध्यस्थता के फ़ैसले की सातवीं वर्षगाँठ पर नई दिल्ली के दृष्टिकोण को दोहराया।

“अंतरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करना सभी देशों का दायित्व है, पर शायद बड़े देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान करने का दायित्व और बड़ा है,” उन्होंने कहा।

भारत दक्षिण पूर्व एशिया में अधिक सक्रिय है पर “वह दक्षिण चीन सागर की सुरक्षा संरचना को गंभीर स्तर तक भड़काने के प्रति व्यावहारिक रूप से सतर्क रहता है,” मनीला स्थित भू-राजनीतिक विश्लेषक डॉन मॅकलेन गिल (Don McLain Gill) ने कहा।

एक टगबोट की सहायता से, मनीला के अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह में युद्धाभ्यास करता एक भारतीय विध्वंसक। छवि साभार: गेट्टी इमेजस के माध्यम से टेड एल्जिबे (Ted Aljibe)/AFP

उन्होंने फ़ोरम को बताया कि भारत यह प्रदर्शित नहीं करना चाहता कि वह क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।

गिल (Gill ) ने कहा कि ऐसी भी चिंताएँ हैं कि “यदि भारत दक्षिण चीन सागर में सैन्य रूप से अधिक जुड़ने का निर्णय लेता है, तो हिंद महासागर में चीन की सैन्य उपस्थिति के साथ भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो सकती है।”

उन्होंने कहा, “हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि भारत फ़िलीपींस जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के साथ अपने समर्थन और रणनीतिक जुड़ाव का दायरा बढ़ाना जारी नहीं रखेगा।”

नई दिल्ली ने हाल ही में फ़िलीपींस और वियतनाम सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ सुरक्षा साझेदारी मज़बूत की है। गिल (Gill) ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ उसका संबंध 2022 में व्यापक सामरिक भागीदारी तक बढ़ गया था और 2023 में भारत-आसियान समुद्री अभ्यास का उद्घाटन हुआ था।

उन्होंने कहा, “[भारतीय] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार दक्षिण पूर्व एशिया में, विशेष रूप से रक्षा सहयोग के क्षेत्र में, जिम्मेदार सुरक्षा और विकास भागीदार के रूप में बड़ी और अग्रसक्रिय भूमिका निभाने के भारत के अटूट इरादे को दर्शाती है।”

फ़िलीपींस ने भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलें ख़रीदी हैं, जो मनीला की दक्षिण चीन सागर सुरक्षा की पूरक हैं। नई दिल्ली ने फ़िलीपींस की रक्षा ज़रूरतों का समर्थन करने के लिए ऋण की पेशकश भी की है और सुरक्षा साझेदारी को मज़बूत करने में मदद के लिए मनीला में एक रक्षा अताशे भेजेगी।

बीजिंग ने 2016 के अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फ़ैसले के लिए नई दिल्ली के समर्थन और मनीला के लिए हालिया समर्थन को “यह परखने का प्रयास” बताया कि “चीन के लिए लाल रेखा कहाँ तक खिंची है”।

चीनी सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान के विद्वान कियान फ़ेंग (Qian Feng) ने चीनी सैन्य ऑनलाइन संपादकीय में संकेत दिया कि भारत की दक्षिण चीन सागर की स्थिति ख़तरनाक है।

छवि साभार: भारतीय विदेश मंत्रालय

मारिया टी. रेयेस मनीला, फिलीपींस से रिपोर्टिंग करने वाली फ़ोरम योगदानकर्ता हैं।


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