प्रतिबंधों, आपूर्ति की समस्याओं से जूझते रूसी हथियारों के ग्राहकों द्वारा विकल्पों की तलाश

फ़ोरम स्टाफ़
मनीला से नई दिल्ली तक, आपूर्ति कम होने और यूक्रेन पर अकारण हमले के लिए मास्को पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों की चिंताओं के बीच, इंडो-पैसिफ़िक रक्षा नेता रूस में निर्मित हथियारों और अन्य सैन्य प्रणालियों को छोड़ रहे हैं।
द एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के अनुसार फ़िलीपींस ने अक्तूबर 2022 के अंत में पुष्टि की कि वह 16 रूसी सैन्य हेवी-लिफ़्ट हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे को रद्द कर रहा है। फ़िलीपीन के राष्ट्रपति फ़र्डिनंड मार्कोस जूनियर ने कहा, “हमने संयुक्त राज्य अमेरिका से वैकल्पिक आपूर्ति हासिल की है।”
कुछ दिनों बाद, फ़िलीपीन के अधिकारियों ने घोषणा की कि वाशिंगटन ने मनीला द्वारा अमेरिका से खरीदे जा रहे 36 सिकोरस्की हेलीकॉप्टरों में से कम से कम 12 को अपग्रेड करने की पेशकश की है, ताकि उनका आपदा प्रतिक्रिया के लिए उपयोग किया जा सके, द मनीला टाइम्स अख़बार ने बताया। अधिकारियों ने कहा कि पोलैंड में बनाए जाने वाले हेलीकॉप्टरों के लिए फ़ंडिंग, फ़िलीपींस की रक्षा आधुनिकीकरण परियोजनाओं के लिए यू.एस. द्वारा प्रदत्त $100 मिलियन अनुदान से आएगी। दोनों सहयोगियों के बीच 1951 से आपसी रक्षा संधि है और वे लंबे समय से चल रही बालिकटन शृंखला सहित द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास करते हैं।
मास्को के साथ सौदा छोड़ने का फ़िलीपींस का निर्णय इस चिंता से प्रेरित था कि रूसी रक्षा उपकरण खरीदने वाले देश पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर सकते हैं।
द मनीला टाइम्स के मुताबिक, फ़िलीपींस में अमेरिकी राजदूत मैरीके कार्लसन ने कहा, “हम विशेष रूप से रूस के अवैध हमले और यूक्रेन में अकारण युद्ध के मद्देनज़र, हेलीकॉप्टर सौदे को रद्द करने के निर्णय के लिए फिलीपींस सरकार के बहुत आभारी हैं।”
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का असर उसके सबसे बड़े विदेशी हथियार खरीदार, भारत के लिए विशेष रूप से संवेदनशील है, जिसने 2010 से अपने हथियारों का 60% से अधिक मास्को से आयात किया है। युद्ध रूस के सैन्य और औद्योगिक मूलाधार पर दबाव डाल रहा है, जिससे उसके पारंपरिक हथियार के ग्राहकों को आपूर्ति में व्यवधान और गुणवत्ता की समस्याओं के साथ-साथ प्रतिबंधों पर भी झल्लाहट हो रही है।
भारतीय वायु सेना के रखरखाव कार्यों के प्रमुख एयर मार्शल विभास पांडे ने कहा, “वर्तमान विश्व व्यवस्था और भू-राजनीतिक परिदृश्य ने भी, जो बेहद अशांत है, हमें एक सबक़ सिखाया है,” रॉयटर्स ने मई 2022 में रिपोर्ट की।
अन्य इंडो-पैसिफ़िक देशों की तरह, भारत अपने आंतरिक रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के साथ-साथ, यूनाइटेड किंगडम और यू.एस. जैसे विश्वसनीय भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाकर अपने हथियारों की खरीद में विविधता ला रहा है। “अगर [रूसी] आपूर्ति लाइनें बाधित होती हैं, तो हमारे पास वैकल्पिक रास्ते हैं”, एक सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया।
सिप्री ने बताया कि नई दिल्ली का सैन्य खर्च 2021 में 76 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है, जिससे यह अमेरिका और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खर्च करने वाला देश बन गया है। बजट का लगभग दो-तिहाई हिस्सा सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत आंतरिक स्तर पर निर्मित हथियार खरीदने के लिए था।
स्थानीय कंपनियाँ भारतीय सशस्त्र बलों और विदेशी बाज़ारों के लिए टैंक, छोटी और लंबी दूरी की मिसाइलें, वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ और तेजस लड़ाकू जेट जैसे हल्के लड़ाकू विमान का उत्पादन कर रही हैं। देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत को सितंबर 2022 में नौसेना में शामिल किया गया।
यूक्रेन में युद्ध पूरे इंडो-पैसिफ़िक में देशीय रक्षा उत्पादन को बढ़ाने की प्रवृत्ति को तेज कर रहा है। उदाहरण के लिए, थाईलैंड का रक्षा प्रौद्योगिकी संस्थान, अन्य सैन्य हार्डवेयर के साथ-साथ, बख्तरबंद वाहन, ड्रोन, रॉकेट और अपतटीय गश्ती जहाज़ों को विकसित करने के लिए अकादमिक और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी कर रहा है।
सरकार से संबद्ध समाचार एजेंसी योनहाप के अनुसार, अक्तूबर 2022 के अंत में, दक्षिण कोरियाई निर्माता कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया मरीन कॉर्प्स के लिए उभयचर हमले के हेलीकॉप्टर विकसित करने के लिए देश के रक्षा अधिग्रहण कार्यक्रम प्रशासन के साथ US $308 मिलियन के सौदे की घोषणा की।
उसी सप्ताह, दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री ली जोंग-सुप ने बताया कि सियोल के हथियारों का निर्यात वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में रिकॉर्ड 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि रक्षा क्षेत्र “राष्ट्रीय रणनीतिक” उद्योग बन जाए, योनहाप ने बताया।
छवि साभार: रॉयटर्स
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